बिहार में चुनौतियों से कैसे निपटेगी राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार

New Delhi: Prime Minister Narendra Modi flanked by newly-appointed BJP Working President JP Nadda and party President Amit Shah during BJP Parliamentary Board meeting, in New Delhi, Monday, June 17, 2019. (PTI Photo/Manvender Vashist) (PTI6_17_2019_000245B)

नई दिल्ली। बिहार में राष्‍ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार बन चुकी है। बीजेपी के सहयोग से नीतीश कुमार सातवीं बार सीएम बने हैं। हालांकि  एनडीए गठबंधन में समीकरण भी थोड़े बदल गए हैं। बीजेपी भांप रही है कि 2020 के नतीजों ने उसके आगे कई चुनौतियां पैदा कर दी हैं।

चुनावों के नतीजे जितने नजदीकी रहे, उससे पार्टी में हलचल होनी तय है। राजद के नेतृत्‍व वाले गठबंधन का वोट शेयर लगभग एनडीए के बराबर रहा, यह बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है। बीजेपी के कुछ नेता मानते हैं कि महागठबंधन को एक ‘बड़े सपोर्ट ग्रुप’ का साथ मिला जो एनडीए से बड़ा था।

पार्टी इन नतीजों से यह भी निष्‍कर्ष निकाल रही है कि गैर-यादव हिंदू वोटरों ने बीजेपी-जदयू को बता दिया है कि उन्‍हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

बीजेपी के एक बड़े नेता ने कहा, ”राजद के ऐसे प्रदर्शन के बाद यह मान लेना भूल होगी कि गैर-यादव और गरीब हिंदू वोटर्स भविष्‍य में राजद के साथ नहीं जाएंगे।” RJD का वोट शेयर 2010 में 19% था जो इस बार बढ़कर 23% से ज्‍यादा हो गया। पिछली बार के मुकाबले राजद इस बार कम सीटों पर लड़ी थी।

74 सीटों पर जीत दर्ज करने के बाद भाजपा भले ही गाल बजा रही हो लेकिन यह बिहार में उसका सर्वश्रेष्‍ठ प्रदर्शन नहीं है। पार्टी ने 2010 में जेडीयू संग चुनाव लड़ा था और 102 में से 91 सीटें जीती थीं। यानी यह बात कि बीजेपी अब सीनियर पार्टनर हो गई है, इसका सांकेतिक महत्‍व ज्‍यादा नहीं है।

राजनीतिक जानकारों की माने तो पार्टी नेता 2010 और 2020 की तुलना को गलत मानते हैं। उनके हिसाब से 2020 पर कोविड-19 का साया था और प्रवासी मजदूरों का मसला गर्म था। बीजेपी नेताओं ने कहा कि तीन बार की ऐंटी-इनकम्‍बेंसी के बावजूद विपक्ष जीत नहीं सका, यह एनडीए को मिल रहे समर्थन को दिखाता है।

चुनाव में नीतीश कुमार की हालत पतली देखकर बीजेपी ने महिलाओं और आर्थिक रूप से पिछड़ी जातियों (EBC) को अपील करना शुरू किया। सोमवार को जब नई सरकार का शप‍थग्रहण हुआ तो बीजेपी ने दो नए चेहरों को चुना। ये चेहरे बीजेपी की दूसरी चुनौती की ओर इशारा करते हैं। तारकिशोर प्रसाद और रेनू देवी को डेप्‍युटी सीएम बनाकर बीजेपी महिलाओं और EBCs को संकेत दे रही है।

पूर्व डेप्‍युटी सीएम सुशील मोदी

पूर्व डेप्‍युटी सीएम सुशील मोदी को राज्‍य की राजनीति से बाहर करना एक सिग्‍नल था। उन्‍हें इसलिए बाहर किया गया ताकि वे इन दोनों नेताओं को ओवरशैडो न कर पाएं। उनके पर कतरने के बाद बीजेपी राज्‍य में नेतृत्‍व की नई पौध को सींचना चाहती है ताकि नीतीश के बाद चुनावी राजनीति में मजबूती बरकरार रहे।

कम्‍युनिस्‍ट पार्टियों का उभार

बीजेपी इस चुनाव में कम्‍युनिस्‍ट पार्टियों के उभार को भी चुनौती की तरह देख रही है। जिस तरह भोजपुर और मगध क्षेत्रों में लेफ्ट दलों ने महागठबंधन को फायदा पहुंचाया, उससे बीजेपी की चिंता बढ़ी है।

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