प्रणब मुखर्जी ने अपने अंतिम संस्मरण में गिनाईं सोनिया गांधी की गलतियां

Sonia Gandhi, head of India's Congress party, talks with Defence Minister Pranab Mukherjee during a meeting with leaders of the ruling coalition in New Delhi May 26, 2004. The coalition was ironing out last minute differences with communist parties over economic reforms as it held talks on finalising the Common Minimum Programme, a roadmap of policy. REUTERS/Kamal Kishore KK/TW - RTRKDAN

नई दिल्ली। पिछले दिनों जब पूर्व राष्ट्रपति और एक समय कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे प्रणब मुखर्जी की किताब ‘द प्रेजिडेंशियल ईयर्स’  को लेकर उनके बच्चों में टकराव हो गया था। उनके बेटे-बेटी पिछले महीने ही ट्विटर पर उनकी किताब के प्रकाशन को लेकर आपस में भिड़ गए थे।

किताब को लेकर अभिजीत मुखर्जी ने कहा कि उनके पिता की किताब को उनकी मर्जी के बिना न छापा जाए तो वहीं शर्मिष्ठा मुखर्जी ने कहा कि कोई सस्ती लोकप्रियता के लिए उनके पिता की किताब को छपने से न रोके।

फिलहाल प्रणव मुखर्जी की लिखी किताब ‘द प्रेजिडेंशियल ईयर्स’  के कुछ अंशों के सामने आने के बाद इन पर हर तरफ चर्चा भी शुरू हो गई है। इसमें उन्होंने बीजेपी से लेकर कांग्रेस और पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर अरविंद केजरीवाल तक के बारे में बात की है।

हालांकि, उनकी किताब में सबसे चौंकाने वाला जिक्र यह है इसमें उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के बारे में लिखा है जिन पर प्रणब ने कुछ खराब फैसले लेने का आरोप लगाया है।

प्रणब मुखर्जी ने किताब ‘द प्रेजिडेंशियल ईयर्स’ में 2014 लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की हार पर कहा कि उस दौरान पार्टी की हार की एक मुख्य वजह यह थी कि वह लोगों की उम्मीद और आकांक्षाएं पूरी करने में असफल रही थी।

मुखर्जी ने बिना नाम लिए कहा कि कुछ वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की राजनीतिक अनुभवहीनता और घमंड ने भी आगे पार्टी को नुकसान पहुंचाया।

संस्मरण में आगे लिखा है, “मुझे लगता है कि संकट के समय पार्टी नेतृत्व को अलग दृष्टिकोण से आगे आना चाहिए। अगर मैं सरकार में वित्त मंत्री के तौर पर काम जारी रखता, तो मैं गठबंधन में ममता बनर्जी का रहना सुनिश्चित करता। इसी तरह महाराष्ट्र को भी बुरी तरह संभाला गया। इसकी एक वजह सोनिया गांधी की तरफ से लिए गए फैसले भी थे। मैं राज्य में विलासराव देशमुख जैसे मजबूत नेता की कमी के चलते शिवराज पाटिल या सुशील कुमार शिंदे को वापस लाता।”

उन्होंने लिखा, “मुझे नहीं लगता कि मैं तेलंगाना राज्य के गठन को मंजूरी देता। मुझे पूरा भरोसा है कि सक्रिय राजनीति में मेरी मौजूदगी से यह सुनिश्चित हो जाता कि कांग्रेस को वैसी मार न पड़ती, जैसी उसे 2014 लोकसभा चुनाव में झेलनी पड़ी।

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