विश्वस्तरीय इन्फ्रास्ट्रक्चर, तेज रफ़्तार तरक्की और एमएनसी लंबे वक्त से बैगालूरू की पहचान हैं। पर देश की आईटी राजधानी की एक और पहचान भी इसके साथ-साथ चलती है। वो है यहां का गर्म मौसम…धूल-धड़क्का, बेतहाशा ट्रैफ़िक और शोर-शराबा।
कॉलेज जाने वालों और पेशेवरों के लिए बार और पब्स ज़रूर थोड़ी राहत देते हैं मगर कुछ वक्त में इनका खुमार भी उतरने लगता है। ऐसे में खुद को खुश रखने के लिए और क्या किया जा सकता है। हम बताते हैं बैंगालूरू के पास कुछ शानदार हिल स्टेशन्स के बारे में जहां आप शांति से कुछ अच्छा वक्त बिता सकते हैं। के प्राइस अभी देखिये
बैंगालूरू से 100 किमी के भीतर हिल स्टेशन
सावनदुर्ग (51 किमी)
समुद्र तल से लगभग 4025 फ़ुट की ऊंचाई पर स्थित यह दुनिया के सबसे बड़े मोनोलिथों में से एक माना जाता है। यह ट्रेकर्स के बीच लोकप्रिय है क्योंकि यह उन्हें एक छोटा, मगर रोमांचक ट्रेक का मौका देता है; यहां रात में ट्रेकिंग का एक भी विकल्प है।
रामानगर (56 किमी)
अगर आप को पक्षियों को देखने का शौक है, तो यह जगह आपके लिए बेहतरीन है। भारतीय और मिस्र के गिद्धों जैसे पक्षियों की तस्वीरें लेने के लिए अपना कैमरा अवश्य ले जाएं। रामानगर शायद आपको जाना-पहचाना लगे भले ही आप पहली बार इसका दौरा कर रहे हों, क्योंकि ब्लॉकबस्टर फ़िल्म ‘शोले’ यहीं फ़िल्माई गई है।
अंतरगंगे (62 km)
बेंगलुरू के पास एक और हाईकिंग स्पॉट, अंतरगंगे अपने ताज़ा पानी के सोतों के लिए जाना जाता है जो पूरे साल बहता है। यहां एक सैर के लिए आइये, और ताज़े ठंडे पानी का लुत्फ़ उठाइये, और रात में गुफ़ा में रात गुज़ारने का अनुभव भी लीजिए ।
मकालिदुर्ग (62 किमी)
ये हाइकिंग स्पॉट उन लोगों के लिए हैं जिन्हें अपने बचपन को दोबारा जीने की इच्छा है। आप एक रेल की पटरी के साथ चलते हुए एक घास के मैदान से गुज़रते हैं। पहाड़ी की तली में एक तालाब है जहां आप ट्रेकिंग के बाद अपनी थकान उतार सकते हैँ।
नंदी हिल्स (62 किमी)
यह एक छोटी यात्रा के लिए बेंगलुरू के पास सबसे अच्छे पहाड़ी जगहों में से एक है। इसमें सुंदर नज़ारे , हरियाली और मराठा युग के किले हैं। आप यहां माउंटेन बाइकिंग टूर पर जा सकते हैं या ज़्यादा एडवेंचर पसंद करते हों तो पैराग्लिडिंग भी कर सकते हैं।
नारायणगिरी (67 किमी)
जलमंगला गांव में करीब 3800 फुट की ऊंचाई वाली इस पहाड़ी पर लोग मंदिर में दर्शन के लिए और इसकी चोटी पर पुराने किले के खंडहर को देखने के लिए आते हैं। रास्ते में बड़े-बड़े पत्थर सफ़र को बहुत रोमांचक बना देते हैं।
रंगस्वामी बेट्टा (78 किमी)
आप नए नए ट्रेकर हैं? तो फिर, इस जगह से शुरूआत करना बनता है। आसान ट्रेक होवने के चलते ये ऐसे लोगों के लिए एकदम सही जगह है। रात में ट्रेकिंग एक बढ़िया विकल्प भी है, लेकिन चारों ओर की चमक-दमक और हरियाली अच्छी तरह से दिन के उजाले में में ही दिखती है। भाग्य का साथ हो तो, आप रास्ते में कुछ हाथियों को भी देख सकते हैं!
