वाशिंगटन। भारत में जासूसी के आरोपों में घिरे पेगासस स्पायवेयर को बनाने वाली इजरायली कंपनी NSO ग्रुप लिमिटेड कर्जों में डूबी हुई है और दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गई है। मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के मुताबिक, इस खतरे को देखते हुए कंपनी पेगासस स्पायवेयर को बंद करने और उसे बेचने की तैयारी कर रही है।
सूत्रों के मुताबिक, कंपनी ने कई इन्वेस्टमेंट फंड से बात की है, जिसमें फाइनेंस में मदद करने और कंपनी को पूरी तरह बेचने के बारे में चर्चा की गई है। कंपनी ने मोइलिस एंड कंपनी से एडवाइजर्स को हायर किया है।
साइबर डिफेंस के लिए हो सकता है तकनीक का इस्तेमाल
कंपनी को खरीदने के लिए सबसे आगे दो नाम आ रहे हैं। दोनों अमेरिकी फंड हैं जिन्होंने पेगासस को अपने नियंत्रण में लेकर बंद करने की चर्चा की है। अगर डील फाइनल होती है तो, दोनों कंपनियां करीब 200 मिलियन डॉलर (करीब 1500 करोड़ रुपए) के निवेश से पेगासस की तकनीक का इस्तेमाल करके मजबूत साइबर डिफेंस सिक्योरिटी तैयार करेंगी। इसके साथ ही इजरायली कंपनी की ड्रोन तकनीक को विकसित करने में भी इसकी तकनीक का इस्तेमाल किया जा सकता है।
भारत सरकार पर लगा था पेगासस से जासूसी कराने का आरोप
इस साल जुलाई में न्यूज पोर्टल ‘द वायर’ ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया था कि भारत सरकार ने 2017 से 2019 के दौरान करीब 300 भारतीयों की जासूसी कराई। इन लोगों में पत्रकार, वकील, सामाजिक कार्यकर्ता, विपक्ष के नेता और बिजनेसमैन शामिल थे। सरकार ने पेगासस स्पायवेयर के जरिए इन लोगों के फोन हैक किए थे। इस रिपोर्ट के बाद सरकार ने सफाई देते हुए सभी आरोपों को निराधार बताया था।
एपल ने किया था NSO पर मुकदमा
टेक कंपनी एपल ने पिछले महीने NSO पर मुकदमा किया था। एपल ने कंपनी पर आरोप लगाया था कि यह कंपनी एक अरब से ज्यादा iPhone को पेगासस के जरिए निशाना बना रही है। एपल के मुताबिक, दुनियाभर में 1.65 अरब एक्टिव एपल डिवाइसेज हैं, जिसमें से 1 अरब से ज्यादा iPhones हैं। ऐसे में लोगों की प्राइवेसी खतरे में आ सकती है।
कैसे काम करता है पेगासस स्पायवेयर
पेगासस आईफोन और एंड्रॉयड डिवाइस को टारगेट करता है। पेगासस इंस्टॉल होने पर उसका ऑपरेटर फोन से चैट, फोटो, ईमेल और लोकेशन डेटा ले सकता है। यूजर को पता भी नहीं चलता और पेगासस फोन का माइक्रोफोन और कैमरा एक्टिव कर देता है।
पेगासस को किसी भी फोन या किसी अन्य डिवाइस में रिमोटली इंस्टॉल किया जा सकता है। सिर्फ एक मिस्ड कॉल करके भी आपके फोन में पेगासस को इंस्टॉल किया जा सकता है। इनता ही नहीं, वॉट्सऐप मैसेज, टेक्स्ट मैसेज, SMS और सोशल मीडिया के जरिए भी यह आपके फोन में इंस्टॉल किया जा सकता है।
इससे पहले पेगासस कब सुर्खियों में था?
- पेगासस सबसे पहले 2016 में सुर्खियों में आया था। UAE के मानवाधिकार कार्यकर्ता अहमद मंसूर को अनजान नंबर से कई SMS मिले थे, जिसमें कई लिंक भेजी गई थीं। अहमद को जब इन मैसेज को लेकर संदेह हुआ तो उन्होंने साइबर एक्सपर्ट्स से इन मैसेजेस की जांच करवाई। जांच में खुलासा हुआ कि अहमद अगर मैसेज में भेजी लिंक पर क्लिक करते तो उनके फोन में पेगासस डाउनलोड हो जाता।
- 2 अक्टूबर 2018 को सऊदी अरब के पत्रकार जमाल खशोगी की हत्या हो गई थी। इस हत्याकांड की जांच में भी पेगासस का नाम सामने आया था। जांच एजेंसियों ने शक जताया था कि जमाल खशोगी की हत्या से पहले उनकी जासूसी की गई थी।
- 2019 में भी पेगासस सुर्खियों में था। तब व्हाट्सएप ने कहा था कि पेगासस के जरिए करीब 1400 पत्रकारों और मानव अधिकार कार्यकर्ताओं के व्हाट्सएप की जानकारी उनके फोन से हैक की गई थी। इस मामले को कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने राज्यसभा में जोर-शोर से उठाया था और सरकार पर कई आरोप भी लगाए थे।
- इसके अलावा मैक्सिको सरकार पर भी इस स्पायवेयर को गैरकानूनी तरीके से इस्तेमाल करने के आरोप लगे हैं।