नई दिल्ली। राज्यसभा में नए सांसदों की शपथ के बाद उच्च सदन के समीकरण बदल गए हैं। कांग्रेस और कमजोर हुई है तो भारतीय जनता पार्टी और ज्यादा मजबूत हो गई है। उच्च सदन में कांग्रेस की ताकत भाजपा से आधी से भी कम रह गई है, जबकि राजग ने 100 का आंकड़ा पार कर बहुमत की तरफ कदम बढ़ा दिए हैं।
हालांकि अभी भी बीजेपी राज्यसभा में बहुमत से 22 सीट दूर है। राज्यसभा में 1990 के बाद से किसी दल के पास बहुमत नहीं रहा है। इसके पहले कांग्रेस उच्च सदन में बहुमत में थी।
उच्च सदन में बहुमत न होने से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को कई बार दिक्कतों का सामना करना पड़ा है। हालांकि 17वीं लोकसभा में सभी नाजुक मौकों पर उसने जोड़-तोड़ कर विपक्ष पर बढ़त हासिल की है। 245 सदस्य राज्यसभा में बहुमत का आंकड़ा 123 पर होता है।
अब इन द्विवार्षिक चुनाव के बाद भाजपा की संख्या 85 सांसदों की हो गई है, जबकि राजग के सांसदों की संख्या 102 पहुंच गई है। अब राजग और बहुमत के बीच केवल 22 सीटों का अंतर रह गया है।
दूसरी तरफ कांग्रेस और कमजोर हुई है और उसके केवल 40 सांसद उच्च सदन में रह गए हैं। कांग्रेस के गठबंधन संप्रग की संख्या 65 है। इस तरह राजग और संप्रग के बीच भी अंतर बढ़ गया है। ऐसे में दोनों गठबंधन से अलग दलों की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है।
गौरतलब है कि उच्च सदन में 1990 के बाद बीते तीन दशक से किसी दल के पास स्पष्ट बहुमत नहीं रहा है। इसके पहले कांग्रेस के पास राज्यसभा में बहुमत होता था। उस समय अधिकांश राज्यों में उसकी सरकारें होती थी, लेकिन 1990 के बाद स्थिति बदलती चली गई और आज कांग्रेस अपने न्यूनतम पर पहुंच गई है। दूसरी तरफ भाजपा ने लगातार बढ़त हासिल की है और वह पहली बार अपनी उच्चतम संख्या पर पहुंची है।
सदन के इन आंकड़ों का असर विधायी कामकाज पर पड़ता है और सरकार के लिए स्थितियां आसान होती है। कांग्रेस और संप्रग के कमजोर होने से राजग को उच्च सदन में बहुत ज्यादा दिक्कत नहीं आएंगी, क्योंकि कई गैर संप्रग दल सरकार के नजदीक हैं और मौके पर मौके उसका समर्थन भी करते रहते हैं।
इनमें बीजू जनता दल (बीजेडी), ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (एआईएडीएमके) और वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) जैसे दल मोटे तौर पर कांग्रेस विरोधी है और इनका समर्थन भाजपा को मिलता है। इससे उसके पास बहुमत का पर्याप्त आंकड़ा हो जाता है।