लखनऊ। पंजाब के रोपड़ से यूपी के बांदा तक साढ़े 14 घंटे सफर के बाद बाहुबली मुख्तार अंसारी तड़के 4.31 बजे बांदा जेल पहुंच गया। करीब 26 महीने पंजाब की रोपड़ जेल में रहने के बाद उत्तर प्रदेश आते ही मुख्तार पर कानून का शिकंजा कसना शुरू हो गया। लखनऊ MP/MLA की विशेष अदालत ने 21 साल पहले कारापाल व उपकारापाल पर हमला, जेल में पथराव व जानमाल की धमकी देने के एक मामले में मुख्तार अंसारी को तलब किया है। अदालत ने उसे 12 अप्रैल को व्यक्तिगत रुप से तलब किया है।
इस मामले में मुख्तार के अलावा युसुफ चिश्ती, आलम, कल्लू पंडित व लालजी यादव पर आरोप तय होना है। इनमें युसुफ चिश्ती व आलम न्यायिक हिरासत में जेल में हैं। जबकि कल्लू पंडित व लालजी यादव जमानत पर रिहा हैं। लेकिन मुख्तार अंसारी की अनुपस्थिति से आरोप तय नहीं हो पा रहा था।
विशेष जज पीके राय ने पिछली कई तारीखों पर मुख्तार अंसारी को पेश कराने के संदर्भ में यूपी पुलिस के संबधित आला अफसरों व जिला कारागार रुपनगर, रोपड, पंजाब के वरिष्ठ अधीक्षक को भी निर्देश दिया था। लेकिन मुख्तार पेश नहीं हुआ था।
यह है पूरा मामला
दरअसल, 3 अप्रैल 2000 को लखनऊ के कारापाल एसएन द्विवेदी ने थाना आलमबाग में दर्ज कराई थी। रिपोर्ट के मुताबिक पेशी से वापस आए बंदियों को जेल में दाखिल कराया जा रहा था। इनमें से एक बंदी चांद को विधायक मुख्तार अंसारी के साथ के लोग बुरी तरीके से मारने लगे। आवाज सुनकर कारापाल एसएन द्विवेदी व उपकारापाल बैजनाथ राम चौरसिया और कुछ अन्य बंदीरक्षक उसे बचाने का प्रयास करने लगे।
इस पर उन्होंने इन दोनों जेल अधिकारियों व प्रधान बंदीरक्षक स्वामी दयाल अवस्थी पर हमला बोल दिया। किसी तरह अलार्म बजाकर स्थिति को नियंत्रित किया गया। अलार्म बजने पर यह सभी भागने लगे। साथ ही इन जेल अधिकारियों पर पथराव करते हुए जानमाल की धमकी भी देने लगे।
इस मामले में युसुफ चिश्ती, आलम, कल्लू पंडित व लालजी यादव आदि के साथ ही मुख्तार अंसारी को भी नामजद किया गया था। विवेचना के बाद इन सबके खिलाफ IPC की धारा 147, 336, 353 व 508 में आरोप पत्र दाखिल किया गया।