बाबू ने अधिकारी से रिश्वत में मिले रुपए गलती से सरकारी खजाने में…

गौतमबुद्धनगर (नोएडा) । पावर कॉर्पोरेशन में भ्रष्टाचार का एक अजीब मामला सामने आया है। इसमें पावर कॉर्पोरेशन के चेयरमैन ने कार्रवाई करते एक्सईएन और बाबू को बर्खास्त कर दिया है। बर्खास्त होने वाले इंजीनियर संजय शर्मा और बाबू महेश कुमार हैं। वहीं, इस मामले में महेश चंद्रा नाम के एक इंजीनियर को डिमोट कर दिया गया है।

लेकिन हैरान करने वाली बात है कि घूस इंजीनियर ने लिया और बर्खास्त बाबू को किया गया है। जबकि बाबू की गलती बस इतनी है कि उसने घूस के रकम को सरकारी खाते में जमा करा दिया।

दरअसल, मामला 2019 का है। इंजीनियर संजय शर्मा के पास घूस के 54 लाख रुपए आए। उस पैसे को उसने अपने बाबू महेश कुमार को दे दिया। बताया जा रहा है कि बाबू ही एक्सईएन का पूरा काम देखता था। पैसा देने के बाद इंजीनियर उसको यह बताना भूल गया कि यह घूस है। ऐसे में बाबू ने गलती से उस पैसे को तब के विजया बैंक (मौजूदा समय इसको बैंक ऑफ बड़ौदा में मर्ज कर दिया गया है) के खाते में बिजली बिल के रूप में जमा करा दिया।

उसको लगा कि किसी बड़े इंडस्ट्री वाले से एडंवास पैसा जमा कराया गया है। जब आखिर में पावर कॉर्पोरेशन के अकाउंट मिलाया जाने लगा तो पता चला कि अकाउंट में 54 लाख रुपये ज्यादा आ गए हैं। वहीं, दूसरी तरफ घूस का पैसा जब बांटने की बारी आई तो पता चला कि वह तो गलती से बिल का अमाउंट समझकर जमा हो गया है। मामले में तात्कालिक सीनियर अधिकारियों ने जांच बैठा दी।

झूठे गवाही देते रहा लेकिन हर बार खुल गई पोल
मामला खुला तो सच को छुपाने के लिए दोषी की तरफ से झूठे गवाह पेश कर दिए गए। लेकिन हर बार पोल खुल गई। हालांकि इस दौरान करीब डेढ़ साल से ज्यादा का समय लग गया। उसने पहले बताया कि पैसा कुछ लोगों से एडवांस लिया है। लेकिन उसके लिए पेश की गई दलील पकड़ में आ गई।

उसने करीब 30 लोगों की एक सूची दी। बताया कि इन लोगों ने पैसा दिया था। यह एडवांस का पैसा है , लेकिन किसी की रसीद नहीं काटी गई थी। विभागीय नियमावली में इसे गलत पाया गया। साबित हुआ कि इस पैसे को खुद के लिए लिया गया था।

झूठा एफिडेबिट दिए लेकिन लोग नहीं मिले
पहला झूठ पकड़े जाने के बाद उसने सभी 30 लोगों का एफिडेविट जमा कर दिया। इसकी भी जांच बैठी। इसमें यह साबित हुआ कि सभी एफिडेविट एक ही जगह से बनाया गया है। इसके अलावा इन सभी लोगों की तरफ से जो अमाउंट बताया गया था, उसको जोड़ देने के बाद 32 लाख रुपये भी नहीं हो रहे थे।

ऐसे में 22 लाख रुपए फिर भी ज्यादा निकल आए। अब इस झूठ को एक्सईएन और बाबू साबित नहीं कर पाए। मामले विभागीय नियमावली के तहत अधिकारी भी सीधे बर्खास्तगी की कार्रवाई की गई।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here