चंडीगढ़। पिछले लंबे समय से गुमनामी का जीवन व्यतीत कर रहे बालीवुड में 70 के दशक के चर्चित अभिनेता रहे रतन उर्फ रवि चोपड़ा का शुक्रवार की रात पंजाब के मलेर कोटला में निधन हो गया। उन्होंने अपने पुश्तैनी घर में अंतिम सांस ली। प्रशंसकों व जानकार लोगों को उनकी मौत के बारे में रविवार को पता चला। लॉकडाउन के दौरान यह दूसरा मौका है जब बालीवुड के चर्चित चेहरे की गुमनाम मौत हुई है।
वह लंबे समय तक पंचकूला के सेक्टर-26 में एक किराए के मकान में रहते थे। कैंसर का शिकार रवि चोपड़ा कई वर्षों से गरीबी में जीवन यापन कर रहे थे। उन्हें कभी भी बेहतर उपचार नहीं मिल सका। कई बार समाचार पत्रों में ऐसे समाचार भी आए जब पता चला कि रवि चोपड़ा मंदिरों व गुरूद्वारों में सेवा करके वहीं खाना खाते हैं और वहीं रहते हैं।
मरहूम रवि चोपड़ा ने वर्ष 1972 में फिल्म अभिनेत्री तनूजा के साथ फिल्म ‘मोम की गुडिय़ा’ मुख्य भूमिका निभाई थी। उनका वास्तविक नाम अब्दुल जब्बार खान था। इसके बाद उनके पास लोफर, आया सावन झूम के और जुगनू जैसी फिल्में के ऑफर आए लेकिन उन्होंने इन फिल्मों में काम नहीं किया। यही फिल्में अभिनेता धर्मेंद्र के करियर के लिए टर्निंग प्वांइट साबित हुई।