हरियाणा इन दिनों किसान आंदोलन से खासा प्रभावित है। पिछले दिनों हुए स्थानीय निकाय चुनाव में बीजेपी-जेजेपी गठबंधन का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है और यह माना जा रहा है कि इसका खामियाजा उसे उठाना पड़ा है। बावजूद इसके किसानों के आंदोलन को केंद्र सरकार गंभीरता से नहीं ले रही है। सरकार अपनी जिद पर अड़ी हुई है और किसानों की बात मानने को तैयार नहीं हो रही है।
किसान आंदोलन के कारण बीजेपी-जेजेपी सरकार को खासी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। किसान आंदोलन से पूरी खट्टर सरकार डरी हुई है कि न जाने कब सरकार गिए जाए। सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायक सोमबीर सांगवान अलग हो चुके हैं और सहयोगी जेजेपी के अंदर भी इस मामले में जबरदस्त उथल-पुथल मची हुई है।
किसान आंदोलन शुरू होने के बाद से ही हरियाणा में बीजेपी की मुसीबतें बढ़ गई थीं। पार्टी के कई सांसदों ने कहा था कि किसानों के इस मसले का हल तुरंत निकाला जाना चाहिए। साथ ही किसानों के समर्थन में नहीं आने के कारण जेजेपी के अंदर भी दुष्यंत चौटाला से नाराजगी की खबरें हैं।
फिलहाल अभी भी खट्टïर सरकार की मुश्किलें कम होती नहीं दिख रही हैं। इधर दिल्ली सीमा पर बैठे किसानों ने मोदी सरकार को चेताया है कि अगर 4 जनवरी की बातचीत फेल होती है तो वे अपना आंदोलन तेज करेंगे तो वहीं इस बीच हरियाणा के जींद जिले की 10 खाप पंचायतों ने बड़ा ऐलान किया है।
शुक्रवार को खटकर कलां में हुई खाप पंचायत में खाप के नेताओं ने कहा कि वे बीजेपी-जेजेपी के नेताओं को बागंड़ इलाके में घुसने नहीं देंगे।उन्होंने कहा कि वे बीजेपी नेताओं के चौपाल कार्यक्रमों का विरोध करेंगे और अगर कोई नेता उनके गांव में आता है तो उसे काले झंडे भी दिखाएंगे।
भारतीय किसान यूनियन की अंबाला इकाई के अध्यक्ष मलकीत सिंह ने कहा है कि अगर सरकार कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती है तो किसान छह महीने से ज़्यादा की लड़ाई के लिए भी तैयार हैं।
इसके अलावा कैथल से बीजेपी विधायक लीला राम गुर्जर और हरियाणा सरकार की महिला और बाल विकास मंत्री कमलेश ढांढा के घरों का घेराव करने की भी घोषणा की गई है।
खाप पंचायतों के इस फैसले के बाद से बीजेपी-जेजेपी के नेताओं की मुश्किलें बढ़ गई हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि वह किसानों को कैसे समझाएं।
मालूम हो कि हाल ही में किसानों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को काले झंडे दिखाए थे। इसके बाद खट्टर सरकार ने किसानों पर हत्या के प्रयास तक के मुकदमे दर्ज करा दिए थे।
बीजेपी ने कृषि कानूनों को किसानों के हक में बताने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। प्रधानमंत्री मोदी से लेकर पूरी सरकार और पार्टी का संगठन इस काम में जुटा है लेकिन दूसरी ओर किसानों का आंदोलन भी बढ़ता जा रहा है।
‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की खबर के मुताबिक खाप के एक नेता सतबीर पहलवान ने कहा है कि वे महिलाओं को ट्रैक्टर चलाना सिखा रहे हैं जिससे वे 26 जनवरी को होने वाली किसानों की परेड में ट्रैक्टर चलाकर हिस्सा ले सकें। किसानों ने मांगें पूरी न होने पर 26 जनवरी को दिल्ली कूच की रणनीति बनाई है। किसानों के आंदोलन को लेकर ऑल इंडिया किसान सभा के कार्यकर्ता लगातार गांवों में बैठकें कर रहे हैं और कृषि कानूनों के बारे में लोगों को बता रहे हैं।
बीजेपी-जेजेपी गठबंधन का स्थानीय निकाय के चुनाव में प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। तीन नगर निगमों में से बीजेपी-जेजेपी गठबंधन को सिर्फ एक निगम में जीत मिली है। पिछले महीने बरोदा सीट पर हुए उपचुनाव में भी बीजेपी-जेजेपी गठबंधन को हार का सामना करना पड़ा था।
उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के इलाके हिसार जिले के उकलाना में जेजेपी को हार मिली है। जेजेपी को रेवाड़ी की धारूहेड़ा सीट पर भी हार का मुंह देखना पड़ा है।
कृषि कानूनों के कारण बीजेपी को पहले ही काफी सियासी नुकसान हो चुका है। शिरोमणि अकाली दल के अलावा राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) ने भी एनडीए से अपनी राहें अलग कर ली हैं। अब दुष्यंत चौटाला पर जबरदस्त दबाव बना हुआ है। किसानों की सभाओं में दुष्यंत पर बीजेपी के साथ सरकार में बने रहने के कारण लगातार हमले किए जा रहे हैं।
एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनका पूरा कुनबा कृषि कानूनों के समर्थन में प्रचार कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर पूर्व केंद्रीय मंत्री चौधरी बीरेंद्र सिंह इन कानूनों के खिलाफ किसानों के समर्थन में धरने पर बैठकर पार्टी की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं।
जून में जब मोदी सरकार ने इन कृषि अध्यादेशों को संसद के मॉनसून सत्र में लाने का एलान किया था, तभी से हरियाणा और पंजाब में इनके खिलाफ चिंगारी सुलग रही थी। किसानों ने 10 सितंबर को भारतीय किसान यूनियन के नेतृत्व में इन अध्यादेशों के खिलाफ हरियाणा के कुरूक्षेत्र के पीपली नेशनल हाईवे पर जाम लगा दिया था। इसके बाद उनकी पुलिस से भिड़ंत हुई थी। प्रदर्शनकारी किसानों ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के पुतले भी फूंके थे।