कब्बालदुर्गा (85 किमी)
अगर आप थोड़ा मुश्किल ट्रेक करने के लिए तैयार हैं तो ये जगह एकदम सही है। अगर थोड़ा और रोमांच चाहते हैं तो रात में ट्रेकिंग के लिए जाएं; यहां आपको कैंपिंग के मज़े और एक बोनफायर के चारों ओर हंसी-मज़ाक का मौका भी मिल सकता है।
मधुगिरी (100 किमी)
हैदर अली द्वारा बनाया गया ये किला काफ़ी मशहूर है। यहाँ दिन में आप हरियाली के बीच ट्रेकिंग का मजा ले सकते हैं। वहीं शाम में आप चांदनी में नहाए हुए किले की खूबसूरती का लुत्फ़ उठा सकते हैं।
बैंगालूरू से 200 किमी के भीतर हिल स्टेशन
कुंतिबेट्टा (128 किमी)
ट्रेकिंग के लिए एक और मशहूर स्थल ,कुंतिबेट्टा, मान्यताओं के हिसाब से वो जगह हैं जहां भीम ने बकासुर का वध किया था। आप इसकी चोटी पर पंहुच कर नीचे मकानों में जगमगाती बत्तियों का सुंदर नज़ारा देख सकते हैं।
होगेनक्कल (128 किमी)
पश्चिमी घाटों में स्थित होगेनाक्कल इस ही नाम के झरने के आसपास एक छोटी सी बस्ती है। आप बस बैठकर गिरते झरने को देखने का मज़ा लेने के लिए यहां आ सकते हैं, उसके ताल में डुबकी लगा सकते हैं, और स्वादिष्ट तली हुई मछली खा सकते हैं।
हॉर्सली हिल्स (157 किमी)
आंध्र प्रदेश के कुछ पहाड़ी इलाकों में से एक, हॉर्सली हिल्स प्रकृति प्रेमियों की पसंदीदा जगह है। आप एनवायरनमेंट पार्क घूम सकते हैं, विंड रॉक के नज़ारे की फोटोग्राफ़ी , मानसरोवर और गंगोत्री झीलों का के सौंदर्य का आनंद लेने के साथ-साथ रैपलिंग और ज़ोरबिंग जैसी रोमांचक गतिविधियों के लिए भी जा सकते हैं।
येलगिरी (159 किमी)
तमिलनाडु में स्थित येलगिरी प्रकृति प्रेमियों और शांति तलाशने वालों के लिए एक जन्नत है। यह जगह दूर-दूर तक हरियाली, पहाड़ियों और कई प्राकृतिक और मानव-निर्मित तालाबों से घिरी हुआ है। यहां लंबी पैदल यात्रा पर जाएं, जलागंपराई झरना देखें या पैराग्लाइडिंग का मजा लें।
बिलीगीरिरंगा हिल्स (177 किमी)
एक वाइल्डलाइफ सैन्कटुअरी होने के चलते बिलिगीरिरंगा हिल्स वन्यजीवन प्रेमियों के लिए एक स्वर्ग है। हाथी, गौढ़ , चीतल, सांभर, भौंकने वाले हिरण, जंगली कुत्ते, तेंदुए और भालू जैसे जानवरों को देखने का यहां अच्छा अनुभव होता है।.
300 किमी के भीतर बैंगलोर के पास हिल स्टेशन
यरकौड़ (216 किमी)
30 डिग्री सेल्सियस के औसतिय अधिकतम तापमान के साथ यरकौड़ हर मौसम में घूमने के लिए एक अच्छा हिल स्टेशन है। यहाँ झील पर पैडल बोटिंग, लेडीज़ सीट पर तस्वीरें क्लिक करना, किलीयूर फॉल्स के नीचे थकान मिटाना और बेयर केव देखना सबसे लोकप्रिय चीज़ें हैं।
सक्लेशपुर (221 किमी)
यदि आप सिर्फ़ और सिर्फ़ हरियाली से घिरा होना चाहते हैं तो सक्लेशपुर जाएं। पहाड़ियों में हाइकिंग, सुंदर नज़ारों के बीच आराम करते हए साफ़ नीले आसमान को निहारने की बात ही कुछ और है। चूंकि यह बिस्ले रिजर्व वन के भीतर स्थित है, यहां क्षेत्रीय जानवरों को देखने की संभावना बहुत है।
कूर्ग (250 किमी)
कर्नाटक में सबसे प्रसिद्ध पहाड़ी स्थान, कूर्ग या कोडागु कॉफ़ी और मसाले के बागानों, जंगलों, कोडवा संस्कृति और शांती का गढ़ है। इस जगह का शांत वातावरण आत्मा को राहत देने के लिए काफ़ी हैं।
ब्रह्मगिरी (253 किमी)
5276 फ़ुट ऊंचे ब्रह्मगिरी कर्नाटक में एक और लंबी ट्रेकिंग की जगह है। घने जंगल और घास के मैदान से गुज़रते हुए आप ऊपर जाते हैं, जहां आपको बहुत से जानवर मिल सकते हैं, इसलिए अपने कैमरे को साथ रखें, और आंखें और कान खुले रखें।
पुष्पगिरी (256 किमी)
