प्रियंका बोलीं, खाली बसों को लखनऊ मंगाना राजनीति से प्रेरित, समय और संसाधन की बर्बादी

नई दिल्ली। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी की ओर से उत्तर प्रदेश की सीमाओं पर फंसे हजारों प्रवासी मजदूरों के लिए एक हजार बस चलवाने की पेशकश को योगी सरकार की अनुमति मिलने के बाद अब एक नये मुद्दे पर राजनीति शुरू हो गई है। सोमवार देर रात 11.40 बजे अपर मुख्य सचिव की ओर से प्रियंका गांधी को ई-मेल से एक पत्र भेजकर सभी बसों को मंगलवार सुबह 10 बजे तक लखनऊ में हैंडओवर करने को कहा गया।

उप्र सरकार के इस फैसले को प्रियंका ने राजनीति से प्रेरित बताया है। उन्होंने कहा कि जब लोग राज्य की सीमा पर इंतजार कर रहे हैं तो फिर खाली बसों को लखनऊ मंगाने का क्या औचित्य है? इससे समय और संसाधन की बर्बादी ही होगी।

प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य तक पहुंंचाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने बीते 16 मई को पत्र लिखकर उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार से 1000 बसें चलाने की अनुमति मांगी थी। इसके जवाब में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 18 मई को मंजूरी देते हुए बसों की सूची नम्बर, चालक, परिचालक के नामों के साथ मांगी। मंजूरी दिए जाने के महज कुछ घंटों बाद ही प्रियंका गांधी के निजी सचिव ने उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी को जवाब देते हुए बसों की सूची सौंप दी।

प्रवासी श्रमिकों को मदद मिलने से पहले ही यूपी सरकार ने सोमवार की देर रात एक नया पेंच फंसा दिया, जब सरकार ने प्रियंका गांधी को सभी एक हजार बसों को लखनऊ में हैंडओवर करने को कहा। आनन-फनन बसों को राज्य के बॉर्डर से लखनऊ मंगाने के फैसले पर कांग्रेस नेता ने सवाल उठाते हुए पूछा कि सरकार मदद करने की मंशा तो रखती है न?

प्रियंका गांधी की ओर से अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी को पत्र लिखकर कहा गया है कि वर्तमान में हजारों की संख्या में मजदूर सड़कों पर पैदल चल रहे हैंं। उप्र बॉर्डर पर हजारों की भीड़ पंजीकरण केंद्रों पर उमड़ी हुई है, तब एक हजार खाली बसों को लखनऊ मंगाना न सिर्फ समय और संसाधनों की बर्बादी है बल्कि अमानवीय भी है। उन्होंने राज्य सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा कि लगता नहीं कि आप श्रमिक भाई-बहनों की मदद करना चाहते हैं।

कांग्रेस नेता ने कहा कि हम अपनी बात पर अडिग हैं और संकट में फंसे प्रवासी श्रमिकों को उनके घर पहुंचाने को लेकर प्रतिबद्ध भी हैं। गाजीपुर बॉर्डर, गाजियाबाद और नोएडा बॉर्डर से बसों को चलाने के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश व समन्वय के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त करें ताकि श्रमिकों को उनके गन्तव्य तक पहुंचाया जा सके।

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