फर्जी प्रोफाइल बनाना भी साइबर अपराध की श्रेणी में, महिलाएं साइबर अपराधियों के साफ्ट टार्गेट

मेरठ। पुलिस ने बढ़ते साइबर अपराध पर शिकंजा कसने के लिए अब सोशल मीडिया को अपना हथियार बनाकर नई पहल की है। इसका मकसद लोगों में अपराधों के प्रति विधिक जागरूकता लाना है, जिससे लोग कानून और अपने अधिकार को समझें और दोषियों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए अपने कदम बढ़ाएं। साइबर अपराध के अलावा अन्य मसलों पर भी लोगों को जागरूक किया जाएगा। यूपी पुलिस के ट्वीटर पर लॉ मैटर यूपीपी हैशटैग के तहत प्रतिदिन अलग-अलग विषय पर कानूनी विषयों की जानकारियां साझा करने की पहल की है।

फर्जी प्रोफाइल बनाना भी अपराध की श्रेणी में 
किसी का फर्जी प्रोफाइल बनाना अपराध आइपीसी की धारा 419 के तहत और आइटी एक्ट 2000 की धारा 66-डी के तहत दंडनीय अपराध है।

फर्जी प्रोफाइल बनाने के अपराध में दोषी को तीन साल तक की सजा व जुर्माना हो सकता है। इंटरनेट मीडिया पर किसी का फर्जी प्रोफाइल बनाना दंडनीय अपराध है। यदि इंटरनेट मीडिया पर फर्जी प्रोफाइल के शिकार हैं, तो इसकी सूचना अपने संबंधित पुलिस स्टेशन को दें।

यूपी पुलिस के सोशल मीडिया सेल के जरिये ट्वीट हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में किया जाएगा। इस पर प्रतिदिन नए विषय पर दोनों भाषाओं में विधिक जागरूकता के लिए ट्वीट का सिलसिला जारी रहेगा। साइबर अपराध के अलावा अन्य प्रासंगिक विषयों पर लोगों को जागरूक किया जाएगा।

इसलिए पुलिस को पड़ी जरूरत 
बता दे कि घर के बिजली के बिल भरने से लेकर, एक खाते से दूसरे खाते में रुपया ट्रांसफर तक की व्यवस्था को मल्टीमीडिया मोबाइल व इंटरनेट ने सहज किया है। इसके उपयोग के साथ-साथ साइबर फ्राड के मामले भी बढऩे शुरू हो गए हैं। पुलिस का कहना है कि लोग टेक्नालाजी का उपयोग करें, यह अच्छी बात है, लेकिन उसके साथ-साथ सतर्कता भी बरतें।

50 फीसद मामले आनलाइन धन निकासी के 
साइबर अपराध में 50 फीसद मामले धन निकासी के हैं। साइबर अपराधी लोगों के पास ओटीपी, लिंक, क्यूआर कोड, रिमोट कंट्रोल एप, लोन एप, फोन पे व गूगल पे पर रुपये की डिमांड भेजकर साइबर ठगी कर रहे हैं। आनलाइन ठगी का शिकार होने वाले 90 फीसद संख्या पुरुषों की हैं।

20 फीसद मामले एटीएम क्लोनिंग के 
मेरठ जिले में रोजाना तीन से चार साइबर ठगी की शिकायतें विभिन्न थानों से आ जाती हैं। इसमें जालसाज स्कैनर के जरिये एटीएम का क्लोन तैयार कर ले रहा है। रुपये निकालने के दौरान वह चतुराई के साथ पिन भी देख लेता है। बाद में वह एटीएम क्लोन के जरिये रुपये निकालता है। पुलिस के पास आने वाले 20 फीसद मामले एटीएम क्लोनिंग से संबंधित हैं।

इंटरनेट मीडिया पर महिलाएं साफ्ट टार्गेट 
एसपी क्राइम रामअर्ज ने बताया कि साइबर ठग इंटरनेट मीडिया पर भी लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं। साइबर अपराध में 30 फीसद अपराध इसी तरह के हैं। इसमें महिलाएं जालसाजों का साफ्ट टार्गेट हैं। इसमें कुछ लोगों का पीछा करके उनकी फेक आइडी तैयार करते हैं। उनके मित्रों को जानकारी लेते हैं और बाद में फेक आइडी के जरिये वह ठगी करते हैं।

फेसबुक के जरिये जालसाज लोगों से अपनी दोस्ती करते हैं। बाद में वाट्सएप व अन्य माध्यमों से उनसे लाइव चैटिंग करते हैं और बाद में यह उनका वीडियो तैयार करके उन्हें ब्लैकमेल करते हैं। इंटरनेट मीडिया पर जालसाजी का शिकार हुए लोगों में 60 फीसदी संख्या महिलाओं की है।

एसपी क्राइम ने बताया कि हमारा उद्देश्य लोगों को जागरूक करना है। ट्वीटर एकाउंट के माध्यम से लोगों को जागरूक किया जाएगा। जिससे वे साइबर अपराध की धाराओं को भी जानें। उन्होंने बताया कि साइबर अपराध के मामलों में वृद्धि हुई है। पुलिस लोगों को जागरूक भी कर रही है। इधर मिशन शक्ति के तहत भी महिलाओं व बालिकाओं को जागरूक किया जा रहा है। उसमें साइबर फ्राड से बचाव की भी जानकारियों दी जा रही हैं।

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