नई दिल्ली। पेगासस जासूसी कांड और किसान आंदोलन को लेकर संसद में जारी हंगामे के बीच कांग्रेस विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश में है। इसी सिलसिले में विपक्षी एकता को और मजबूत करने के लिए कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने आज यानी मंगलवार को विपक्षी दलों के नेताओं को कांस्टीट्यूशन क्लब में नाश्ते पर आमंत्रित किया।
मगर इस मीटिंग से अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी और मायावती की बसपा दूर ही रहीं। माना जा रहा है कि संसद में मोदी सरकार को घेरने के लिए रणनीति पर चर्चा करने के लिए राहुल गांधी ने ब्रेकफास्ट पर यह मीटिंग बुलाई है।
बैठक के दौरान राहुल गांधी ने विपक्षी पार्टियों से एकजुट होने की अपील करते हुए कहा, ‘हमें इस आवाज(लोगों की आवाज) को एकजुट करना होगा, ये आवाज जितनी एकजुट होगी उतनी ही मजबूत होगी। और भाजपा और आरएसएस के लिए इस आवाज को दबाना उतना ही मुश्किल होगा।’
दरअसल, दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में राहुल गांधी के बुलावे पर पेगासस कांड से किसानों के आंदोलन को लेकर मोदी सरकार को घेरने की रणनीति बनाने केल लिए विपक्षी दल सियासी चर्चा कर रहे हैं। इस ब्रेकफास्ट मीटिंग में राजद, तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना, समाजवादी पार्टी, जेएमएम, सीपीआईएम समेत अन्य कई दलों के नेता शामिल हुए हैं, मगर अब तक बसपा और आप की ओर से कोई शामिल नहीं हो पाया है।
सूत्रों की मानें तो सभी विपक्षी दलों के नेताओं को आज की बैठक में आमंत्रित किया गया है। विपक्ष के नेताओं को राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडगे की तरफ से निमंत्रण भेजा गया है। कांग्रेस की तरफ से तृणमूल कांग्रेस के साथ शिवसेना, डीएमके, लेफ्ट पार्टियां, राजद और सपा सहित कई पार्टियों को आमंत्रित किया गया था।
गौरतलब है कि मॉनसून सत्र में विपक्ष को एकजुट करने को लेकर राहुल गांधी काफी सक्रिय रहे हैं। विपक्षी नेताओं को नाश्ते पर आमंत्रित करने से पहले वह विपक्षी दलों की बैठक में भी हिस्सा ले चुके हैं। विपक्षी दलों की बैठक के बाद उन्होंने विपक्षी नेताओं के साथ मीडिया से भी बात की थी। उन्होंने पेगासस के मुद्दे पर सरकार पर कई गंभीर आरोप लगाए थे।