नई दिल्ली। भारत द्वारा 2 प्रतिशत बराबरी (equalisation) लेवी लगाने के बाद कई कंपनियों को सॉफ्टवेयर या उपकरण खरीदने जैसे डिजिटल लेन-देन पर दोहरे टैक्स की संभावना नजर आ रही है। वर्तमान में उनमें से कई कंपनियाँ भारत के बाहर स्थित बहुराष्ट्रीय कंपनियों से खरीद पर 10 प्रतिशत रॉयल्टी विदहोल्डिंग टैक्स का भुगतान करती हैं।
विदेशी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से लेन देन पर लगती है यह लेवी
बता दें कि भारत ने एक अप्रैल से नया नियम लाया है। इसके अनुसार विदेशी ईकॉमर्स प्लेटफॉर्म के माध्यम से भारत स्थित इकाई द्वारा किसी भी खरीद पर 2 प्रतिशत टैक्स लगाया जा सकता है। टैक्स विशेषज्ञों का कहना है कि लेवी के बारे में स्पष्टता की कमी का मतलब है कि विभिन्न कंपनियां इसकी अलग तरीके से व्याख्या कर रही थीं। कुछ कंपनियाँ सतर्क हैं और इन लेनदेन पर 12 प्रतिशत का पेमेंट लेवी और रॉयल्टी विदहोल्डिंग टैक्स को मिलाकर कर रही हैं। दूसरी कंपनियां या तो 10 प्रतिशत या 2 प्रतिशत टैक्स का चयन कर रही हैं।
अप्रैल 2021 से एक मौका मिलने की उम्मीद
वैसे टेक्निकल रूप से विदेशी कंपनियाँ जो सॉफ्टवेयर या अन्य उत्पादों के लिए जानी जाती हैं और जिन्हें रॉयल्टी देने के पात्र हैं, उन्हें दोहरे टैक्स का सामना करना पड़ सकता है। क्योंकि उन पर दोनों 10 प्रतिशत का रॉयल्टी विदहोल्डिंग टैक्स और 2 प्रतिशत की लेवी एक ही लेनदेन पर लागू होगी। जानकारों के मुताबिक हालांकि अप्रैल 2021 से टैक्स आर्बिट्राज के लिए भी एक मौका हो सकता है। क्योंकि कुछ कंपनियां 10% टैक्स के बजाय 2% लेवी का भुगतान को चुन सकती हैं, जब तक कि कानून में संशोधन नहीं हो जाता।
मल्टीनेशनल कंपनियां रास्ता निकालने की सोच रही हैं
अनुमान है कि कई बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी इस तरह के टैक्स से बचने का रास्ता का पता लगाने के लिए काम में लगी हो सकती हैं। टैक्स क्रेडिट को लेकर भी चुनौतियां हो सकती हैं। क्योंकि 10% या 2% टैक्स को लेकर बताया जाता है कि अधिकारियों में भी आपसी विवाद है। इसका मतलब यह होगा कि भारत में मल्टीनेशनल पेइंग टैक्स को अपने ही देश में टैक्स के खिलाफ छूट नहीं मिल सकती है, जो आम तौर पर मान्य होता है।
अमेरिका ने पहले से ही जांच शुरू की है
अमेरिका ने पहले ही इस बात की जांच शुरू कर दी है कि भारत सहित कुछ देश भारत में गूगल, ट्विटर और फेसबुक जैसी डिजिटल कंपनियों पर कैसे टैक्स लगा रहे थे। अब जांच का फोकस 2% की नई (equalisation) लेवी है। भारत सरकार ने जांच अधिकारियों को अपनी बात बता दी है। डर यह है कि अमेरिका से बाहर काम करने वाली भारतीय कंपनियों पर भी बराबर का कर लगाया जा सकता है।
यह लेवी 2016 में सबसे पहले पेश की गई थी
सरकार ने एक अप्रैल से बराबरी लेवी का दायरा बढ़ा दिया है। यह लेवी सबसे पहले 2016 में पेश की गई थी, ताकि भारत से गूगल, फेसबुक और अमेजन जैसे इंटरनेट दिग्गजों के डिजिटल विज्ञापन रेवेन्यू पर टैक्स लगाया जा सके। वर्तमान परिभाषा के अनुसार, 2% समकरण लेवी विदेशी प्लेटफॉर्म के माध्यम से किसी भी खरीद पर लगाई जा सकती है।
टैक्स विशेषज्ञों ने कहा कि कई फर्मों को डर है कि अब होटल बुकिंग, सॉफ्टवेयर खरीद और यहां तक कि विदेशों से कुछ कंपोनेंट को खरीदने सहित सभी प्रकार के लेनदेन अब समकरण लेवी के तहत आ सकते हैं।