बच्चों की लाशों पर बिलखती मांएं, सड़कों पर पड़े शव… एक साल गाजा

इजराइली सेना के हमले में मारे गए अपने पति के जूतों को सीने से लगाकर रो रही महिला। मिसाइल विस्फोट के बाद मौत के मुंह से बचकर निकले डरे-सहमे शख्स। समय से पहले पैदा होने वाले नवजात। भूख के मारे जान गंवाने वाले बच्चे। गाजा में पिछले साल आज ही के दिन शुरू हुई जंग के बाद ऐसे कितने ही लम्हों की तस्वीरें दुनियाभर के पत्रकारों के कैमरों में कैद हुई हैं। हर तस्वीर के पीछे दर्दनाक कहानी है।

जंग में मौत, तड़प, भूख, तबाही और शर्मिंदगी जैसी हकीकत को बयां करने वाली 21 तस्वीरें…

जगह- सेंट्रल गाजा का दायर-अल-बलाह इलाका। 9 साल का खालिद जोदेह अपनी मां के चांद से माथे पर दिन-ब-दिन पड़ती जा रही शिकन से समझने लगा था कि कुछ बुरा हो रहा है। तभी 22 अक्टूबर को एक तेज धमाके में उसका पूरा परिवार खत्म हो गया।

उत्तरी गाजा से हवाई हमले शुरू करने वाली इजराइली सेना जंग के 15 दिन के भीतर गाजा पट्टी के बीचों-बीच पहुंच चुकी थी। जहां खालिद अपने परिवार के साथ रहता था। हमले में उसके माता-पिता के अलावा एक भाई और बहन की भी मौत हो गई थी। पूरे परिवार में सिर्फ वो और उसका 7 साल का छोटा भाई तामेर बचा था।

तामेर की हालत ठीक नहीं थी, हमले में उसकी पीठ और एक पैर में बुरी तरह चोट लगी थी। उम्र में तामेर से सिर्फ 2 साल बड़ा खालिद उसे जीने का हौसला देता था। तामेर रोता तो वो उसे गले लगाकर चुप कराता। खालिद कहता कि मां-बाबा आसमान से उसे देख रहे हैं, उसके रोने से उन्हें दुख पहुंचेगा।

गाजा में रोज होते धमाकों के बीच खालिद का हौसला भी कुछ समय बाद बेअसर होने लगा। कुछ ही दिन में तामेर ने दम तोड़ दिया। भाई की मौत के बाद खालिद रात में अचानक उठता और डर से चीखने लगता। कुछ महीनों बाद इजराइल के हमले में घायल होकर खालिद ने भी दम तोड़ दिया।

तस्वीर में 9 साल का खालिद अपनी भाई की मौत पर रो रहा है।

जगह- खान यूनिस। तारीख- 17 अक्टूबर 2023। रॉयटर्स के लिए काम करने वाले मोहम्मद सालेम को जानकारी मिली कि खाना यूनिस में इजराइल ने बड़ा हमला किया है। सालेम तेजी से खान यूनिस के अस्पताल पहुंचा। वहां मची भगदड़ के बीच उसकी निगाह एक औरत पर पड़ी, जो अपनी गोद में बच्चे की लाश लिए रो रही थी।

अस्पताल के लोग उसे मना रहे थे कि वो लाश अपनी गोद से उतार दे, लेकिन वह मानने को तैयार नहीं थी। पूछताछ पर पता चला कि औरत का नाम इनास अबु मामार है, जिसका घर खान यूनिस पर हुए हमले में तबाह हो गया था। उसके परिवार के सारे लोग मारे गए थे। उसकी गोद में जो मरा हुआ बच्चा था, वह उसकी 5 साल की भतीजी सैली थी।

ये तस्वीर फिलिस्तीन के फोटो जर्नलिस्ट मोहम्मद अलालौल की है। उसकी गोद में सफेद चादर में लिपटा हुआ कोई और नहीं, उसका बच्चा है। ये बच्चा 5 नवंबर को अल मगाजी रिफ्यूजी कैंप पर हुई इजराइली स्ट्राइक में मारा गया था।

