नई दिल्ली। पिछले तीन दिन से बिहार चर्चा में बना हुआ है। लोक जनशक्ति पार्टी में अचानक से जो कुछ हुआ उससे बिहार की राजनीतिक तस्वीर बदल दी है। चिराग पासवान को पिता रामविलास पासवान से विरासत में पार्टी अब उन्हीं से अलग हो गई। कल तक उनकी हर बात में हां मिलाने वाले आज उनके दुश्मन बन गए हैं।
हालांकि, खबरों की मानें तो ये बिहार में बदलते राजनीतिक घटनाक्रम की महज शुरुआत भर है। दरअसल, लोक जनशक्ति पार्टी में टूट को जदयू का ‘मिशन लोजपा’ मास्टर प्लान बताया जा रहा है। अपने इस मिशन में सफल होने के बाद जदयू अब कांग्रेस को तोडऩे की कोशिशों में जुट गई है। इसके लिए नीतीश की पार्टी ने शुरू किया है ‘मिशन कांग्रेस’।
बताया जा रहा है इस मिशन की जिम्मेदारी एक कांग्रेसी पृष्ठïभूमि के नेता को दी गई है। पिछले साल बिहार में हुए चुनाव में कांग्रेस को 19 सीटों पर जीत मिली थी। ऐसे में कांग्रेस में किसी भी जोड़-तोड़ को बिना दल-बदल कानून के दायरे में लाए आगे बढ़ाने के लिए जदयू को कम से कम उसके दो-तिहाई यानी 13 विधायकों को मनाना होगा।
सूत्रों का कहना है कि जदयू ने इस काम की जिम्मेदारी जिस मंत्री को सौपी है उसने कांग्रेस के 10 विधायकों से बात कर उन्हें पार्टी छोडऩे के लिए लगभग तैयार भी कर लिया है। बस मामला दो-तिहाई की संख्या पर अटका है।
कांग्रेस के वफादार विधायक बने चुनौती
जदयू के मिशन में कांग्रेस के वफादार विधायक रोड़ा बन रहेे हैं। कई कांग्रेस नेता है जो जदयू की ओर से बार-बार लालच दिए जाने के बावजूद टूटने के लिए तैयार नहीं हैं।
इनमें अल्पसंख्यक वर्ग के 3 रूरु्र, पुराने कांग्रेसी परिवार से जुड़े 3 विधायक, पार्टी से जीते दो नए विधायक और पार्टी के चुनाव चिह्न पर दोबारा चुनकर आए एक वफादार विधायक जदयू के ऑपरेशन कांग्रेस के रास्ते में रोड़ा बने हैं।
बताया जा रहा है कि कांग्रेस को तोडऩे के लिए कांग्रेसी पृष्ठभूमि के नेता के साथ-साथ ‘मिशन लोजपा’ को अंजाम तक पहुंचाने वाले जदयू सांसद को भी लगाया गया है।
जदयू सांसद ने अपनी जाति वाले नेताओं के साथ अपने संपर्क में आए कांग्रेस विधायकों को जदयू में शामिल होने के फायदे गिनाए हैं। उन्हें भरोसा दिया गया है कि किसी भी तरह के समझौते में फायदा उन्हें ही होगा। हालांकि, आगे यह देखना बाकी है कि कांग्रेस के कितने नेता टूट जाते हैं।
पहले भी लग चुकी हैं कांग्रेस के टूटने की अटकले
पिछले साल नवंबर माह में भी बिहार विधानसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद कांग्रेस के टूटने की अटकलें लगने लगी थी। माना जाता है कि तब भी मामला दल-बदल कानून के समीकरणों पर ही अटक गया था।
वहीं कांग्रेस के कई शीर्ष नेताओं का दावा है कि पार्टी में टूट-फूट संभव नहीं है और सभी पार्टी को मजबूत करने की कोशिश में हैं, पर पिछले विधानसभा चुनाव में हार के बाद से ही कांग्रेस की खराब हालत के लिए पार्टी विधायक एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप कर चुके हैं।