पुष्पगिरी का सैलानियों के बीच दोहरा महत्व है: यहां एक जाना माना ट्रेकिंग स्पॉट, कुमर परवथ भी है और यहां अपनी जैव विविधता के लिए मशहूर पुष्पगिरी वाइल्डलाइफ सैन्क्टुअरी भी है।
केममुन्गंडी (256 किमी)
पश्चिमी घाटों में लगभग 4705 फ़ुट ऊंची केममुन्गांडी चोटी को नापने के लिए आपमें खास दमखम होना चाहिए। यहाँ आप बहुत सारे प्रपातों और सुंदर हरे मैदानों से गुज़रते है। अगर आप थके हुए महसूस करें, तो आप हेब्बे फ़ॉल्स के ठन्डे पानी में नाहा सकते हैं ।
कोली हिल्स (259 किमी)
72 घुमावों वाली एक रोमांचकारी ड्राइव के बाद आप इस शांतिपूर्ण हिल स्टेशन तक पंहुतचे हैं जो सुंदर नज़ारों से भरा हुआ है। आगाया गंगाई फॉल्स, वनस्पति उद्यान, टैम्पको औषधीय फार्म, सिद्धार गुफाएं और सेलूर व्यूपॉइंट यहां पर जाने-माने स्थल हैं।
मुलायनगिरी (265 किमी)
कर्नाटक राज्य में सबसे ऊंची चोटी, लगभग 6300 फ़ुट ऊंची मुल्लायनगिरी आपको पश्चिमी घाटों में ट्रेकिंग का शानजार अनुभव प्रदान करती है। एकदम सीधी चट्टानों, घने शोल घास के मैदान, लंबे पेड़ और साफ आकाश यहां की खूबसूरती को बढ़ाते हैं… आप यहाँ एक गुफ़ा को देखने का लुत्फ़ भी उठा सकते हैं जहां एक मंदिर भी है।
ऊटी (273 किमी)
हिल स्टेशन की रानी के नाम से मशहूर, ऊटी को कोई परिचय की आवश्यकता नहीं है। यहां टॉय ट्रेन की सवारी, ऊटी झील पर बोटिंग, नीलगिरी बायोस्फीयर रिज़ र्व में क्षेत्रीय वन्यजीवन देखना, गवर्नमेंट बॉटनिकल गार्डन में घूमना, चाय संग्रहालय का दौरा करना, डोड्डाबेट्टा की चढ़ाई, पाइकारा झरने, चीड़ के जंगल को देखने जैसे काम कर सकते हैं। साथ ही यहां बने चॉकलेट का आनंद ले सकते हैं। ऊटी में होटलों की एक बड़ी संख्या है क्योंकि यह हर माह हज़ारों लोगों यहां आते हैं।
कूनूर (293 किमी)
अगर आप ऊटी जा रहे हैं, तो आप कूनूर को भी कवर कर सकते हैं। लैम्ब रॉक, डॉल्फिनस नोज़ प्वाइंट और सिम्ज़ पार्क इसके मुख्य आकर्षणों में से है। रास्ते में लॉज़ फॉल्स है, जहां आप ठंडे पानी में ताज़ा हो सकते हैं ।
वीथिरि (296 किमी)
अगर आप 4-5 दिन के लिए बेंगलुरू की यात्रा पर जा रहे हैं, तो आपको वीथिरि भी जाना चाहिए। हरे जंगल, घना धुंध, वन्यजीवन और मनमोहक शांति इसकी पहचान हैं । यह बेंगलुरू की गर्मी से राहत पाने के लिए सबसे बेहतरीन जगहों में से एक है।
400 किमी के भीतर बैंगलोर के पास हिल स्टेशन
कुद्रेमुख (332 किमी)
पश्चिमी घाट में स्थित कुद्रेमुख कर्नाटक के सबसे जानेमाने पहाड़ी स्थानों में से एक है। 6000 फ़ुट ऊंची चोटी, वन्यजीवन, ठंडा मौसम और सुंदर हरियाली में समय बिताने लोग यहां भारत के हर भाग से आते हैं। आप यहां पुरानी लोहे की खान और कारखाने का भी दौरा कर सकते हैं।
अगुम्बे (355 किमी)
जानेमाने हर्पेटोलॉजिस्ट, रोम्यूलस व्हिटकर का घर, पश्चिमी घाटों में बसा अगुम्बे जैव विविधता के लिए जाना जाता है। यहां आए तो कैमरा लाना ना भूले क्योंकि ये जगह कई यादगार नज़ारों से लैस है।इस क्षेत्र में कई झरने हैं जो यहां छुट्टियों के मज़े को दोगुना कर देते हैं।
कोडाचद्री (392 किमी)
कोडाचद्री हाइक उन लोगों के लिए है जिनको फोटोग्राफ़ी का जुनून है। रास्ते में कई झरने और नदियां, सुन्दर जंगल और वन्यजीवन आपको कई तिस्वीरें खींचने को उक्साएंगे।
500 किमी के भीतर बैंगलोर के पास हिल स्टेशन
वालपरई (418 किमी)
हरे भरे चाय और कॉफ़ी बागान आपका मन मोह लेंगे जब आप केरल की पहाड़ियों में स्थित इस शांत स्थान पहुंचेंगे । गौढ़ , हिरण, हाथी, बंदर और जंगली सूअर जैसे जानवरों और झरनों की भरमार इस जगह को खास बनाते हैं।