गाजा में मौत किसी से भेदभाव नहीं करती, इजराइली बमबारी का रूप लेकर वो कभी भी, कहीं भी आ सकती है। मोहम्मद अलालौल 5 नवंबर को जब घर पहुंचे तब तक उनके चारों बच्चे मारे जा चुके थे। हमला रात में हुआ, उस वक्त सब लोग सो रहे थे।

वो कहते हैं-

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बच्चों से भरा मेरा घर मलबे के ढेर में बदल गया।

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फिलिस्तीन की रानिया को 7 अक्टूबर के कुछ हफ्ते बीतने के बाद ही दो जुड़वा बच्चे हुए। घर में खुशियां मनाई गईं। रानिया ने एक का नाम वेसाम रखा और दूसरे का नईम। दोनों 6 महीने के भी नहीं हुए थे कि इजराइल की बमबारी में उनकी मौत हो गई। रानिया सफेद चादर में ढ़क कर उन पर रो रही हैं। वह पूछती हैं- मेरे बच्चों को क्या कसूर था।

नोट- जंग के एक साल में इजराइली हमलों में गाजा के 40 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। 7 अक्टूबर के हमले में इजराइल के 1200 नागरिक मारे गए थे। इजराइल ने 365 दिनों में अपने एक नागरिक के बदले 35 लोगों को मारा।

7 अक्टूबर को शुरू हुए इजराइली हमलों से गाजा के अस्पतालों में अधमरे और जख्मों से तड़पते लोगों की भीड़ लगने लगी थी। डॉक्टरों को चुनना पड़ रहा था कि वो किसे बचाएं और किसे मरने के लिए छोड़ दें।

अस्पतालों में दवाइयां, ऑक्सीजन सिलेंडर, एनेस्थीसिया की कमी होने लगी। कई घायलों का इलाज बिना एनेस्थीसिया के करना पड़ा। ये तस्वीर गाजा के सबसे बड़े अस्पतालों में से एक अल अक्सा की है। 5 नवंबर को भर्ती हुए मरीज का फर्श पर इलाज करना पड़ा। फोटो- NYT

गाजा में कुछ लोग इमारतों के मलबे में दबकर मारे गए तो कुछ कार्डियक अरेस्ट से। कई अस्पतालों में डॉक्टरों ने कार्डियक अरेस्ट के मरीजों की बजाय उन लोगों को बचाना बेहतर समझा, जिनके जिंदा रहने की उम्मीद ज्यादा थी।

इन हालात के बीच वॉलंटियर्स ने CPR देना सीखा, ताकि वे लोगों की जान बचा सकें। तस्वीर अल शिफा अस्पताल की है। 16 अक्टूबर को इजराइली हमले में घायल हुए शख्स को सिविल डिफेंस का सदस्य CPR दे रहा है। फोटो- गार्जियन

अस्पतालों में जगह की कमी होने की वजह से डॉक्टरों को मरीजों को ही टेबल बनाना पड़ा था। इजराइल के हमलों से गाजा के अस्पतालों में सिर्फ इलाज के लिए नहीं, लोग पनाह लेने के लिए भी भीड़ लगाने लगे थे।

ये सिलसिला कुछ ही समय चला, इसके बाद इजराइल ने अस्पतालों को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया। फोटो- NYT

गाजा की जंग का असर 50 हजार से ज्यादा गर्भवती महिलाओं पर पड़ा। 20 नवंबर 2023 को गाजा के सबसे बड़े अल-शिफा अस्पताल में 29 गर्भवती महिलाओं ने प्रीमैच्योर बच्चों को जन्म दिया, जिन्हें अस्पताल में इजराइली सेना के चलाए जा रहे ऑपरेशन के बीच सुरक्षित तरीके से निकाल कर मिस्र के एक अस्पताल में ट्रांसफर किया गया था। फोटो सोर्स- AFP

नोट- गाजा के 36 अस्पतालों में 31 को इजराइली हवाई हमलों में भारी नुकसान हुआ। सबसे बड़े अस्पताल अल शिफा को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया गया।

ये तस्वीर 13 मार्च 2024 की है। रमजान का महीना था, लेकिन जंग जारी थी। इस बीच भीड़ में एक फिलिस्तीनी बच्ची खाना हासिल करने की कोशिश कर रही है।

