लखनऊ। ब्लैक फंगस से लखनऊ में चार मरीजों ने दम तोड़ दिया है। ऐसे में लखनऊ में इस बीमारी से मरने वालों की संख्या 11 हो गई है। इसमें से 10 प्रदेश के विभिन्न जिलों से रेफर और एक लखनऊ का मरीज बताया जा रहा है। शहर के अलग – अलग अस्पतालों में इस बीमारी से संबंधित 130 से ज्यादा मरीजों की इलाज चल रहा है। मरने वाले सभी लोगों का इलाज लखनऊ के केजीएमयू में चल रहा था। लखनऊ में लगातार ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है। केजीएमयू में हर घंटे करीब एक मरीज भर्ती हो रहा है।
24 घंटे में 23 नए मरीज मिले
किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय प्रशासन का कहना है कि मरने वालों में मेरठ की 38 वर्षीय महिला , कानपुर के 73 वर्षीय पुरुष , गोरखपुर की 62 वर्षीय महिला और फैजाबाद की 65 वर्षीय महिला शामिल है। मरने वाले11 लोगों में अब तक 8 महिलाएं हैं।
15 और 16 और 18 मई को भी हो चुकी मौत
इससे पहले 15 और 16 मई को भी इस बीमारी से एक – एक मौत हो चुकी है। इसमें 15 मई को लोहिया संस्थान के इमरजेंसी में एक महिला की मौत हो गई थी। 16 मई को गोरखपुर निवासी एक मरीज ने सिप्स हॉस्पिटल में दम तोड़ दिया। जबकि सबसे पहले चंदन अस्पताल में लखनऊ निवासी महिला की मौत हुई थी। इसके अलावा 18 मई को भी चार लोगों की मौत हुई थी। इसमें 34 वर्षीय रायबरेली निवासी महिला, 26 वर्षीय हरदोई निवासी पुरूष, 42 वर्षीय अयोध्या निवासी महिला और 40 वर्षीय लखीमपुर निवासी महिला है।
शुरू हो गई दवाओं की किल्लत
केजीएमयू और पीजीआई जैसे बड़े संस्थाओं में दवाओं की किल्लत की समस्या भी बताई जा रही है। राजधानी इन्हीं दोनों अस्पतालों में सबसे ज्यादा मरीज भर्ती है। सूत्रों का कहना है कि कम दवा के कारण मरीजों को समय से इलाज नही मिल पा रहा है। मरीजों के परिजनों को महंगे दाम में मार्केट से दवा लाकर अपने मरीज का इलाज करवाना पड़ रहा है।
डायबिटीज के मरीज सबसे ज्यादा परेशान
डॉक्टरों का कहना है कि ब्लैक फंगस संक्रमण का सबसे ज्यादा खतरा शुगर और स्टेरॉयड लेने वाले मरीजों काे है। ऐसे में लोगों को अपने शुगर लेवल का विशेष ध्यान रखना चाहिए। होम आइसोलेट मरीज भी इसका ध्यान रखे। उनको समय-समय पर अपना शुगर लेवल चेक करते रहना चाहिए।
इन बातों का रखें ध्यान
- शुगर के मरीज कार्बोहाइड्रेट व फैट की मात्रा कम लें
- डायट में फाइबर व प्रोटिन की मात्रा ज्यादा रखें
- स्टेरॉयड का हाई डोज नहीं लेना चाहिए
- अगर आप घर में इलाज करा रहें है तो डॉक्टर से लगातार संपर्क करते रहे। बिना सलाह के कोई पहल अपनी तरफ से न करे।