बाराबंकी। पूरा देश कोरोना की महामारी से जूझ रहा है। गांवों में संक्रमण ऐसा कि पूरे के पूरे गांव के गांव तबाह हो रहे हैं। घरों में लोग बुखार से तप रहे हैं। ऐसे में बाराबंकी के बिशुनपुर ककहरिया गांव में जुआरी अपनी महफिल सजा रहे हैं। इनको न तो कोरोना का भय है और न ही प्रशासन की गाइडलाइन का कोई इल्म। लॉकडाउन के चलते सुबह से ही दर्जनों युवक यहां महफिल सजा देते हैं। ताश के पत्तों पर अपनी गाढ़ी कमाई दांव पर लगाते रहते हैं।
लाखों रुपयों के साथ लगा रहे जान की बाज़ी
दर्जनों की संख्या में जुआरी सुबह से लेकर शाम तक इसी तरह खेतों में फड़ बनाकर ताश के पत्ते खेलते रहते हैं। संक्रमण काल में जुआरी यहां लाखों रुपये के वारे न्यारे करते हैं। इन जुआरियों के चेहरों पर न तो मास्क रहता है और ना ही सामाजिक दूरी का कोई प्रोटोकॉल। यहां ताश खेल रहा युवक बताता है कि हजार, दो हजार और पांच हजार तक के दांव लगते हैं। पूरे दिन में गेम लाख से दो लाख तक हो जाता है। तीन चाल गांव के युवक यहां खेलने के लिए पहुंच जाते हैं।
लाॅकडाउन है इसलिए कोई काम नहीं
इसमें ज्यादातर युवा ऐसे हैं जो लखनऊ, दिल्ली और पंजाब के शहरों में काम करते थे। लेकिन लॉकडाउन होने के कारण वहां काम बंद हो गया है। इसलिए गांव में खाली बैठे हैं, गांव के ही एक बुजुर्ग बताते हैं कि इन दिनों खेतों पर भी कोई काम नहीं है, इसलिए ये युवक जुआ खेला करते हैं। कई बार हार जीत पर झगड़ा भी हो जाता है। अब इसे जागरूकता की कमी कहें या फिर पुलिस प्रशासन का ढीला रवैया। लेकिन सच्चाई यही कि ये जुआरी अपने साथ-साथ अन्य गांव वालों को भी ख़तरे में डालने का काम कर रहे हैं।