भारतीय राजनीति में इस वक्त काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। जहां एक ओर बीजेपी लगातार कामयाबी की नई गाथा लिख रही है तो दूसरी तरफ कांग्रेस अपने वजूद को बचाने में जमीनी स्तर पर अब संघर्ष।
हालांकि हाल के दिनों में कांग्रेस के प्रदर्शन में काफी सुधार देखने को मिला है। लोकसभा चुनाव में उसने 99 सीट जीतकर बीजेपी को बड़ा झटका जरूर दिया। कांग्रेस के इस प्रदर्शन से कांग्रेस मुक्त भारत का नारा देने वाली बीजेपी को काफी नुकसान उठाना पड़ा।
इतना ही नहीं नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के सहारे मोदी को अपनी तीसरी पारी को आगे बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ा।
अभी तक राहुल गांधी और मोदी के बीच सीधा मुकाबला देखने को मिलता रहा है। संसद से लेकर सडक़ तक राहुल गांधी पीएम मोदी पर हमलावर रहते हैं लेकिन कांग्रेस को अब प्रियंका गांधी के रूप में एक नई ताकत मिली है। अभी तक प्रियंक गांधी सक्रिय राजनीति से दूर रही है लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस के लिए आवाज बुलंद करती रही है। इतना ही नहीं अपने भाई राहुल गांधी को पूरा समर्थन देती है और कांग्रेस के लिए जगह-जगह पर वोट मांगती है लेकिन अब वो सक्रिय राजनीति में पूरी तरह से एक्टिव हो गई और वायनाड से चुनाव लड़ने जा रही है। अगर वायनाड का एग्जाम पास कर लेती है तो कांग्रेस में एक नई ऊर्जा का संचार होना तय माना जा रहा है।
और संसद में भी प्रियंका गांधी अब मोदी सरकार के खिलाफ हल्ला बोलती हुई नजर आयेंगी।
उनके सियासी डेब्यू पर इस वक्त सबकी नजरें हैं। वायनाड की सीट काफी सेफ मानी जा रही है क्योंकि कांग्रेस यहां पर लगातार जीत रही है। अब अगर बात की जाए कि प्रियंका गांधी के सामने कौन-कौन होगा तो बीजेपी ने वायनाड से नव्या हरिदास को टिकट दिया है जबकि सीपीआई के टिकट पर पूर्व विधायक सत्यन मोकेरी प्रियंका गांधी के खिलाफ ताल ठोक रही है। वहां के राजनीतिक समीकरण की बात करें तो 41%मुस्लिम मतदाता हैं जबकि 13%ईसाई, 10%आदिवासी और 7त्न दलित मतदाता हैं।
प्रियंका और राहुल गांधी ने वायनाड के लोगों से इमोशनल अपील भी की थी। राहुल ने कहा था कि वायनाड में दो सांसद होंगे एक प्रियंका गांधी और दूसरे वह खुद। पिछले कुछ सालों में राहुल गांधी ने राजनीति में अपनी अलग पहचान बनाई है और पार्टी में उन्हें सबसे बड़े नेता के रूप में स्वीकार भी किया गया है। अब बड़ा सवाल है कि प्रियंका गांधी को लेकर जनता क्या तय करती है।
सियासत में प्रियंका गांधी एंट्री कैसी रही
2019 में प्रियंका को पूर्वी उत्तर प्रदेश की कमान दी गई। इसके बाद यूपी की राजनीति में सक्रिय हो गई और कांग्रेस को मजबूत करने की जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गईं।
2020 सितंबर में कांग्रेस ने उनका दायरा बढ़ाया और पूरा यूपी उनके हवाले कर दिया।
इसके बाद प्रियंका गांधी यूपी में लगातार जमीन पर सक्रिय रहीं। 2021 में लखीमपुर में किसान हत्याकांड को लेकर ज्यादा सक्रिय रही और योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके। इस दौरान उनको कई बार हिरासत में लिया गया।
2022 में प्रियंका गांधी ने यूपी विधानसभा चुनाव का अभियान संभाला. ‘लडक़ी हूं लड़ सकती हूं’ नारे के साथ चुनाव मैदान में उतरीं, लेकिन कांग्रेस को उसका फायदा नहीं पहुंच सका और चुनाव में 403 में से सिर्फ 2 सीटें ही कांग्रेस को संतोष करना पड़ा। ये कांग्रेस से ज्यादा प्रियंका गांधी के लिए एक बड़ा झटका था। अब वो पूरी तरह से बदली हुई नजर आ रही है और अगर वो विजय हासिल करती है तो संसद में सरकार और बीजेपी दोनों के लिए बड़ी चुनौती होगीं।