– भारत के कब्जे में हैं पैंगोंग के दक्षिणी किनारे की आधा दर्जन रणनीतिक पहाड़ियां
– सेना प्रमुख, सीडीएस और एनएसए की निगरानी में हो रहे हैं सैन्य ऑपरेशन
नई दिल्ली। पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे की भारत के कब्जे में आईं रणनीतिक चोटियों में ब्लैक टॉप और हेलमेट टॉप पहाड़ियां शामिल नहीं हैं, क्योंकि ये दोनों एलएसी के उस पार चीनी क्षेत्र में हैं। इस माह की शुरुआत में भारत ने लगभग 60-70 किमी. क्षेत्र की आधा दर्जन महत्वपूर्ण पहाड़ियों को अपने नियंत्रण में लेकर सेना की तैनाती की है लेकिन सीमा पार की इन दोनों चोटियों पर भारत का कब्जा नहीं हुआ है।
आज सरकारी सूत्रों ने साफ कर दिया है कि ब्लैक टॉप और हेलमेट टॉप पहाड़ियों से सेना अभी करीब 1.5 किमी दूर है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल, सीडीएस जनरल बिपिन रावत और सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे की निगरानी में एलएसी पर सैन्य ऑपरेशन किए जा रहे हैं।
दरअसल 29 और 30 अगस्त की रात पैंगोंग झील के दक्षिणी किनारे पर भारतीय क्षेत्र की थाकुंग चोटी पर घुसपैठ के इरादे से करीब 200 चीनी सैनिक आये थे। इनके साथ टैंक और गोला बारूद भी था लेकिन पहले से मुस्तैद भारतीय जवानों ने उस समय मोर्चा संभाल लिया जब चीनी सैनिक बमुश्किल कुछ सौ मीटर की दूरी पर मौजूद थे। जब चीनी सैनिक घुसपैठ के लिए आगे बढ़े तो भारतीय जवानों ने उन्हें रोका और मामूली झड़प के बाद काफी पीछे खदेड़ दिया।
चीन की इस ताजा हिमाकत के बाद भारत ने एक रणनीति के तहत 60-70 किमी. क्षेत्र में फैली आधा दर्जन रणनीतिक ऊंचाइयों वाली पहाड़ियों पर अपने सैनिकों की तैनाती करने का अभियान छेड़ दिया। भारत ने ‘ऑपरेशन स्नो लेपर्ड’ चलाकर मागर हिल, गुरुंग हिल, रेजांग ला, रेचांग ला, मोखपारी और फिंगर-4 रिज लाइन पर स्थित इन सभी बड़ी चोटियों पर कब्जा कर लिया। यह पूरा ऑपरेशन सेना प्रमुख जनरल मनोज मुकुंद नरवणे की निगरानी में किया गया।
इन चोटियों को अपने नियंत्रण में लेते वक्त सैन्य टीमों की सुरक्षा के लिए भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट लगातार आसपास पेट्रोलिंग करते रहे। यह ऑपरेशन इतना गोपनीय रहा कि चीनियों को हर चोटी पर तिरंगा फहरने के बाद ही भनक लग सकी। इन चोटियों पर भारत का कब्ज़ा होने के बाद ब्लैक टॉप और हेलमेट टॉप चोटी को लेकर भ्रम बन गया। भारत के कब्जे में आईं चोटियों के साथ इनका भी नाम गिना जाने लगा लेकिन आज सरकार के सूत्रों ने स्थिति साफ कर दी कि ब्लैक टॉप और हेलमेट टॉप पहाड़ियां एलएसी के चीनी हिस्से में हैं, जबकि भारतीय पक्ष द्वारा कब्जा की गई चोटियां भारतीय क्षेत्र में ही हैं।
भारतीय सेना के इस सफल अभियान के बाद से ही चीनी सेना बौखला गई है। चीन ने रेजांग ला, रेचांग ला हाइट्स के पास इंफैंट्री और बख्तरबंद सैनिक तैनात किये हैं। इतना ही नहीं भारत की पोस्ट से महज 170 मीटर की दूरी पर अपनी पोस्ट बनाकर संयुक्त ब्रिगेड की लगभग 3,000 अतिरिक्त टुकड़ियों को तैनात किया है।
एलएसी पर 20 दिन में तीन बार चली गोली
इस दौरान चीनी सेना की कोशिशों को नाकाम करने के लिए पैंगोंग के उत्तरी तट से लेकर झील के दक्षिणी किनारे तक कम से कम तीन मौकों पर हवाई फायरिंग तक हुई। सबसे पहली बार गोलीबारी 29-30 अगस्त को हुई जब चीन ने दक्षिणी पैंगोंग की ऊंचाई वाली थाकुंग चोटी पर कब्जा करने की कोशिश की और भारतीय सैनिकों ने उन्हें खदेड़ा। दूसरी बार सात सितम्बर को मोखपारी की चोटियों पर गोलीबारी हुई।
यहां घुसपैठ करने के इरादे से आये चीनी सैनिक अपने साथ मध्यकालीन युग के हथियार बरछी, भाले और धारदार औजार भी लाये थे और भारत के खदेड़े जाने पर उन्होंने फायरिंग की। इसके बाद पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे पर 8 सितम्बर को चीनी सेना ने काफी आक्रामकता दिखाई, जिसके बाद करीब 100 राउंड फायरिंग हुई।