कठुआ। कठुआ के औद्योगिक क्षेत्र सहित अन्य जगहों पर काम करने वाले प्रवासी मजदूरों का पलायन पिछले 5 दिन से जारी है। लगातार पिछले 5 दिन से प्रवासी मजदूर कामकाज बंद के चलते अब अपने घरों की ओर पलायन कर रहे हैं। हालांकि जिला प्रशासन और औद्योगिक इकाईयों की ओर से इन मजदूरों को किसी भी प्रकार की घर जाने से संबंधित कोई भी सहायता नहीं की गई है। इनमें से ज्यादातर मजदूर अपने खर्चे से ही अपने गांव की ओर पलायन कर रहे हैं।
हाकिम कुमार नामक प्रवासी ने बताया कि पिछले 20 वर्षों से कठुआ औद्योगिक क्षेत्र में निजी इकाई में काम कर रहे हैं, लेकिन अब इस कोरोना वैश्विक महामारी के कारण लाॅकडाउन चल रहा है जिस कारण कई औद्योगिक इकाइयां बंद हो चुकी हैं।
अब उनके पास कामकाज नहीं रहा जिसके चलते उन्हें गांव की ओर रुख करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि उन्हें जिला प्रशासन व इकाई प्रबंधन की ओर से किसी प्रकार की कोई मदद नहीं दी गई है।
संजय कुमार नामक श्रमिक ने बताया की 50 प्रतिशत वेतन मिला था जो कि खर्च हो चुका है और अब घर जाने के लिए उन्हें अपने घर का कुछ सामान बेचने पड़ा। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपना एक फ्रिज और टीवी बेचकर पैसे जुटाए हैं और अपनी जेब से किराया देकर परिवार सहित अपने गांव वापस जा रहे हैं।
वही घर वापिस जाने के लिए खुद के किराए पर की गई बसों में बैठे मजदूरों का कहना है कि देश की आर्थिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए मजदूरों को रीड की हड्डी माना जाता है, लेकिन आज संकट की घड़ी में किस ने भी उनका साथ नहीं दिया।
उन्होंने कहा कि कई से सिर्फ एक समय का खाना खाकर ही समय बिता रहे हैं और अब जब घर जाने की बारी आई तो वह भी अपने खर्चे से ही जाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा सरकारें उनके बारे में कुछ नहीं सोच रही है।
सुनील कुमार श्रमिक ने बताया कि टीवी पर तो 20 लाख करोड का पैकेज तो हमने सुना था, लेकिन हमें 20 लाख करोड नहीं चाहिए, हमें हमारे घर तक जाने का किराया ही मिल जाता तो हम समझते कि मोदी जी ने उनके लिए बहुत बड़ा काम किया है। उन्होंने कहा कि जिंदगी भर कठुआ में रहकर रोजी रोटी कमाते रहे, जब संकट की घड़ी तो किसी ने भी उनका साथ नहीं दिया। उन्होंने कहा कि पैसे इकट्ठा कर जो घर के लिए जरूरी सामान बनाया था उसी को बेचकर वापिस गांव जाना पड़ रहा है।