मथुरा। भगवान श्री कृष्ण की भक्ति धर्मों की दीवार को तोड़कर समय- समय पर विभिन्न धर्मों के लोग करते रहते हैं। मुस्लिम समाज के रसखान ने भगवान कृष्ण की भक्ति की और उनके लिए पद लिखे। ऐसा ही वर्तमान में कर रहे हैं हाथरस के रहने वाले सत्तार अहमद। सत्तार अहमद जब मथुरा आए तो उनकी कृष्ण भक्ति देख कर हर कोई कहने लगा भगवान की भक्ति करने के लिए धर्म की दीवारें मायने नहीं रखती।
ब्रज को कहा जाता है भक्ति और प्रेम की नगरी
भगवान श्री कृष्ण की जन्म और लीला भूमि ब्रज। जिसे भक्ति और प्रेम की नगरी कहा जाता है। जहां लोग भगवान राधा कृष्ण के साथ मीराबाई और भक्त रसखान के चर्चा करते हुए सुने जा सकते हैं। जहां का सूरज मां यमुना के पावन तट से शुरू होकर बांके बिहारी की शयन आरती के साथ अस्त होता है। जहां कहा जाता है कि लक्ष्मी जी को भी प्रवेश नहीं दिया गया। ऐसी ही ब्रज भूमि में आए दिन भक्त अपनी-अपनी अनूठी भक्ति भावनाओं से यहां आने वाले तीर्थ यात्रियों को आकर्षित करते हैं।
हाथरस के सत्तार अहमद रिझा रहे भगवान कृष्ण को
हाथरस की तहसील मुरसान के गांव नगला उदयभान के रहने वाले 68 वर्षीय सत्तार अहमद इन दिनों अपनी कृष्ण भक्ति को लेकर चर्चाओं में हैं। भगवान राधा कृष्ण के प्रति इस कदर आस्था की उनके लिए पद लिख रहे हैं। 68 वर्षीय सत्तार जब 21 वर्ष के थे। तभी से वह भगवान कृष्ण की भक्ति करने लगे। सत्तार अब तक भगवान कृष्ण के पदों के साथ साथ 25 पुस्तक लिख चुके हैं। 68 वर्षीय सत्तार जब 21 वर्ष के थे तभी से वह भगवान कृष्ण की भक्ति करने लगे
नमाज भी करते हैं तो मनाते जन्माष्टमी भी
सत्तार अहमद ने बताया कि वह ब्रज क्षेत्र के रहने वाले हैं। उस ब्रज के जहां भगवान कृष्ण ने प्रेम का संदेश दिया। यही वजह है कि जब वह छोटे थे तो गांव में होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों में शिरकत करते थे। सत्तार अहमद ने बताया कि गांव में दोनों धर्म के लोग रहते थे लेकिन पता ही नहीं चलता था कि हिंदू के यहां ईद मनाई जा रही है या मुस्लिम के यहां जन्माष्टमी। इसके बाद करीब 35 साल पूर्व वह अलीगढ़ में रहने लगे।
धर्म से मुसलमान कर्म से कृष्ण भक्त
सत्तार अहमद भले ही धर्म से मुस्लिम हों लेकिन वह कर्म से भगवान श्री कृष्ण के भक्त हैं। भगवान कृष्ण और राधा रानी को रिझाने के लिए वह अब तक कई पद लिख चुके हैं। कवि सत्तार अहमद पेशे से कवि हैं वह जब भी किसी कवि सम्मेलन में जाते हैं तो वहां भगवान कृष्ण के बारे में अपने लिखित पदों को जरूर सुनाते हैं।
12 वर्ष से छोड़ रखा है भोजन
चाचा उदयभानी के नाम से मशहूर सत्तार अहमद ने 12 वर्ष से भोजन छोड़ रखा है। वह पूरे दिन में केवल आधा किलो दूध,चाय और पानी ही पीते हैं। सत्तार अहमद उर्फ चाचा उदयभानी को आधुनिक रसखान कहा जाता है। सत्तार अहमद को चाचा उधयभानी उनके गांव के नाम की वजह से कहा जाता है।
राधे राधे कह कर करते हैं अभिवादन
सत्तार अहमद अपनी बात शुरू और खत्म करने से पहले राधे राधे कह अभिवादन करते हैं। सत्तार भगवान श्री कृष्ण के दोहे,चौपाई, छंद,सवैया आदि लिखने में ही अपना पूरा समय व्यतीत करते हैं और यही कारण है कि कृष्ण भक्ति में लीन रहने के कारण ही और लोग उन्हें ब्रज का रसखान कहते हैं।
सत्तार अहमद ने बताया कि उनको भगवान कृष्ण की भक्ति करने के लिए किसी ने नहीं रोका। वह जब कवि सम्मेलन में किसी धार्मिक नगरी में जाते हैं और उनके साथ के कवि वहां के मंदिर में जाते हैं तो वह भी उनके साथ मंदिर जाते हैं। सत्तार ने बताया कि वह सभी त्यौहारों को मनाते हैं उनके लिए धर्म की दीवार कोई मायने नहीं रखती। अपनी पुस्तक श्री कृष्ण भक्ति सागर के बारे में बताया कि 215 छंद हैं इसमें जो भगवान कृष्ण की भक्ति के बारे में बताते हैं।