बाराबंकी। उत्तर प्रदेश के बाराबंकी जिले में इस साल बाढ़ ने समय से पूर्व अपनी दस्तक दी है। अमूमन हर साल 15 अगस्त के बाद घाघरा नदी के तटवर्ती इलाकों में बाढ़ की स्थिति बनती थी। लेकिन यहां अब तक 100 से अधिक गांवों में बाढ़ का पानी पहुंच चुका है। नदी खतरे के निशान को पार कर गई है। ऐसे में गांव के लोग सुरक्षित स्थानों पर पलायन करने को मजबूर हो रहे हैं। जिले के अधिकारियों और नेताओं ने बाढ़ प्रभावित गांवों का दौरा किया है।
इन गांवों के लोग पलायन करने को मजबूर
नेपाल के पहाड़ों पर बारिश और लगातार पानी छोड़े जाने से नदी का जलस्तर भी तेजी से बढ़ रहा है। रामनगर तहसील क्षेत्र में कोरिनपुरवा मजरे तपेसिपाह, जैनपुरवा, मल्हानपुरवा, सिसौड़ा, लहडरा, ऐमा, हरिनारायणपुर गांव बाढ़ के पानी से घिर गए हैं। वहीं सूरतगंज क्षेत्र के बलईपुर, कोरियनपुरवा, तपेसिपाह, सिसौंडा, मल्लाहनपुरवा, लहडरा, दुर्गापुर, नामेपुर सिरौली, हेतमापुर, कंचनापुर समेत 100 से अधिक गांवों के निकट पानी पहुंच गया है। गांवों में पानी भरने से कई जगह संपर्क मार्ग कट गए और किसानों की फसलों को भी भारी नुकसान पहुंचा है। घरों में पानी घुसने से यहां कई गांव के लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जा रहा है।
हर साल की यही कहानी, नहीं सुनते अफसर
बाढ़ पीड़ितों ने बताया कि उनके गांव में पानी काफी बढ़ चुका है, कई लोग गांव से पलायन कर चुके हैं और अब हम लोग भी सामान लेकर बंधे पर जा रहे हैं, अगर ऐसे ही पानी बढ़ता रहा तो पूरा गांव डूब जाएगा। ग्रामीणों का कहना है कि हर साल बाढ़ आती है, गांव के संपर्क मार्ग कट जाते हैं। हर बार हम अफसरों से शिकायत करते हैं। मगर कोई मदद नहीं मिलती। हमारा गांव पानी से चारों तरफ से घिरा है। गांव के लोग बहुत परेशानी उठाते हैं।
विधायक ने कहा- राहत सामग्री बांटी जा रही
वहीं बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा करने पहुंचे रामनगर विधायक शरद अवस्थी ने बताया कि ग्रामीणों को राहत सामग्री पहुंचाई जा रही है। इसके अलावा ग्रामीणों से भी उनकी समस्याओं को लेकर बातचीत की जा रही है। उन्होंने बताया कि बाढ़ को लेकर अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए गए हैं। प्रभावित परिवारों को राहत सामग्री जैसे तिरपाल, पन्नी आदि का वितरण करवाया गया है और बाढ़ पीड़ितों की आगे भी हर सम्भव मदद की जाएगी।