बेटे-बहू ने दिव्यांग मां को जंगल में छोड़ा, भूख से तड़पती मिलीं 70 साल की बुजुर्ग

आगरा। उत्तर प्रदेश के आगरा में एक कपूत ने मां-बेटे के रिश्ते को शर्मसार कर दिया। बेटे-बहू ने बुजुर्ग दिव्यांग मां को जंगल में ले जाकर भूखा-प्यासा मरने के लिए छोड़ दिया। मंगलवार शाम बुजुर्ग राम लाल वृद्धाश्रम के कार्यकर्ताओं को महिला जंगल में पड़ी मिली। आश्रम ले जाकर महिला को खाना खिलाया। फिर महिला ने जब अपना दर्द बयान किया तो लोग भावुक हो उठे।

बुजुर्ग ने कहा, ‘पति से लड़कर अपने दो बेटों को काबिल बनाया। कई बार भूखा भी रहना पड़ा। फटे कपड़े भी पहने। लेकिन दवा दिलाने के बहाने छोटे बेटे ने पत्नी के साथ मिलकर मां को जंगल में लाकर छोड़ दिया’।

बुजुर्ग महिला बोली- पेट काट कर पाला, आज मरने के लिए छोड़ा
मामला थाना सिकंदरा अंतर्गत कैलाश मंदिर के पास का है। यहां स्थित जंगल में राम लाल वृद्धाश्रम के लोगों को एक 70 साल की दिव्यांग बुजुर्ग महिला जमीन पर कराहती हुई मिली। पूछताछ पर बुजुर्ग महिला ने बताया कि उसके बहू-बेटे खुद उसे जंगलों में मरने के लिए छोड़ गए हैं। राम लाल वृद्धाश्रम के कार्यकर्ता बुजुर्ग दिव्यांग महिला को आश्रम ले गए। भोजन और दवाओं की व्यवस्था कराकर रहने का स्थान दिया।

बुजुर्ग महिला ने बताया कि उसका नाम महादेवी है और वो राजामंडी क्षेत्र की निवासी है। उनके पति स्व. अर्जुन सिंह की कई साल पहले मौत हो चुकी है। उनके दो बेटे हैं। एक बेटा दिल्ली में है और दूसरा बेटा जितेंद्र आगरा में प्राइवेट नौकरी करता है। बुजुर्ग दिव्यांग महिला ने बताया कि पति से लड़कर बच्चों को पढ़ाया। कई रातें बिना अन्न के गुजार दीं और फटे कपड़े पहन कर भी बच्चों को जीवन जीने के लायक बनाया। आज वे ही कपूत दिव्यांग मां को जंगल में छोड़ गए।

बहू ने कहा- हम नहीं कर पाएंगे सेवा
पीड़ित बुजुर्ग महिला के बेटे जितेंद्र की पत्नी का कहना है कि पति की प्राइवेट नौकरी है। इस महंगाई के दौर में परिवार का खर्चा चला पाना मुश्किल है। ऐसे में बुजुर्ग सास बिस्तर पर है। उनकी दवा और बाकी खर्चें नहीं संभाल सकते। पूरा दिन बेड पर ही सास की सेवा नहीं कर सकते। दिल्ली में रहने वाला इनका बेटा पहले ही हाथ खींच चुका है।

आश्रम को मिला नया सदस्य
रामलाल वृद्ध आश्रम के अध्यक्ष शिवकुमार के मुताबिक, बुजुर्ग महिला घर नहीं जाना चाहती है। न ही उसकी बहू-बेटे ले जाना चाहते हैं। ऐसे में आश्रम ने उन्हें अपना नया सदस्य मान लिया है। हालांकि, उनके परिजनों को समझाकर उन्हें साथ करने का भी प्रयास कराया जाएगा।

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