मॉस्को/वारसा (पोलैंड)। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने यूक्रेन जंग पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बयानों का सख्त लहजे में जवाब दिया। पौलेंड में मंगलवार देर रात बाइडेन ने कहा कि अमेरिका और नाटो यूक्रेन के साथ थे और रहेंगे। रूसी फौज ने जुल्म किया है। महिलाओं से रेप को हथियार की तरह इस्तेमाल किया। पुतिन याद रखें कि वो यूक्रेन को कभी नहीं जीत पाएंगे।’ बाइडेन यूक्रेन के अचानक दौरे के बाद मंगलवार को पौलेंड पहुंचे। यहां एक सभा को संबोधित किया।
इससे पहले मंगलवार को ही रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था, ‘रूस ने शुरुआत में जंग को टालने के लिए तमाम डिप्लोमैटिक कोशिशें कीं, लेकिन नाटो और अमेरिका ने इन्हें कामयाब नहीं होने दिया। हम अब भी बातचीत चाहते हैं, लेकिन इसके लिए शर्तें मंजूर नहीं हैं।’
बता दें कि रूस-यूक्रेन जंग को 24 फरवरी को एक साल पूरा हो रहा है।
बाइडेन के भाषण की 3 अहम बातें…
- रूसी राष्ट्रपतति पुतिन का दावा गलत: पुतिन कहते हैं कि हम रूस को कंट्रोल करना चाहते हैं। मैं आज रूस के लोगों को यही बताना चाहता हूं कि अमेरिका या यूरोप के लोग रूस को तबाह नहीं करना चाहते। रूस ने यूक्रेन के बच्चों का भविष्य छीन लिया। ट्रेन, स्कूल, हॉस्पिटल और अनाथालय पर बम बरसाए गए। इन चीजों को कैसे नजरअंदाज किया जाए। यूक्रेन के लोग भी खास हैं और मैं दावे से कह सकता हूं कि रूस कभी यूक्रेन को नहीं जीत सकता।
- यूक्रेन का साथ कभी नहीं छोड़ेंगे : इस बात में कोई शक नहीं होना चाहिए कि अमेरिका हर हाल और हर वक्त यूक्रेन के साथ खड़ा है। पुतिन को यह याद रखना होगा कि नाटो में बंटवारा मुमकिन नहीं है। हम बिना रुके और बिना थके यूक्रेन की मदद करते रहेंगे। पुतिन जमीन पर कब्जे के लिए यह सब कर रहे हैं।
- तानाशाही के लिए एक शब्द- नहीं और नहीं: यूक्रेन के लोग अपने वतन से मोहब्बत के चलते जान देने को तैयार हैं। तानाशाहों और तानाशाही के लिए सिर्फ एक शब्द है- नहीं, नहीं और नहीं। कोई आपके मुल्क पर कब्जा नहीं कर सकता। आपकी आजादी नहीं छीन सकता और न आपके सपने और भविष्य छीन सकता। यूक्रेन पर हमला सिर्फ यूक्रेन का ही इम्तिहान नहीं है, ये पूरी दुनिया की परीक्षा है।
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पुतिन का आरोप- जंग की शुरुआत वेस्टर्न पावर्स की वजह से
रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने मंगलवार दोपहर संसद को संबोधित किया था। इस दौरान उन्होंने कई मुद्दों पर बात की थी। पुतिन ने कहा- सच्चाई ये है कि इस जंग की शुरुआत वेस्टर्न पावर्स की वजह से हुई। हमने उस वक्त भी हर मुमकिन कोशिश की। वो लोग कीव और यूक्रेन के कंधों पर रखकर बंदूक चला रहे हैं, उन्हें मूर्ख बना रहे हैं। हम अपने वतन की हिफाजत करना बखूबी जानते हैं।अमेरिका और उसके साथी महज अपना दबदबा बढ़ाने की साजिश की खातिर दूसरों को मोहरा बना रहे हैं। वेस्टर्न पावर ने ही जंग के जिन्न को बोतल से बाहर निकाला है, और वो ही इसे वापस बोतल में डाल सकते हैं। हम तो सिर्फ अपने देश और लोगों की हिफाजत करना चाहते हैं और यही कर भी रहे हैं।
पुतिन ने कहा कि हम जंग नहीं चाहते थे, लेकिन हर हाल में अपने देश की रक्षा करेंगे।पुतिन के भाषण की 3 अहम बातें…
