भाकियू के असंतुष्टों को शह देकर सपा अध्यक्ष अखिलेश ने ही तो नहीं चली तिरछी चाल?

लखनऊ। राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के अध्यक्ष जयंत चौधरी रविवार सुबह भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेश टिकैत के गांव सिसौली (मुजफ्फरनगर) पहुंचकर चौ. महेंद्र सिंह टिकैत की पुण्यतिथि पर आयोजित ‘जल, जंगल, जमीन बचाओ-संकल्प दिवस’ कार्यक्रम में शामिल होते हैं। राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के साथ की फोटो ट्वीट करते हैं और कुछ घंटे बाद ही लखनऊ में भाकियू बिखर जाती है।

नए संगठन की घोषणा होती है, जिसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बनते हैं राजेश सिंह चौहान और राष्ट्रीय प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक। अब इसे संयोग मानिए या राजनीतिक दांव कि राजेश और धर्मेंद्र के प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रिश्ते उसी समाजवादी पार्टी (सपा) से निकलते हैं, जिसके साथ जयंत के रालोद का गठबंधन है। तमाम तर्कों के साथ अब अटकलें हैं कि कहीं भाकियू के असंतुष्टों को शह देकर अखिलेश यादव ने ही कोई तिरछी चाल तो नहीं चली?

नए संगठन के पदाधिकारियों का आरोप है कि किसानों के सहारे चौ. राकेश और नरेश टिकैत राजनीतिक कठपुतली बन गए थे। जिस दल की पगड़ी पहने जाने का आरोप लगाया है, वह राष्ट्रीय लोकदल की है, क्योंकि राकेश टिकैत से इन दिनों उन्हीं की करीबी अधिक है। मगर, ऐसे पहलू भी जुड़ रहे हैं, जो चुगली करते हैं कि इस नए अराजनीतिक संगठन के गठन के पीछे राजनीतिक चालें रही हैं।

दरअसल, भाकियू की बागडोर संभाल रहे टिकैत भाई बेशक दावा करते रहे हों कि उनका दल गैर-राजनीतिक है, लेकिन वे राजनीतिक दलों में संभावनाएं हमेशा तलाशते रहे हैं। उनके संगठन में शामिल किसान नेता भी अलग-अलग राजनीतिक विचारधारा के समर्थक रहे हैं। इसके बावजूद संगठन चल रहा था, लेकिन कृषि कानूनों के विरुद्ध जब राकेश टिकैत आंदोलन में कूदकर राजनीतिक नफा-नुकसान के समीकरण बनाने लगे, तभी से संगठन में विघटन के बीच पड़ गए थे।

कई वर्षों तक भाकियू के जिलाध्यक्ष और उत्तराखंड, शामली व सहारनपुर के प्रभारी रहे राजू अहलावत बताते हैं कि यूनियन में ज्यादातर पदाधिकारी नहीं चाहते थे कि कृषि कानूनों का विरोध हो, लेकिन नरेश टिकैत नहीं माने। तब राजू ने अक्टूबर, 2021 में यूनियन के कई कार्यकर्ताओं के साथ भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली।

भाजपा किसान मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष कामेश्वर सिंह कहते हैं कि किसान हित के मुद्दों पर एकजुट करने के लिए हम लगातार भाकियू नेताओं के संपर्क में रहते हैं। भाकियू की टूट से भाजपा का कोई लेना-देना नहीं है।

भाजपा नहीं तो कौन इसके पीछे रहा होगा? इस प्रश्न का जवाब संकेतों में मिलता है। नए संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष फतेहपुर निवासी राजेश सिंह चौहान बनाए गए हैं। वह भाकियू में राष्ट्रीय उपाध्यक्ष थे। उनका सीधा संबंध किसी दल से नहीं है, लेकिन उनके भाई भूपेंद्र सिंह समाजवादी पार्टी में रहे हैं। भाई की पत्नी बीना सिंह फतेहपुर के हदगांव ब्लाक से प्रमुख का पिछला चुनाव निर्दलीय जीतकर सपा में शामिल हो गई थीं।

इसी तरह धर्मेंद्र मलिक के रिश्ते सपा से बताए जाते हैं। वह विधानसभा चुनाव में बुढ़ाना से सपा का टिकट मांग रहे थे। ऐसे में माना जा रहा है कि विपक्षी गठबंधन में राज्यसभा की तीन सीटों के लिए कुछ खींचतान हो और इस टूटन से टिकैत के सहारे जयंत को भी कुछ कमजोर करने का प्रयास हो।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here