लखनऊ। यूपी में बीटीसी कॉलेज तीन हजार से भी ज्यादा। 2.50 लाख प्रशिक्षु शिक्षक लेकिन जब 69,000 शिक्षक भर्ती परीक्षा हुई तो इसमें केवल 38610 ही डीएलएड अभ्यर्थी पास हो पाए। इसके मुकाबले बीएड वालों का बोलबाला रहा। लिहाजा अब बेसिक शिक्षा विभाग इन बीटीसी कॉलेजों पर लगाम कसने की तैयारी कर रहा है। सिर्फ यही नहीं, बल्कि राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) को डीएलएड की मान्यता पर स्थायी रोक लगाने के लिए पत्र भी लिखा गया है।
बीटीसी/डीएलएड के निजी संस्थानों को मान्यता एनसीटीई देता है और सम्बद्धता यूपी सरकार देती है। लेकिन अब राज्य सरकार ने एनसीटीई को पत्र लिख कर मान्यता न देने के लिए पत्र लिखा है। ऐसा इसलिए कि यूपी में निजी कॉलेजों की संख्या बहुत ज्यादा हो गई है। वहीं कई कॉलेजों में पढ़ाई की गुणवत्ता भी सवालों के घेरे में है।
कई ऐसे कॉलेज हैं जहां सरकार द्वारा तय शुल्क से इतर मनमाने तरीके से शुल्क वसूले जाते हैं और कई कॉलेजों में प्रवेश देकर विद्यार्थियों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जाता है क्योंकि यहां शिक्षक ही मानकों पर खरे नहीं उतरते। लिहाजा इन पर लगाम कसने के लिए एक छह सदस्यीय कमेटी बनाई गई है जो कई बिन्दुओं पर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी।
2011 में यूपी में शिक्षा का कानून एक्ट लागू होने के बाद सूबे में निजी बीटीसी कॉलेजों की बाढ़ आ गई। 2012 में जहां प्रदेश में 57 निजी कॉलेज थे और सरकारी-निजी मिलाकर 13,250 सीटें थीं। वहीं अब 3 हजार से भी ज्यादा निजी कॉलेज हैं और सीटों की संख्या 2.40 लाख से आगे जा चुका है लेकिन पिछली दो शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा में सामने आ गया कि इनकी गुणवत्ता सवालों के घेरे में है।
68500 शिक्षक भर्ती में 50 हजार अभ्यर्थी भी लिखित परीक्षा पास नहीं कर पाए। वहीं 69000 शिक्षक भर्ती में भी यह आंकड़ा 38610 पर सिमट गया।