भारतीय सेना का ऐलान- चीन ने अगर युद्ध की स्थितियां बनाईं तो हम भी हैं तैयार

नई दिल्ली। भारतीय सेना लद्दाख में ठंड के वक्त किसी सामरिक स्थिति के पैदा होने पर मुकाबले के लिए पूरी तरह से तैयार है। अगर चीन ने युद्ध के लिए स्थितियां बनाईं तो वे बेहतर प्रशिक्षित, बेहतर तरीके से तैयार और मनोवैज्ञानिक रूप से कठोर भारतीय सैनिकों का सामना करेंगे। भारतीय वायुसेना भी देश के पूर्वी, पश्चिमी और उत्तरी भाग में पूरी तरह अलर्ट है और आज देश के कई स्थानों पर आसमानी हलचल दिखाई दी है। दूसरी तरफ चीन ने एलएसी पर तैनात पीएलए सैनिकों को अपने प्रियजनों को ‘अलविदा पत्र’ लिखने का आदेश दिया है।
 
भारतीय सेना ने चार माह से चीन के साथ सीमा पर चल रहे टकराव के दौरान पहली बार इस तरह का बयान दिया है। सेना की तरफ से यह ऐलान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के लोकसभा में बयान देने के एक दिन बाद किया गया है। रक्षा मंत्री ने अपने बयान में कहा था कि भारतीय सेना बातचीत के जरिये सीमा विवाद निपटाना चाहती है लेकिन अगर चीन नहीं मानता है तो हम भी हर परिस्थिति के लिए तैयार है।
चीनी मीडिया में भारतीय सेना की अधूरी तैयारियों के दावे वाली खबरें आने के बाद भारतीय सेना ने बुधवार को एक बड़ा बयान देते हुए चीन को स्पष्ट संदेश देने की कोशिश की है। पूर्वी लद्दाख में चीन से तनातनी के बीच भारतीय सेना ने कहा कि सर्दी के मौसम में अगर जंग के हालात बनते हैं तो चीन का मुकाबला भारत की ऐसी सेना से होगा जो कि सक्षम और सशक्त रूप में उनके सामने खड़ी होगी।
 
सेना की उत्तरी कमान के प्रवक्ता ने कहा कि अगर सर्दी के मौसम में पूर्वी लद्दाख में जंग जैसे हालात बन भी जाते हैं तो भारतीय सेना इसके लिए पूरी तरह से तैयार और सक्षम दिखेगी। प्रवक्ता ने कहा कि भारत एक शांतिप्रिय देश है और हम चाहते हैं कि पड़ोसियों से हमारे रिश्ते हमेशा ही बेहतर रहें। हम हमेशा बातचीत के जरिए मसलों को हल करना चाहते हैं। ऐसे वक्त में जब भारत और चीन के मध्य कूटनीतिक स्तरों पर बातचीत हो रही है, उस वक्त भी हम सैन्य मोर्चे पर पूरी तरह से तैयार हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि लद्दाख रेंज के तमाम इलाके उच्चतम पर्वतीय क्षेत्रों में आते हैं। इस इलाके में नवम्बर के महीने में भारी बर्फबारी होती है। इसके अलावा यहां न्यूनतम तापमान -30 से -40 डिग्री के आसपास पहुंच जाता है। ठंड की इन स्थितियों में कई बार लद्दाख को जोड़ने वाले तमाम रास्ते भी बंद हो जाते हैं लेकिन इन सब स्थितियों के बावजूद भारतीय सेना ऐसी स्थितियों से निपटने में पूरी तरह से सक्षम है।
 
विंग कमांडर ने कहा कि हमारे पास ऐसे इलाकों में ड्यूटी करने का एक लंबा अनुभव रहा है और हम एक शॉर्ट नोटिस पर भी किसी भी स्थिति में जाने के लिए पूरी तरह से तैयार रहते हैं। भारतीय सेना के पास सियाचिन में पाकिस्तान से युद्ध लड़ने का अनुभव है। सैन्य प्रवक्ता ने कहा कि लद्दाख में जवानों और सप्लाई की मूवमेंट्स के लिए हमारे पास सड़क मार्ग के साथ-साथ तमाम एयरबेस भी मौजूद हैं।
इसके अलावा रास्तों के अवरुद्ध होने पर बर्फ हटाने के आधुनिक सामानों से लेकर अन्य जरूरी साजो-सामान को लद्दाख को जोड़ने वाले सभी रास्तों पर तैनात किया जा चुका है। लद्दाख में जवानों को सैन्य वाहनों, टैंक या किसी भी अन्य मशीनरी के संचालन के लिए ईंधन की कमी ना हो, इसके लिए इस इलाके में पर्याप्त मात्रा में ईंधन और स्पेशल ल्यूब्रिकेंट्स का इंतजाम भी कराया गया है।
 
चीनी सैनिकों को युद्ध का अनुभव नहीं 
उन्होंने कहा कि भारतीय सैनिकों की तुलना में चीनी सैनिक शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर हैं। क्योंकि चीनी सैनिक ज्यादातर शहरी क्षेत्रों से आते है। चीन की अवधारणा हमेशा बिना लड़े युद्धों को जीतने की रही है। चीन अपनी सेना के बल पर भारत की सेना के खिलाफ प्रोपोगैंडा फैला रहा है, जबकि उसके जवानों को खुद ही मैदानी और ऊंचे इलाकों में जंग का कोई अनुभव नहीं है।
 
पीएलए सैनिकों को ‘अलविदा पत्र’ लिखने के आदेश  

 

दूसरी तरफ पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने एलएसी पर तैनात अपने सैनिकों को आदेश दिया है कि वे अपने प्रियजनों को ‘अलविदा पत्र’ लिखने की प्रक्रिया जल्द से जल्द पूरी करें। चीनी सेना में यह प्रक्रिया युद्ध की अंतिम तैयारी के बाद प्रचलन में है। चीनी सेना अपने सैनिकों को इस तरह के आदेश देती है ताकि वे अपने परिजनों को युद्ध के मैदान में जाने से पहले पत्र लिखकर ‘अलविदा’ कह सकें। चीनी सेना के इस आदेश से यह भी संकेत मिलते हैं कि पीएलए का सैन्य नेतृत्व भारत के साथ गलवान में हुए संघर्ष के नतीजों को भूला नहीं है, भले ही अपने हताहत सैनिकों की संख्या का खुलासा आज तक न किया हो।

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