भारत की चीन को दो टूक : पूर्व के फैसलों को मानने से ही निकलेगा सीमा विवाद का हल

नई दिल्ली। भारत ने कहा है कि चीन के साथ लगती उसकी सीमा पर किसी विवाद को हल करने की पूर्व शर्त यह है कि इस संबंध में किए गए समझौतों व सहमति का पालन किया जाए तथा यथास्थिति में बदलाव करने की कोई एकतरफा कार्रवाई न की जाए।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध के संबंध में पूछे गए सवालों के उत्तर में विदेश मंत्री एस जयशंकर के उक्त कथन का हवाला दिया।
विदेश मंत्री ने एक साक्षात्कर में यह भी कहा था कि अतीत में भारत-चीन सीमा पर पैदा हुए विवादों का समाधान कुटनीतिक विचार-विमर्श के जरिए ही हुआ था।

प्रवक्ता ने पूर्वी लद्दाख की स्थिति के बारे में मंत्रालय के पिछले बयान को दोहराते हुए कहा कि भारत और चीन ने पूर्वी लद्दाख में अग्रिम सैन्य टुकड़ियों को हटाने और तनाव कम करने से जुड़े बकाया मुद्दों को जल्द से जल्द हल करने का फैसला किया है।

सीमा मामलों पर विचार-विमर्श और समन्य तंत्र (डब्ल्यूएमसीसी) की गत 19 अगस्त को हुई बैठक में दोनों देशों के अधिकारियों ने भारत-चीन सीमा के पश्चिमी सेक्टर (लद्दाख) पर मौजूदा हालात के बारे में खुले दिल-दिमाग से गहन विचार-विमर्श किया था।

दोनों देशों के अधिकारियों ने दोहराया था कि विदेश मंत्रियों और विशेष प्रतिनिधियों की बैठकों में बनी सहमति को दोनों पक्ष ईमानदारी से लागू करेंगे, ताकि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर अग्रिम मोर्चों से सैनिकों को हटाया जाए। यह पूरा काम मौजूदा समझौतों और तयशुदा तौर-तरीकों के आधार पर होगा। दोनों देशों में सहमति थी कि सीमा पर शांति और सामान्य स्थिति द्विपक्षीय संबंधों के समग्र विकास के लिए आवश्यक है।

प्रवक्ता के अनुसार दोनों पक्षों ने सीमा से सैनिकों को हटाने के काम को सुनिश्चित करने के लिए कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर संपर्क बनाए रखने की जरूरत महसूस की। बैठक में यह तय किया गया कि डब्ल्यूएमसीसी सहित विभिन्न माध्यमों से संपर्क और संवाद जारी रखा जाएगा।

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