काबुल। अफगानिस्तान में खूनी जंग लड़ रहे तालिबान ने अब भारत-अफगान दोस्ती के प्रतीक सलमा बांध पर हमले करना शुरू कर दिया है। सलमा बांध पर भारत ने करोड़ों रुपये खर्च किया था और यह अफगानिस्तान में भारत के सबसे महंगे प्रॉजेक्ट में से एक था। इस बांध न केवल बिजली का उत्पादन होता है, बल्कि लाखों लोगों के लिए पीने के पानी की भी सप्लाइ होती है। अब तालिबान इस बांध को तबाह करने में जुट गया है और लगातार बम बरसा रहा है।
सलमा बांध अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में स्थित है। इस बांध का भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ घनी ने वर्ष 2016 में उद्घाटन किया था। यह अफगानिस्तान के सबसे बड़े और प्रमुख बांधों में से एक है। इस बीच अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर बांध को नुकसान पहुंचा तो हेरात प्रांत के जिलों में फसलों की सिंचाई पर बहुत बुरा असर पडे़गा।
बांध से 42 मेगावाट बिजली का उत्पादन
अफगान अधिकारियों ने बताया कि तालिबान आतंकी रॉकेट और तोपों से गोलों की बारिश कर रहे हैं। ये गोले अभी बांध के पास गिरे हैं लेकिन बांध को कोई नुकसान नहीं हुआ है। इस बांध से अभी 8 जिलों में सिंचाई के लिए पानी की सप्लाइ होती है। अफगानिस्तान के जल नियामक प्राधिकरण ने तालिबान से अपील की है कि वे इस राष्ट्रीय संपदा को नुकसान नहीं पहुंचाएं।
तालिबान आतंकियों ने अभी इसका कोई भरोसा नहीं दिया है। सलमा बांध में 64 करोड़ क्यूबिक मीटर पानी आता है और दो लाख एकड़ इलाके में सिंचाई होती है। यहां से ईरान सीमा तक पानी जाता है। इस बांध से 42 मेगावाट बिजली का भी उत्पादन होता है। वर्ष 2004 में भारतीय कैबिनेट ने इस बांध को पूरा करने के लिए 351 करोड़ रुपये की धनराशि को मंजूरी दी थी। भारतीय इंजीनियरों ने जान को जोखिम में डालकर इस बांध का निर्माण कार्य पूरा किया था।