गाजा में जो लोग इजराइली हमलों से बच गए, उनमें से कइयों की भूख से मौत हो गई। 29 फरवरी को खाना लेने पहुंचे गाजा के लोगों पर इजराइल के सैनिकों ने फायरिंग कर दी थी। न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक, इस दौरान 112 फिलिस्तीनी मारे गए थे। 760 लोग घायल हुए थे।

सफाई में इजराइली सेना ने सिर्फ इतना कहा-

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सभी लोगों ने जरूरत का सामान लूटना शुरू कर दिया। वो हमारी तरफ बढ़ रहे थे, हमें लगा वो लोग खतरनाक हो सकते हैं, इसलिए फायरिंग की।

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27 मई को इजराइली सेना ने गाजा के सबसे दक्षिणी किनारे पर बसे राफा शहर पर हमला किया। इस दौरान जंग से बेघर लोगों कई कैंप और उसमें रखा सामान जलकर राख हो गया। फिलिस्तीनी बच्चे उस राख में खाने की तलाश कर रहे हैं। फोटो- रॉयटर्स

365 दिनों की जंग के दौरान कई बार ऐसा हुआ जब इजराइल पर आरोप लगे कि वह खाने से भरे ट्रकों को गाजा में एंट्री लेने से रोक रहा है। हफ्तों तक आरोप-प्रत्यारोप जारी रहा। गाजा में भूख से लोग मरते रहे। इस बीच 23 अप्रैल को वहां पैराशूट के जरिए खाने का सामान गिराया गया। फोटो- AFP

नोट- गाजा उत्तर और पूर्व में इजराइल से घिरा है। दक्षिण में मिस्र है और पश्चिम में भूमध्य सागर। जंग छिड़ते ही इजराइल ने सबसे पहले गाजा में ब्लॉकेड शुरू किया। गाजा के रक्षा मंत्री योव गैलेंट ने कहा था- हम गाजा का खाना-पानी सब बंद कर देंगे। तब से खाने से लेकर दवाइयों तक गाजा में इजराइल की मंजूरी के बगैर कोई सामान नहीं आता।

गाजा में मौत ही सबसे दर्दनाक नहीं है। उससे दर्दनाक है नग्न कर प्रताड़ित और शर्मिंदा किया जाना। 8 दिसंबर की बात है, इजराइली मीडिया हाउस हारेट्ज के पत्रकार मोटी मिलरोड ने इजराइली सेना और हमास लड़कों की एक झड़प के बाद एक फोटो खींची।

तस्वीर में इजराइली सेना फिलिस्तीनियों को अर्धनग्न कर एक ट्रक में भरकर ले जाते दिखाई दे रहे हैं। ट्रक में एक महिला और कुछ छोटे बच्चे हैं। इसके बाद कई मीडिया रिपोर्ट्स आई, जिनमें दावा किया गया कि इजराइल बिना सबूत निर्दोष फिलिस्तिनियों को हिरासत में लेकर टॉर्चर कर रहा है।

एक चश्मदीद हेबा ने अल जजीरा को आपबीती सुनाई। उन्होंने कहा- वह ऐसा दिन था, जिसे भूला नहीं जा सकता। पहले उन्होंने मेरे पति को प्रताड़ित किया। इसके बाद उसके जबड़े को तोड़ दिया। उन्होंने उसके चेहरे पर बहुत मारा। वे तब तक मारते रहे, जब तक मेरे पति के हाथ से खून नहीं बहने लगा।

उसने कहा- सैनिकों ने पहले सभी पुरुषों के कपड़े उतरवाए, उन्हें प्रताड़ित किया और फिर मार डाला। हम यह सब देख रहे थे। हमें लग रहा था कि अब हमारी बारी है। हेबा का बेटा आदि सालेम उन चंद लोगों में से था, जो यहां से जीवित बच सका।

