पहलगाम वैसे तो अमरनाथ यात्रा का बेसकैंप होने के कारण ज्यादा प्रसिद्ध है, लेकिन यदि आप छुट्टियां मनाने यहां जाना चाहते हैं, तो भी यह एक आदर्श स्थान है। समुद्र तल से 2100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित होने के कारण यहां मौसम हमेशा ठंडा बना रहता है। यहां आप शहर की भीड़ से दूर प्रकृति के बीच होते हैं। आप चाहें तो लिद्दर नदी के किनारे बैठे-बैठे अपना पूरा दिन गुजार सकते हैं या चाहें तो राफ्टिंग, पैराग्लाइडिंग, ट्रैकिंग जैसे साहसिक कार्य भी कर सकते हैं।
पहलगाम श्रीनगर से लगभग 100 किमी दूर है और रास्ता अनंतनाग होते हुए जाता है। अनंतनाग से पहलगाम तक लिद्दर नदी के साथ-साथ जाते हैं। लिद्दर नदी शेषनाग झील से निकलती है और चंदनवाड़ी, पहलगाम होते हुए अनंतनाग के पास झेलम नदी में मिल जाती है। इसी लिद्दर नदी में राफ्टिंग होती है, जो चारों तरफ ऊंचे पहाड़ों और घने जंगलों से होकर जाती है।
अगर आप पहलगाम जा रहे हैं, तो कम से कम 2 दिन तो रुकना ही चाहिए। पहला दिन सफर की थकान उतारने के लिए और दूसरा दिन आसपास घूमने के लिए। पहलगाम के आसपास एक से बढ़कर एक खूबसरत जगहें हैं, जिनमें आडू वैली, बेताब वैली, चंदनवाड़ी और बैसारन प्रमुख हैं।
आडू वैली पहलगाम से 12 किमी दूर है और समुद्र तल से 2400 मीटर ऊपर है। यहां जाने के लिए शेयर टैक्सी और निजी टैक्सी आसानी से मिल जाती है। आडू वैली का सौंदर्य देखते ही बनता है। यहां चारों तरफ हिमाच्छादित पर्वत और घने जंगल हैं। यहां आप पैराग्लाइडिंग भी कर सकते हैं। यदि आप ट्रैकिंग के शौकीन हैं, तो कोलाहोई बेसकैंप तक जा सकते हैं और तारसर व मारसर झीलों का ट्रैक भी कर सकते हैं। ट्रैकिंग का सारा साजोसामान और गाइड-पॉर्टर आडू में आराम से मिल जाते हैं।
पहलगाम से 15 किमी दूर चंदनवाड़ी है। चंदनवाड़ी के ही रास्ते में बेताब वैली भी स्थित है, जहां ‘बेताब’ फिल्म की शूटिंग हुई थी। ये दोनों ही स्थान अत्यधिक खूबसूरत हैं और यहां लिद्दर नदी का अनछुआ सौंदर्य देखा जा सकता है। इनके अलावा बैसारन भी अच्छी जगह है, जहां पैदल जाया जाता है। यदि आप पैदल नहीं चलना चाहते तो खच्चरों से भी जा सकते हैं। पहलगाम से बैसारन जाने के लिए आसानी से खच्चर मिल जाते हैं।
वैली ऑफ शेफर्ड
पहलगाम को वैली ऑफ शेफर्ड भी कहा जाता है। यहां से आगे ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों पर स्थित झीलों के किनारे गुज्जर समुदाय अपनी भेड़-बकरियों के साथ रहता है। ये लोग अप्रैल-मई में ऊपर चले जाते हैं और अक्टूबर में नीचे लौटते हैं। भेड़ों से इन्हें मिलती है अच्छी गुणवत्ता की पश्मीना ऊन, जिसकी कीमत काफी ज्यादा होती है। पश्मीना ऊन के बने कपड़े अत्यधिक नरम व हल्के होते हैं और खूब गर्म भी होते हैं।
अमरनाथ यात्रा
हर साल जुलाई और अगस्त के महीनों में अमरनाथ जी की यात्रा आयोजित होती है। यह यात्रा दो मार्गों से होती है- पहलगाम और बालटाल। पहलगाम वाला मार्ग पौराणिक है और सबसे ज्यादा लोकप्रिय भी है। इस मार्ग से अमरनाथ जी तक पैदल जाने में दो से तीन दिन तक लग जाते हैं। रास्ते में रात्रि विश्राम शेषनाग और पंचतरणी जैसे रमणीक स्थानों पर होता है।
कब जाएं?
पहलगाम कभी भी जाया जा सकता है, लेकिन अप्रैल से जून का समय सर्वोत्तम है, क्योंकि इस दौरान मौसम भी ठंडा बना रहता है और छुट्टियां बिताने का अलग ही आनंद आता है। जुलाई और अगस्त में अमरनाथ यात्रा के कारण भीड़ ज्यादा होती है। सितंबर से नवंबर तक का समय भी अच्छा है।
कैसे जाएं?
नजदीकी एयरपोर्ट श्रीनगर है, जो दिल्ली से हवाई मार्ग से अच्छी तरह जुड़ा है। आप श्रीनगर पहुंचकर टैक्सी से पहलगाम जा सकते हैं। नजदीकी बड़ा रेलवे स्टेशन जम्मू है, जहां से श्रीनगर व अनंतनाग के लिए बसें व शेयर टैक्सियां आसानी से मिल जाती हैं।
कहां ठहरें?
पहलगाम में हर बजट के होटल हैं। कुछ होटल लिद्दर नदी के किनारे भी हैं, जहां ठहरने का आनंद अलग ही होता है। आडू वैली में कुछ कैंप भी मिल जाएंगे। आप अपना टैंट भी ले जा सकते हैं।