टनकपुर (चंपावत)। टनकपुर से लगी नेपाल सीमा पर स्थित नो-मेंस लैंड पर नेपालियों द्वारा किए गए कब्जे के चलते उपजे विवाद का आज भारत और नेपाल के अधिकारियों के बीच हुई वार्ता में कोई हल नहीं निकल सका। नेपालियों द्वारा कब्जा करने के उद्देश्य से तारबाड़ के लिए गाड़े गए पिलर अब भी विवादित भूमि पर खड़े हैं।
भारतीय अधिकारियों की ओर से कड़ी आपत्ति जताने के बाद फिलहाल नेपाल के अधिकारियों ने स्थानीय नागरिकों और उच्च स्तर पर वार्ता कर पिलरों को हटवाने का आश्वासन दिया है। इधर एसएसबी के कमांडेंट आरके त्रिपाठी ने कहा है कि पिलरों को नहीं हटाने की स्थिति में जरूरी कार्रवाई की जाएगी।
नेपाल में प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली सरकार के भारत विरोधी रवैये और चीन प्रेम के चलते नेपाल में भारत विरोधी माहौल बनाने की कोशिश लगातार जारी है। इसका असर अब यहां टनकपुर से लगे नेपाल के सीमांत ब्रह्मदेव कस्बे में भी नजर आने लगा है। यहां सीमा स्तंभ संख्या 811 गायब होने के कारण लंबे समय से सीमा विवाद बना हुआ है।
विवादित नो-मेंस लैंड में नेपाली नागरिकों द्वारा एकाएक पौधरोपण के बाद गत बुधवार को सीमेंट के पिलर गाड़कर तारबाड़ लगाना शुरू किया तो एसएसबी ने इस पर आपत्ति जताते हुए रुकवाया। उसके बाद जवाब में नेपाली नागरिकों ने भी ब्रह्मदेव के समीप भारत की ओर से शारदा तटबंध में एनएचपीसी द्वारा किए जा रहे बाढ़ सुरक्षा कार्य को भी रुकवा दिया है।
गुरुवार को दोनों देशों के अधिकारियों के बीच वार्ता में हल निकाला जाना था लेकिन नेपाल की ओर से वहां के जिला प्रशासन का कोई सक्षम अधिकारी शामिल नहीं हुआ। भारत की ओर से एसएसबी कमांडेंट आरके त्रिपाठी, डिप्टी कमांडेंट मुरारी लाल के अलावा एसडीएम दयानंद सरस्वती, सीओ विपिन चंद्र पंत आदि अधिकारी वार्ता के लिए सीमा पर पहुंचे तो नेपाल की ओर से सिर्फ सशस्त्र पुलिस के एसपी वीर सिंह साहू ही वार्ता में शामिल हुए।
एसएसबी कमांडेंट ने बताया है कि वार्ता में नेपाल के सशस्त्र पुलिस एसपी ने उच्च अधिकारियों और अपने स्थानीय नागरिकों से वार्ता कर गाड़े गए पिलरों को हटवाने का आश्वासन दिया है। कमांडेंट ने कहा है कि यदि पिलर नहीं हटाए गए तो फिर जरूरी कार्रवाई की जाएगी।