हिंदू, मुस्लिम, ईसाई, यहूदी सभी धर्मों में मौत के बाद मरने वाले शख्स को पूरे सम्मान के साथ विदाई दी जाती है। जंग में जब रोज 100 से ज्यादा लोग मारे जा रहे हों, परिवार के परिवार खत्म हो जा रहे हों ऐसे में फिलिस्तीनी सम्मान से दफनाए जाने की उम्मीद भी नहीं कर सकते।

तस्वीर 22 नवंबर की है, जब इजराइली हमले में मारे गए फिलिस्तीनियों को एक के ऊपर एक फेंक कर उन्हें दफन कर दिया गया। फोटो- AFP

12 दिसंबर 2023 को इजराइली सेना ने दक्षिणी गाजा पट्टी के राफा में कुवैती अस्पताल के पास भारी बमबारी की। अस्पताल के बाहर तंबू में सो रही फिलिस्तीनी बच्ची सिदाल अबू जामिया की विस्फोट के बाद सिर में एक छर्रे लगने से मौत हो गई। उसकी पहचान करने के लिए नर्स ने उसके पेट पर नाम और पता लिखा।

14 जून को इजराइली हमले में घर तबाह होने के बाद एक महिला को मलबे के ढेर से बाहर निकाला गया। गाजा में लोगों की मौत अपने ही घरों के मलबे में दबकर हुई है।

9 अक्टूबर को इजराइल की एयरस्ट्राइक के बाद तबाह हुए अपने घरों को देखने के लिए लौटते हुए फिलिस्तीनी। फिलिस्तीन की कुल आबादी 21 लाख के करीब है। जंग शुरू होने के बाद यहां से 17 लाख से ज्यादा लोग अपने घर छोड़कर कैंपों में शिफ्ट हो चुके हैं।

(नोट- गाजा में इतना मलबा है कि इससे मिस्र का सबसे बड़ा पिरामिड गीजा 11 बार भरा जा सकता है। मलबे में 10 हजार लोगों के साथ वे मिसाइलें भी दफन हैं, जो फटी नहीं)

इजराइल के हवाई हमले में पति की मौत के बाद उसकी आखिरी निशानी उसके खून से सने जूतों को अपने सीने से लगाकर रोती फिलिस्तीनी महिला।

जुलाई में खान यूनिस के नासेर अस्पताल से फिलिस्तीनियों की लाशें इकट्ठी कर अंतिम संस्कार के लिए लाई गई। इस दौरान अपने पिता की आखिरी निशानी उनके जूतों को पकड़कर बिलखता फिलिस्तीनी बच्चा।

4 मार्च 2024 को गाजा में 9 साल के यजान कफरनेह की मौत भूख की वजह से हो गई। उसकी मां ने रोते हुए कहा कि यजान को बचाने के लिए किसी चमत्कार की नहीं बस समय से पौष्टिक भोजन दिए जाने की जरूरत थी।

उसे जन्म से ही एक बीमारी था। जंग शुरू होने के बाद सही से भोजन नहीं मिलने की वजह से उसकी बीमारी बढ़ती चली गई और अंत में भूख से ही उसकी मौत हो गई। 22 मार्च को यूनिसेफ ने अपनी रिपोर्ट में बताया कि यजान की तरह ही गाजा में 22 लाख लोगों के पास सही से खाने के लिए भोजन नहीं है। जंग शुरू होने के बाद यहां 10 लाख से ज्यादा लोग भूखे या आधा पेट खाकर जी रहे हैं।

5 साल की अया गाजा के उन हजारों बच्चों में शामिल है, जो जंग शुरू होने के बाद अपने परिवार के साथ संयुक्त राष्ट्र के राहत शिविर में रह रही है। हाथ में खिलौना लिए अया बम और बारूद लेकर शिविर के ऊपर से गुजर रहे इजराइल के लड़ाकू विमान को देख रही है।

7 अक्टूबर 2023 को जंग के पहले दिन हमास के हमले के बाद गाजा के आसमान में इजराइली फाइटर जेट्स की आवाज गूंजने लगी थी। इस दौरान UN के स्कूल से अपनी बहन को गोद में लिए एक बच्चा आसमान देख रहा है।

(नोट- गाजा जंग में अब तक 16 हजार बच्चे मारे गए हैं, 18 हजार से ज्यादा बच्चे अनाथ हो गए हैं)

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