बिजली के निजीकरण के मसौदे को मंजूरी, अब आगे क्या?

लखनऊ। दक्षिणांचल और पूर्वांचल डिस्कॉम को पीपीपी माडल पर निजी हाथों में सौंपने संबंधी मसौदे (आरएफपी यानी प्रस्ताव के लिए अनुरोध) को पावर कॉरपोरेशन के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर और एनर्जी टास्कफोर्स ने मंजूरी दे दी है। अब आरएफपी को कैबिनेट की हरी झंडी दिलाने की तैयारी है। कैबिनेट से मंजूर आरएफपी को उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग की अनुमति मिलने के बाद निविदा प्रक्रिया शुरू होगी।

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खराब वित्तीय स्थिति को देखते हुए पावर कॉरपोरेशन प्रबंधन ने पहले-पहल 25 नवंबर को अधिकारियों-अभियंताओं की बैठक में विद्युत वितरण क्षेत्र में सुधार के लिए पीपीपी माडल अपनाने के संबंध में विचार-विमर्श किया था।

चूंकि हर लिहाज से सबसे ज्यादा खराब स्थिति पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम की है इसलिए फिलहाल इन्हें ही पीपीपी माडल पर निजी हाथों में सौंपने का निर्णय प्रबंधन ने किया है। इस संबंध में गुरुवार को शक्तिभवन मुख्यालय में पावर कॉरपोरेशन के अध्यक्ष डॉ. आशीष कुमार अग्रवाल की अध्यक्षता में हुई कारपोरेशन के बोर्ड आफ डायरेक्टर की बैठक में आरएफपी को मंजूरी दी गई।

सूत्र बताते हैं कि जल्द ही मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता वाली कैबिनेट से भी आरएफपी को मंजूर कराने की तैयारी है। जानकारों के मुताबिक कैबिनेट के बाद कारपोरेशन प्रबंधन को आरएफपी पर नियामक आयोग की अनुमति भी लेनी होगी। आयोग की अनुमति के बाद ही निविदा की प्रक्रिया शुरू होगी। यहां बताते चलें कि पावर कारपोरेशन प्रबन्धन ने निविदा प्रक्रिया की शर्तों (आरएफपी) में कार्मिकों के हित पूरी तरह सुरक्षित रखने का प्राविधान किया है।इस बीच उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश वर्मा ने पावर कारपोरेशन बोर्ड द्वारा मंजूर किए गए मसौदे पर सवाल उठाते हुए मुख्यमंत्री से उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है। वर्मा का कहना है कि पावर कारपोरेशन नियामक आयोग का लाइसेंसी ही नही है इसलिए उसके द्वारा इस तरह का निर्णय नियम विरुद्ध है।

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