भारत और इजराइल साथ मिलकर एक खास तरह की रैपिड टेस्टिंग किट विकसित करने पर काम कर रहे हैं। प्रयोग सफल हुआ तो सिर्फ 30 सेकेंड के अंदर ही कोरोना की जांच रिपोर्ट मिल सकेगी। दिल्ली के डॉ. राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) हॉस्पिटल में 3 दिन पहले इसका ट्रायल शुरू हो चुका है। नतीजे अगले 2 हफ्ते में मिलने की उम्मीद है।
भारत और इजराइल के विदेश मंत्रालय के तहत इस ट्रायल में इजराइल का डायरेक्टोरेट ऑफ डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (डीआरडीडी), भारत का डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) मिलकर काम कर रहे हैं। इसमें काउंसिल ऑफ साइंस एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) भी शामिल हैं। 3 दिन पहले इजराइल से आई विशेष फ्लाइट से वैज्ञानिकों की टीम यहां पहुंची है।
भारत ने इजराइल की हरसंभव मदद की
इजराइल की राजदूत रॉन मल्का ने बताया कि कोरोना के दौरान दोनों देशों के प्रधानमंत्रियों ने बात की। दोनों में कोरोना का हल निकालने के लिए साथ काम करने पर सहमति बनी। उन्होंने कहा रिसर्च कामयाब रही तो यह कुछ सेकेंड में ही रिजल्ट मिल जाएगा। उन्होंने कहा कि कोरोना के दौरान भारत ने इजराइल की हरसंभव मदद की। भारत ने इजराइल को दवा और दवाओं के लिए जरूरी रॉ-मटेरियल भी सप्लाई किए। ये अच्छे दोस्त की निशानी है।
भारत में पीएमओ के प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर के. विजय राघवन ने बताया कि भारत और इजराइल हर क्षेत्र में साझेदार हैं। बीते सालों में दोनों देशों के बीच जो विश्वास और संबंध बने हैं, उससे इस रिसर्च को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। मुझे उम्मीद है कि हम इस ट्रायल में सफल होंगे और यह हमारे देश और जनता के लिए फायदेमंद होगा।
4 तरह के टेस्ट पर ट्रायल हो रहा
ट्रायल में 4 अलग-अलग तरह के आसान और नॉन-इन्वेसिव टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसमें वॉइस टेस्ट, यानी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस की मदद से मरीज की आवाज में बदलाव देखा जाता है। ब्रीद एनालाइजर, यानी मरीज को एक ट्यूब में फूंकने को कहा जाता है, इससे उसके लंग्स की कैपेसिटी पता की जाती है। साथ ही टेर्रा वेव से टेस्ट किया जाता है। इससे वायरस की मौजूदगी पता चलती है।
आइसोथर्मल टेस्टिंग की जाती है, इससे मरीज के सलाइवा में वायरस की पहचान होती है। पॉलीअमीनो एसिड का इस्तेमाल किया जाता है। इससे कोविड-19 से संबंधित प्रोटीन को अलग किया जाता है।