अजय कुमार शर्मा
अभी 11 अक्टूबर को अमिताभ बच्चन ने अपने जीवन के 80 वर्ष पूरे किए हैं। जंजीर (1973) फिल्म हिट होने से पहले भी उनके जीवन में कई उतार-चढ़ाव हैं । उनकी पहली फिल्म सात हिंदुस्तानी (1969) से जंजीर के बीच रिलीज़ 12 फिल्मों में केवल आनंद (1971) और बॉम्बे टू गोवा (1972) को ही याद किया जाता है, लेकिन इससे पहले एक बड़े लोकप्रिय कवि के बेटे और गांधी परिवार के नज़दीकी होने के बाबजूद उनका लंबा कद उनके कैरियर के लिए काफी रुकावट बना।
यहां तक कि उनकी आवाज़ जो उनके व्यक्तित्व का अहम हिस्सा है भी लोगों को पसंद नहीं आई थी। कलकत्ता में नौकरी के दौरान फिल्मों में काम करने की उनकी इच्छा को देखते हुए उनके छोटे भाई अजिताभ ने माधुरी और फिल्म फेयर पत्रिका द्वारा मिलकर 1967 में किए गए एक टैलेंट हंट में अमिताभ की फोटो भेजी थी जो रिजेक्ट होकर वापस आ गई थी। तब उनकी मां तेजी बच्चन के कहने पर इंदिरा गांधी ने नरगिस को फोन करके कहा था कि मेरी एक सहेली का बेटा फिल्मों में काम करना चाहता है अगर कुछ हो सके तो सुनील जी से बात करके कुछ कोशिश करो।
तब राज ग्रोवर सुनील दत्त के निजी सचिव थे। इस फ़ोन के पंद्रह दिन बाद ही अमिताभ चार दिनों की छुट्टी लेकर मुंबई आ पहुंचे। इन चार दिनों का रोचक ब्योरा राज ग्रोवर ने अपनी पुस्तक यादें जरा जरा में लिखते हुए बताया है कि अमिताभ तब कोलाबा में एक दोस्त के यहां ठहरे थे और नरगिस जी ने उन्हें इस दौरान कई फिल्मी हस्तियों से मिलवाने की जिम्मेदारी उन्हें ही सौंपी थी। पहले दिन सुनील दत्त और नरगिस ने उन्हें पाली हिल में आरके नैयर और साधना के बंगले में चल रही डिनर पार्टी पर बुलाया।
वहीं पर दत्त साहब के एक मित्र केवल कपूर भी थे जो कि यह रास्ते हैं प्यार के फिल्म के निर्माता भी रहे थे। उन्होंने उन दोनों को देखते ही कुछ कड़वाहट भरे स्वर में कहा कि यह पार्टी बड़े-बड़े लोगों के लिए है। आप दोनों कौन हैं और कैसे यहां आ गए? उस पार्टी में शत्रुघ्न सिन्हा, संजीव कुमार, वहीदा रहमान भी आए हुए थे। इस बीच सुनील दत्त शोर सुनकर बाहर आए और कपूर पर बहुत गुस्सा हुए और फौरन ही नरगिस और उन दोनों को लेकर पार्टी अधूरे में ही छोड़ वापस आ गए।
दूसरे दिन राज ग्रोवर अमिताभ को एक बड़े निर्माता ताराचंद बड़जात्या से मिलाने ले गए। अमिताभ को देखते ही उन्होंने उनसे कहा कि आप जितन लंबे हीरो के साथ कौन सी हीरोइन काम करना चाहेगी? अच्छा हो कि आप अपने पिता की तरह ही कविता लिखें।
इससे पहले अमिताभ की एक तस्वीर बीआर चोपड़ा को भी दी गई थी। यह तस्वीर वही थी जो उन्होंने टैलेंट हंट के लिए भेजी थी और रिजेक्ट हो गई थी। तीसरे दिन चोपड़ा जी के पास दोबारा जाने पर उन्होंने अनमने मन से मोहन सहगल जो साजन फिल्म की शूटिंग कर रहे थे को अमिताभ का स्क्रीन टेस्ट लेने के लिए तैयार किया। साजन फिल्म के हीरो मनोज कुमार थे और वे यह जानकर खुश हुए कि अमिताभ उनके पसंदीदा मशहूर कवि हरिवंश राय बच्चन के बेटे हैं।
मेकअप रूम में तैयार होने के समय ही लंच टाइम हो गया और जब वहां किसी ने खाने को नहीं पूछा तब राज ग्रोवर उन्हें पास ही के प्रसिद्ध गीता रेस्टोरेंट में खाना खिलाने ले गए। वहीं पर राजेश खन्ना भी खाना खा रहे थे और उन्होंने अमिताभ को उनसे मिलाया। स्क्रीन टेस्ट के लिए डायलॉग न होने पर राज ग्रोवर को अपना प्रेम पत्र ही उन्हें पढ़ने के लिए देना पड़ा।
इस प्रेम पत्र के अलावा उन्होंने अपने पिता की लिखी प्रख्यात कृति मधुशाला से कुछ पंक्तियों भी पढ़ीं। अमिताभ का चौथा दिन 58 पाली हिल बांद्रा में सुनील दत्त और नरगिस के बंगले में ही गुजरा। अगले ही दिन अमिताभ बच्चन अपनी नौकरी पर हाजिर होने के लिए कलकत्ता रवाना हो गए। इस बीच सुनील दत्त ने उनसे वादा किया था कि उनकी अगली फिल्म में अगर कोई अच्छा रोल होगा तो वे उन्हें जरूर देंगे।
दत्त साहब ने यह वादा पूरा भी किया और उन्हें रेशमा और शेरा फिल्म में अच्छा रोल दिया। हालांकि सात हिंदुस्तानी फिल्म पहले रिलीज हुई। सुनील दत्त और मनोज कुमार ही वह दो अभिनेता थे जिन्होंने उनकी दमदार आवाज को पहले ही पहचान लिया था और घोषणा की थी कि वे बहुत आगे तक जाएंगे।
चलते-चलते
जंजीर फिल्म के हिट होने से पहले अमिताभ की लगभग 12 फिल्में कुछ बेहतर नहीं चली थीं। इस दौरान निर्माता और निर्देशक कुंदन कुमार की फिल्म दुनिया का मेला जो तकरीबन आधी बन चुकी थी ने अपने डिस्ट्रीब्यूटर के दवाब के कारण उसके हीरो अमिताभ को बदलकर संजय खान को हीरो बनाया था। यह अमिताभ के लिए काफी बड़ा झटका था। अमिताभ ने अपना मन मुंबई छोड़ने का बना लिया था, लेकिन जया भादुड़ी और गुलजार के काफी समझाने-बुझाने पर ही रुके थे।
(लेखक- राष्ट्रीय साहित्य संस्थान के सहायक संपादक हैं। नब्बे के दशक में खोजपूर्ण पत्रकारिता के लिए ख्यातिलब्ध रही प्रतिष्ठित पहली हिंदी वीडियो पत्रिका कालचक्र से संबद्ध रहे हैं। साहित्य, संस्कृति और सिनेमा पर पैनी नजर रखते हैं।)