लखनऊ। बाराबंकी के बुढ़वल और सीतापुर के महोली के गन्ना किसानों के लिए खुशखबरी है। अब उन्हें अपना गन्ना दूर दराज की चीनी मिलों में ले जाने की जहमत नहीं उठानी पड़ेगी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उ.प्र.राज्य चीनी निगम की बरसों से बंद पड़ी इन दोनों चीनी मिलों को फिर से शुरू किये जाने के प्रस्ताव पर अपनी सैद्धांतिक सहमति दे दी है। इन दोनों मिलों के संचालन से इन दोनों जिलों में मिलों के आसपास का क्षेत्र एक बार फिर जगमगाने लगेगा और इलाके का आर्थिक विकास भी होगा।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार यह दोनों मिलें पीपीपी माडल पर फिर से अत्याधुनिक मशीनरी के साथ तैयार की जाएंगी। इनमें गन्ने की पेराई के अलावा गन्ने की खोई से बिजली बनाने का कोजेन प्लांट और डिस्टलरी भी लगायी जाएंगी। इन दोनों मिलों में पेराई वर्ष 2022 से शुरू किये जाने की तैयारी है। गन्ना मंत्री सुरेश राणा ने निगम की बंद पड़ी मिलों को फिर से चलाने की तैयारी की पुष्टि की थी।
पिछले बसपा राज में वर्ष 2010-11 में 21 चीनी मिलों को औने-पौने दामों पर निजी कम्पनियों को बेचे जाने के मामले में सीबीआई जांच के घेरे में फंसकर बदनाम हुआ उत्तर प्रदेश राज्य चीनी निगम लि.अब एक बार फिर अपने पैरों पर खड़ा होने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर गोरखपुर की पिपराइच और बस्ती की मुण्डेरवा की दशकों से बंद पड़ीं और अब फिर से नव निर्मित चीनी मिलों में इस बार बेहतर उत्पादन हुआ।
पिपराइच वर्ष 2007-08 से और मुण्डेरवा 1998-99 से बंद पड़ी हुई थीं। इन दोनों मिलों के पुराने प्लांट काफी जर्जर हो चुके थे, उन्हें हटाकर बिल्कुल नये व अत्याधुनिक प्लांट लगाये गये।
अब प्रदेश सरकार इस निगम की आठ और बंद पड़ी चीनी मिलों को फिर से शुरू करने पर गौर कर रही है। इसमें सीतापुर की महोली और बाराबंकी की बुढ़वल के आसपास तो गन्ने की पर्याप्त उपलब्धता भी है। मथुरा की छाता चीनी मिल के आसपास कुछ प्रयासों से गन्ना विकास हो सकता है। कानपुर देहात की घाटमपुर, गाजीपुर की नंदगंज, गोण्डा की नवाबगंज मिलों के आसपास गन्ना क्षेत्र विकसित हो जाए तो यह मिलें भी फिर से चलायी जा सकती हैं।