नयी दिल्ली। पूर्व भारतीय क्रिकेटर और वर्तमान में कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्वू को नहीं पता होगा कि उनका पाकिस्तान जाना देश में बखेड़े को जन्म दे देगा। देश की सत्ताधारी पार्टी भाजपा उनपर लगातार हमले बोल रही है। इसको देखते हुए सिद्वू ने आज खुलकर अपनी बात रखी। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के रूप में इमरान खान के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में शामिल होने व वहां अपने व्यवहार पर विवादों में आये कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू ने सफाई दी है। पूर्व क्रिकेटर व पंजाब की अमरिंदर सिंह सरकार में मंत्री सिद्धू ने आज कहा कि पाकिस्तान दौरा राजनीतिक नहीं था, एक दोस्त की ओर से महज गर्मजोशी भरा आमंत्रण था। मालूम हो कि इमरान खान भी पूर्व क्रिकेटर हैं। विरोधी दलों की तीखी आलोचना और अपने मुख्यमंत्री के निशाने पर आने के बाद क्रिकेटर से राजनेता बने सिद्धू ने कहा कि पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल बाजवा ने मुझे बताया कि वे भारत के डेरा बाबा नानक करतारपुर साहिब के गरुद्वारे के लिए रास्ता खोलने का प्रयास कर रहे हैं और इसके बाद जो हुआ वह भावुक क्षण था।
उल्लेखनीय है कि सिद्धू इमरान के शपथ समारोह में शिरकत करने 18 अगस्त को इस्लामाबाद पहुंचे थे। संवाददाता सम्मेलन की शुरुआत में उन्होंने कहा मेरा पाकिस्तान दौरा चर्चा का मुद्दा बन गया है. इस संबंध में, मैं निश्चित तौर पर कुछ चीजें स्पष्ट करना चाहूंगा. पाकिस्तान का मेरा दौरा राजनीतिक नहीं एक दोस्त की ओर से महज गर्मजोशी भरा आमंत्रण था. उन्होंने कहा, ‘‘वह दोस्त, जिसने अपने जीवन में कड़ी मेहनत और संघर्ष किया। वह जो आज उस मुकाम पर पहुंच गया है कि वह करोड़ों लोगों की किस्मत बदल सकता है.जनरल बाजवा के साथ अपनी बैठक पर सिद्धू ने कहा,‘‘मैं एक बार फिर यह स्पष्ट करना चाहूंगा कि जनरल बाजवा के साथ मेरी बैठक उनके शपथ समारोह स्थल पर पहुंचने के बाद हुई। सिद्धू ने कहा मुझे पहली पंक्ति में बैठा देख वह गर्मजोशी से मिले और तुरंत ही उन्होंने मुझे बताया कि वे करतारपुर साहिब (जो करीब 3 से 3.5 किलोमीटर पाकिस्तान में है) के लिए रास्ता खोलने का प्रयास कर रहे हैं, ताकि गुरु नानक देव जी के 550वें ‘प्रकाश दिवस पर श्रद्धालु उसके दर्शन कर सकें. कांग्रेस नेता ने दावा किया कि करोड़ों श्रद्धालु पवित्र करतारपुर साहिब के दर्शन करने का इंतजार कर रहे हैं, जहां गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के करीब 18 वर्ष बिताए थे।
पाकिस्तान के सैन्य चीफ से मुलाकात का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा जनरल बाजवा के यह कहने के बाद, वह एक भावुक क्षण बन गया, जिसका नतीजा (एक दूसरे को गले लगाना) सभी ने देखा। उस छोटी मुलाकात के बाद, जनरल बाजवा के साथ मेरी कोई मुलाकात नहीं हुई। बहरहाल, सिद्धू ने अचानक हुई बैठक के भावुक क्षण में बदलने की निंदा होने पर दुख भी व्यक्त किया। इस बीच, सिद्धू ने यह भी कहा कि भारत और पाकिस्तान अगर बातचीत के जरिए अपने मतभेद दूर कर लें, अच्छे दोस्त बन जाएं और व्यापार एवं अन्य क्षेत्रों में आपसी अदान-प्रदान को बढ़ावा दें, तो दक्षिण एशिया के लिए यह एक बड़ी उम्मीद और संदेश होगा। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान अगर बातचीत के जरिए अपने मतभेद दूर कर लें और अच्छे पड़ोसी बन जाएं तो यह दक्षिण एशिया के लिए एक संदेश होगा. सिद्धू के पाक आर्मी चीफ से गले मिलने पर पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने भी नाराजगी जाहिर की थी।
इस बारे में सवाल पूछे जाने पर सिद्धू ने इस पर कहा कि कांग्रेस के कई लोगों ने इस पर बोला, कैप्टन साहब ने भी बोला, यह लोकतंत्र है और हर किसी को अपना नजरिया रखने का अधिकार है। सिद्धू ने कहा कि उनका पाकिस्तान जाना दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी को एक तरह की श्रद्धांजलि है, जिन्होंने पाकिस्तान के साथ शांति प्रक्रिया के लिए प्रयास किया था। उन्होंने कहा कि वाजपेयी जी तो दोस्ती बस लेकर लाहौर गये थे और मुशर्रफ को न्यौता दिया था। सिद्धू का यह तर्क इस मायने में अजीब है कि जब वे पाकिस्तान गये उस समय देश अपने नेता अटल जी के निधन का शोक मना रहा था। वहीं, सिद्धू पाकिस्तान में जश्नी मूड में नजर आ रहे थे. नवजोत सिंह सिद्धू ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिना तय कार्यक्रम के पाकिस्तान चले गये थे और नवाज शरीफ से गले मिले थे, लेकिन उनसे किसी ने सवाल नहीं पूछा। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तानी पीएम नवाज शरीफ से मुलाकात करने भारतीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी कई बार जा चुके है। उन्होने नवाज शरीफ की मां को शाल भेंट करने के साथ उनके पांव भी छुए थे।