हाथरस। दलित युवती के साथ कथित गैंगरेप और मौत के बाद पीड़ित परिवार के घर रिश्तेदार बनकर पहुंची जबलपुर मेडिकल कॉलेज की सहायक प्रोफेसर राजकुमारी बंसल ने मामले में सफाई दी है। उन्होंने कहा, ‘मेरा पीड़ित परिवार से कोई रिश्ता नहीं है। मैं केवल इंसानियत के नाते हाथरस पीड़ित के घर गई थी।’
डॉ राजकुमारी हाथरस कांड के बाद पीड़ित के घर पहुंची थी, बल्कि उन्होंने पीड़ित की भाभी बनकर मीडिया में भड़काऊ बयान भी दिए थे। राजकुमारी पर नक्सली होने का आरोप भी लगा था। घटना की जांच कर रही एसआईटी ने इस बात की खुलासा किया था। एसआईटी की टीम डॉ राजकुमारी की तलाश में जुटी है।
डॉ राजकुमारी बंसल ने बताया, ‘ उनको अच्छा लगा कि हमारे समाज की एक लड़की इतने दूर से आई है, तो उन्होंने वहीं रुक जाने को कहा था। जिसके बाद में वहीं रुक गई। मैं पीड़ित परिवार की आर्थिक मदद करना चाहती थी।’ एसआईटी की जांच पर सवाल खड़ा करते हुए महिला ने कहा कि पहले सबूत वह पेश करे। वहीं, बोलना और आरोप लगाना बहुत आसान होता है।
डॉ. बंसल पर गांव वालों को भड़काने और झूठी बयानबाजी के आरोप
डॉक्टर राजकुमारी बंसल पर नक्सलियों से संबंध होने और पीड़ित के घर पहुंच कर गांव वालों को भड़काने और झूठी बयानबाजी के आरोप लग रहे हैं। इन तमाम आरोपों पर सफाई देते हुए डॉ. बंसल ने कहा है कि वे इंसानियत के नाते हाथरस पहुंची थी और पीड़िता के परिवार की मदद करना ही उनका मकसद था। नक्सलियों के संबंधों से लेकर तमाम गंभीर आरोपों के घेरे में आई जबलपुर की डॉ बंसल ने योगी सरकार की जांच पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।
फोन टैप करने का आरोप लगाया
डॉ बंसल ने कहा कि एक फॉरेंसिक एक्सपर्ट होने के नाते वे पीड़िता के इलाज से संबंधित दस्तावेज जांचना चाहती थी, लेकिन उन्हें दस्तावेज देखने नहीं मिले। उन्होंने कहा कि हाथरस की घटना ने उन्हें अंदर से झकझोर दिया था। लिहाजा पीड़ित परिवार को न्याय दिलाने की लड़ाई में साथ देने ही वे हाथरस पहुंची थी।
डॉक्टर को नोटिस जारी कर जवाब मांगा
डॉ राजकुमारी बंसल जबलपुर मेडिकल कॉलेज में फॉरेंसिक विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ पीके कसार ने एक सरकारी सेवक के इस तरह के आंदोलनों में शामिल होने को गंभीर माना है। उन्होंने कहा है कि डॉ. राजकुमारी बंसल को नोटिस जारी कर उनसे स्पष्टीकरण मांगा जाएगा और शासन के नियमों के मुताबिक उन पर कार्रवाई भी की जाएगी।