न्यूयॉर्क। सत्ता संभालने के बाद बाइडन प्रशासन ने सातवें दिन H1B श्रमिकों के जीवनसाथी के लिए बड़ी राहत प्रदान किया है। H1B वीजा धारकों के जीवनसाथी के अमेरिका में काम करने की अनुमति मिल गई है। इसके साथ बाइडन प्रशासन ने अपने पुर्ववर्ती ट्रंप प्रशासन के फैसले का उलट दिया है।
ट्रंप सरकार ने यह कहते हुए इस कदम को उचित ठहराया था कि यह देश हित में है। यह अमेरिका के लिए आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है। इसका मकसद ज्यादातर विदेशी श्रमिकों को अमेरिका से बाहर रखना था। H-1B वीजाधारकों के जीवनसाथियों को एच-4 वीजा के तहत अमेरिका में काम करने की अनुमति ओबामा प्रशासन द्वारा प्रदान की गई थी, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने कथित तौर पर एक एजेंडे के तहत इसे समाप्त करने की कोशिश की।
बता दें कि H-1B वीजा धारकों के जीवनसाथियों को जारी किया जाता है। वीजा धारकों में अधिकतर उच्च कौशल वाली भारतीय महिलाएं शामिल हैं। अमेरिकी नागरिकता और आव्रजन सेवाएं (यूएससीआईएस) विभाग द्वारा H-4 वीजा, H-1B वीजा धारकों के परिवार के सदस्यों (जीवन साथी और 21 साल से कम उम्र के बच्चों) के लिए जारी किया जाता है।
H-1B वीजा धारकों में अधिकतर भारतीय आईटी पेशेवर है। यह आमतौर पर उन लोगों को जारी किया जाता है, जो रोजगार के आधार पर स्थायी निवासी का दर्जा हासिल करना चाहते हैं। बाइडन प्रशासन के इस अहम फैसले से H1B वीजा धारक कर्मचारियों को एच-4 वीजाधारक जीवनसाथियों को काम जारी रखने की अनुमति प्रदान कर दी है।
गौरतलब है कि अमेरिका में 60 सांसदों के एक समूह ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति जो बाइडन से वीजा के संबंध में पूर्ववर्ती ट्रंप प्रशासन की एक नीति को बदलने का अनुरोध किया था। सांसदों ने एच-4 वीजा प्राप्त लोगों के दस्तावेज की वैधता की समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया था।
उस वक्त उम्मीद की जा रही थी बाइडन H-1B सहित अन्य उच्च कौशल वीजा की सीमा बढ़ा सकते हैं। इसके अतिरिक्त विभिन्न देशों के लिए रोजगार आधारित वीजा के कोटा को समाप्त कर सकते हैं। इन दोनों कदमों से हजारों भारतीय पेशेवरों को लाभ होगा। ट्रंप प्रशासन की कुछ आव्रजन नीतियों से भारतीय पेशेवर बुरी तरह प्रभावित हुए थे।