प्रवासी मजदूरों की यूपी वापसी: मायावती के बाद अब प्रियंका ने भी की योगी सरकार की तारीफ

लखनऊ। कोरोनावायरस के संक्रमण के चलते पूरे देश में 3 मई तक लॉकडाउन है। प्रवासी मजदूर कई राज्यों में अभी भी फंसे हुए हैं और वो अपने घर जाना चाहते हैं। इस बीच कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने अपने संदेश में कहा है कि यूपी सरकार कोटा में फंसे छात्रों को वापस लेकर आई है। इसके लिए वह बधाई की पात्र है लेकिन सरकार को गैर राज्यों में रह रहे प्रवासी मजूदरों की भी चिंता करनी चाहिए जो अपने घर जाना चाहते हैं। इससे पहले बसपा प्रमुख मायावती ने भी छात्रों को लाने की सराहना करते हुए मजदूरों की व्यवस्था करने की मांग की थी।

प्रियंका बोलीं- अन्य प्रदेशों में फंसें मजदूरों से बात की है

प्रियंका ने कहा- ”कई दिनों से जो यूपी के प्रवासी मजदूर अलग अलग प्रदेशों में फंसे हुए हैं, उनसे मैं बात कर रही हूं। मैंने राजस्थान, दिल्ली, सूरत, इंदौर, भोपाल, मुंबई और अन्य प्रदेशों में फंसे हुए लोगों से बात की। उनकी सबसे बड़ी समस्या क्या है? मज़दूरी करने के लिए ये अलग-अलग शहरों में गए। लॉकडाउन हुआ। मजदूरी बंद हो गई। आगे राशन भी ख़त्म हो गया। अब छह-छह लोग, आठ- आठ लोग एक कमरे में बंद हैं। राशन मिल नहीं रहा है। बहुत ही घबराए हुए हैं, बहुत ही डरे हुए हैं और किसी भी तरह से घर जाना चाहते हैं। और हम इनको दोषी ठहरा नहीं सकते कि आप घर जाना चाहते हैं। हम और आप भी तो अपने परिवार के साथ रहना चाहते हैं।”

Priyanka Gandhi Vadra

@priyankagandhi

ये मजदूर हमारे अपने हैं। इनकी मदद करना हम सबकी जिम्मेदारी है। हम इन्हें ऐसे ही नहीं छोड़ सकते। कोई रास्ता तो निकालना होगा।

मायावती ने भी की थी मजदूरों को लाने की मांग

शनिवार को बसपा प्रमुख मायावती ने दो ट्वीट किए थे। पहले ट्वीट में उन्होंने कोटा में फंसे छात्रों को वापस लाने पर यूपी सरकार की सराहना की थी। दूसरे ट्वीट में उन्होंने सरकार से आग्रह किया था कि- ऐसी चिंता अन्य राज्यों में फंसे मजदूर परिवारों के लिए भी दिखाएं।

Mayawati

@Mayawati

1. कोचिंग पढ़ने वाले लगभग 7,500 युवकों को लाॅॅकडाउन से निकालने व उन्हें सुरक्षित घरो में भेजने के लिए यू.पी. सरकार ने, काफी बसंे कोटा, राजस्थान भेजी है। यह स्वागत योग्य कदम है। बी.एस.पी. इसकी सराहना भी करती है। 1/2

Mayawati

@Mayawati

2. लेकिन सरकार से यह भी आग्रह है कि वह ऐसी चिन्ता यहाँ के उन लाखों ग़रीब प्रवासी मज़दूर परिवारों के लिए भी ज़रूर दिखाये, जिन्हें अभी तक भी उनके घर से दूर नारकीय जीवन जीने को मजबूर किया जा रहा है। 2

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