- वेस्टर्न लीडर्स ने सिर्फ धोखेबाजी की: जहां तक डोनबास इलाके का मामला है तो हमने हमेशा कहा कि पहले इसे शांति से सुलझा लीजिए, लेकिन रूस पर इल्जाम लगाने वाले ये भी देख लें कि वेस्टर्न लीडर्स का क्या रोल रहा। इन लोगों ने लगातार धोखेबाजी की और झूठ बोला। वेस्टर्न पावर सम्मान देना नहीं जानते। वो पूरी दुनिया पर थूकने की कोशिश करते हैं। यही तरीका वो अपने देश की जनता के साथ भी अपनाते हैं।
- कीव अकेले नहीं सुलझा सकता मसला: वेस्ट की हरकतों की वजह से हमें यूक्रेन पर हमला करना पड़ा। अपनी हिफाजत के लिए, यूक्रेन पर अटैक जरूरी था। डोनबास के लोगों ने तो रूस सरकार से मदद मांगी थी। जिस तरह इन ताकतों ने यूगोस्लोवाकिया, इराक, लीबिया और सीरिया को तबाह किया, वही ये यूक्रेन के साथ भी करना चाहते हैं। ये ध्यान रखना चाहिए कि रूस अपनी इज्जत से समझौता नहीं करेगा। कीव में इतनी ताकत नहीं कि वो अकेले डोनबास का मसला सुलझा ले।
- अमेरिका ने रूस को नजरअंदाज किया: हमें तो वेस्टर्न पावर्स से भी बातचीत करने में कोई दिक्कत नहीं है। हम चाहते हैं कि हमारे बीच जॉइंट सिक्योरिटी स्ट्रक्चर हो। इसके लिए मैंने खुद कई साल तक कोशिश की, लेकिन अमेरिका और दूसरे वेस्टर्न पावर हल चाहते ही नहीं है। हमें हमेशा इग्नोर किया गया।
पुतिन का भाषण सुनने के लिए मौजूद 1500 से ज्यादा सांसद और फौज के अधिकारी।पुतिन ने अमेरिका के साथ न्यूक्लियर ट्रीटी सस्पेंड की पुतिन ने भाषण के आखिरी मिनटों में अहम घोषणा की। उन्होंने कहा है कि रूस परमाणु हथियारों को लेकर अमेरिका के साथ की गई स्टार्ट न्यू स्टार्ट ट्रीटी को नहीं मानेगा। इसे सस्पेंड किया जा रहा है।
क्या है न्यू स्टार्ट ट्रीटी
- 5 फरवरी 2011 को रूस और अमेरिका के बीच न्यू स्टार्ट ट्रीटी को लागू किया गया था।
- ट्रीटी का मकसद दोनों देशों में परमाणु हथियारों की संख्या को सीमित करना था।
- दोनों देशों ने तय किया था कि वो अपने पास 1550 से ज्यादा परमाणु हथियार और 700 से ज्यादा स्ट्रैटेजिक लॉन्चर नहीं रखेंगे।
- इसकी अवधि दस साल यानी साल 2021 तक थी। बाद में इसे 5 साल बढ़ाकर 2026 तक कर दिया गया था।
इसके मायने क्या हैं
- ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ से बातचीत में NATO के सेक्रेटरी जनरल जेन्स स्टोलेनबर्ग ने पुतिन के फैसले पर कहा- इससे तो एटमी हथियारों पर कंट्रोल का पूरा सिस्टम ही तबाह हो जाएगा। रूस को फैसले पर फिर विचार करना चाहिए।
- अमेरिकी विदेश मंत्रालय के मुताबिक- इस फैसले में कुछ नया नहीं है, क्योंकि रूस पहले ही इस करार का पालन नहीं कर रहा था। हमने जनवरी में ही इस बारे में जानकारी दे दी थी। रूस ने अमेरिकी टीम को अपनी न्यूक्लियर साइट्स के इन्सपेक्शन से रोक दिया था।
- वैसे, पुतिन ने एक रास्ता खुला रखा है। खुद पुतिन ने कहा- हम एटमी ट्रीटी को छोड़ नहीं रहे हैं, फिलहाल इसे सस्पेंड किया गया है। अभी इस बारे में विचार किया जाना है। नाटो, फ्रांस और ब्रिटेन के पास तो काफी बड़ा एटमी जखीरा है।
सोमवार को कीव पहुंचे थे बाइडेन
कीव में जेलेंस्की ने बाइडेन को रिसीव किया था। इसके बाद दोनों प्रेसिडेंट्स पैदल कीव की सड़कों पर टहलते नजर आए थे। -
इससे पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन सोमवार को अचानक यूक्रेन की राजधानी कीव पहुंचे। यहां वे यूक्रेन के राष्ट्रपति वोल्दोमिर जेलेंस्की के साथ नजर आए। बाइडेन का यह दौरा चौंकाने वाला है। इसकी किसी को कानों-कान खबर नहीं हुई। दरअसल, प्रेसिडेंट बाइडेन शनिवार रात (भारत में रविवार तड़के) पोलैंड गए थे। यहां से वो एक घंटे का सफर करके ट्रेन के जरिए कीव पहुंच गए।