नई दिल्ली। भाजपा की 2024 के लोकसभा चुनावों की रणनीति को बिहार में नीतीश कुमार ने झटका दिया है। चार महीने से नीतीश और भाजपा में जो तनातनी चल रही थी, उसमें भाजपा के रणनीतिकारों को मात खानी पड़ी। गठबंधन टूटने के बाद मंगलवार रात भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बिहार के कोर ग्रुप के साथ बैठक की। जानकारों के मुताबिक घटना से भाजपा का मिशन 2024 डी-रेल भले ही न हुआ हो, लेकिन झटका लगा है।
दक्षिण भारत में भाजपा कर्नाटक को छोड़ अन्य राज्यों में पैर जमाने में अब तक सफल नहीं रही है। आंकड़ें देखें तो 2024 के लिए भाजपा के लिए 266 लोकसभा सीटों पर मुकाबला 2019 की तुलना में मुश्किल हो सकता है। बिहार में लोकसभा की 40 सीटें हैं। 2019 में एनडीए (जदयू-भाजपा-पासवान) ने 39 सीटें जीती थीं।
बिहार में भाजपा के पास 20% तो महागठबंधन के पास 80% वोट शेयर
अब महागठबंधन बनने से भाजपा बनाम अन्य के बीच 60% वोट का अंतर होगा। भाजपा 20% तो महागठबंधन के पास 80% वोट शेयर है। भाजपा के एक महासचिव ने कहा- नीतीश को इतने दिन साधे रखने की अहम वजह यही है कि उनका वोट शेयर भाजपा में मिल जाए तो अपराजेय है और राजद से मिल जाए तो भी वे अपराजेए हैं।
पूर्वोत्तर राज्यों में सिर्फ 25 लोकसभा सीटें
पूर्वोत्तर के सेवन सिस्टर राज्यों में भाजपा या एनडीए सरकार है, लेकिन इनमें लोकसभा की सिर्फ 25 सीटें हैं। वहीं, बिहार बंगाल, ओडिशा और झारखंड में कुल 117 सीटें हैं। नीतीश के दांव से स्थिति बदल सकती है।
भाजपा यूपी (65 सीट), एमपी(28), राजस्थान (25), गुजरात (26), छत्तीसगढ़ (9), उत्तराखंड (5), हिमाचल (4), दिल्ली (7), हरियाणा (9), महाराष्ट्र (23), पूर्वोत्तर (21) की 263 में से 249 सीटें जीती थी। 2024 में उसे पूर्ण बहुमत चाहिए तो ये 263 सीटें तो जीतनी ही होंगी। साथ ही नए क्षेत्रों में पैठ बनानी होगी।