नई दिल्ली। इन दिनों आम जनता पेट्रोल और डीजल के लगातार बढ़ रहे दामों को लेकर परेशान हैं। इस मुद्दे पर सरकार चौतरफा घिरी हुई है। विपक्ष जमकर सरकार के इस फैसले का विरोध कर रह है। इसकी वजह से सरकार पर पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर जनता को राहत देने के लिए टैक्स पर कटौती करने का दबाव बढ़ने लगा है। इस बीच आरबीआई गवर्नर ने भी इनकी कीमतों को काबू में करने के लिए सुझाव पेश किये हैं।
दरअसल मौद्रिक नीति समीक्षा की बैठक में आरबीआई गवर्नर ने ये बात कही।इस बैठक में गवर्नर शशिकांत दास ने केंद्र और राज्य सरकार से अपील करते हुए कहा कि वो इनडायरेक्ट टैक्सेज में कटौती करें जिससे पेट्रोल डीजल की कीमतों को घटाया जा सके। इसके लिए टैक्स को धीरे-धीरे कम करना होगा, ताकि इकोनॉमी के ऊपर से कीमतों का दबाव हटाया जा सके।
इसके अलावा बैठक में महगाई को लेकर भी चिंता जताई। ‘दिसंबर में सीपीआई यानी खुदरा महंगाई दर खाद्य और ईंधन को हटाने के बावजूद 5.5 फीसदी के ऊपर रहीं हैं, क्योंकि कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और पेट्रोल-डीजल पर ऊंचे इनडायरेक्ट टैक्स की वजह से मुख्य सामानों और सेवाओं की महंगाई बढ़ गई। इसमें खास तौर पर ट्रांसपोर्ट और स्वास्थ्य सेवाएं शामिल हैं’।
बता दें कि पिछले दो दिन तक शांति के बाद मंगलवार को तेल कंपनियों ने एक बार फिर फिर डीजल और पेट्रोल के दाम में बढ़ोतरी कर दी है। आज राजधानी दिल्ली में पेट्रोल 35 पैसे प्रति लीटर बढ़ कर 90.93 रुपये पर चला गया। वहीं डीजल में भी 35 पैसे प्रति लीटर की बढ़त हुई है। कई शहर ऐसे हैं जहां पेट्रोल 100 रुपये के ऊपर चल गया है।
इन राज्यों ने घटाए टैक्स
लगातार बढ़ रही कीमतों को लेकर चार राज्यों ने अपने टैक्स में कटौती की है। इसमें राजस्थान, पश्चिम बंगाल, असम और मेघालय की सरकारें शामिल है। इन सरकारों ने वैट या अन्य टैक्स कम कर दिए हैं, लेकिन अभी केंद्र सरकार ने ऐसा कोई मन नहीं बनाया है। पेट्रोलियम पर सबसे ज्यादा टैक्स लगाने के मामले में भारत दुनिया के टॉप 5 देशों में से है।
जीएसटी में हो शामिल
बढ़ रही कीमतों की वजह से अब ये मांग उठने लगी हैं कि पेट्रोल और डीजल को भी जीएसटी में शामिल किया जाए। जाहिर है कि राज्य सरकार पेट्रोल और डीजल पर वैट और केंद्र सरकार एक्साइज ड्यूटी लगाती हैं। वहीं, कई जगहों पर ट्रांसपोर्ट और लोकल बॉडी टैक्स भी लगाया जाता है जिसकी वजह से पेट्रोल की कीमतें और भी ज्यादा बढ़ जाती हैं। जबकि, जीएसटी में शामिल होने पर इस पर सिर्फ एक ही टैक्स लगेगा।