– केंद्र ने कोर्ट में हलफनामा देकर बताया, पैदल जा रहे प्रवासी श्रमिकों को पहुंचाने में मदद की
– राज्य सरकारों और रेलवे ने भोजन और पानी मुफ्त उपलब्ध कराया
नई दिल्ली। प्रवासी मजदूरों के मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है। हलफनामे में केंद्र सरकार ने कहा कि राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के सहयोग से केंद्र ने सड़कों पर चल रहे प्रवासी श्रमिकों को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाने में मदद की। केंद्र ने कहा कि राज्य सरकारों और रेलवे ने भोजन और पानी मुफ्त उपलब्ध कराया। सुप्रीम कोर्ट इस मामले पर 9 जून को फैसला सुनाएगा।
केंद्र सरकार ने कहा कि संबंधित राज्य सरकारों द्वारा प्रदान की गई सेवाओं के अलावा 1 जून तक, रेलवे ने 1 करोड़ 63 लाख भोजन और दो करोड़ 10 लाख से अधिक पैक पेयजल की बोतलें बांटीं। केंद्र सरकार ने हलफनामे में ये भी कहा है कि केंद्र, राज्य सरकारों, सभी फ्रंटलाइन कार्यकर्ताओं और पूरे देश ने इस अभूतपूर्व कोरोना महामारी से निपटने और जीवन के हर पहलू की देखभाल करने के लिए युद्धस्तर पर कार्य किया है।
कोर्ट ने 5 जून को सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि अभी तक करीब एक करोड़ प्रवासी मजदूरों को उनके कि घर पहुंचाया गया है। इनमें बसों के जरिये 41 लाख, ट्रेन के जरिये 57 लाख मजदूरों को उनके गृह राज्य भेजा गया।
4270 श्रमिक ट्रेन अभी तक चलाई गई है। मेहता ने कहा कि हमने राज्यों से पूछा है कि कितने मजदूरों को शिफ्ट करने की ज़रूरत है और कितने ट्रेन की ज़रूरत है। राज्यों ने हमें ये जानकारी उपलब्ध कराई है। उसके आधार पर चार्ट तैयार किया गया है। अभी 171 ट्रेन की और ज़रूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने 28 मई को कहा था कि प्रवासी मजदूरों से ट्रेन या बस का किराया नहीं वसूला जाए। ट्रेन का किराया राज्य सरकारें देंगी। प्रवासी मजदूरों को खाना और पानी संबंधित राज्य सरकारें उपलब्ध कराएंगी। प्रवासी मजदूरों को ये सूचना दी जाएगी कि उनका ट्रेन कब है। उसके पहले 26 मई को सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया था। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमआर शाह की बेंच ने केंद्र सरकार एवं सभी राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया था।