भारत-चीन के बीच आपसी समझदारी और संतुलन जरूरी: विदेश मंत्री

नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि भारत और चीन एक अरब से अधिक जनसंख्या वाले दो बड़े देश हैं जिनके बीच आपसी समझदारी और संतुलन बहुत आवश्यक है। विदेश मंत्री भारत-अमेरिकी रणनीतिक साझेदारी फोरम (यूएसआईएसपीएफ) की ओर से आयोजित एक संवाद को वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि चीन के बढ़ते असर के प्रति भारत सजग है, चीन हमारा निकट पड़ोसी है तथा वहां के घटनाक्रम का हमपर सीधा असर होता है। चीन और पाकिस्तान के बीच रिश्तों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि यह 1960 के दशक से बनने शुरू हुए थे उस समय से ही भारत इन्हें लेकर चिन्तित रहा था। इन्ही रिश्तों के संदर्भ में भारत समुचित नीति तैयार करता है।
भारत-अमेरिका संबंधों की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग इस बात की गवाही देता है कि आपसी समझदारी में बढ़ोत्तरी हुई है। गठबंधन की सोच से बाहर निकलकर अमेरिका अब भारत के साथ संबंध स्थापित कर रहा है। अनेक ऐसे क्षेत्र हैं जिनमें भारत और अमेरिका की सोच एक जैसी है।
अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के संदर्भ में विदेश मंत्री ने कहा कि हाल के वर्षों के दौरान अमेरिका में कोई भी प्रशासन आए वह द्विपक्षीय संबंधों को महत्व देता रहा है। अमेरिका की डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन पार्टी दोनों के ही प्रशासन के दौरान भारत के साथ संबंधों में मजबूती आई है।
जयशंकर ने कहा कि आपसी संबंधों के बारे में दोनों देशों का रवैया पहले की बजाए अब अधिक व्यावहारिक है। अमेरिका भारत को खुले नजरिए से देखता है। दुनिया के लोग भारत और अमेरिका के संबंधों से यह उम्मीद लगाते हैं कि वह दुनिया को बेहतर बनाने में सहायक होगा।
अमेरिका में आव्रजन नीति के संबंध में विदेश मंत्री ने कहा कि भारत पूरी दुनिया में प्रतिभा सम्पन्न, प्रशिक्षित और पेशेवर लोग पूरी दुनिया में भेजता है। आव्रजन भारत और संबंधित देश दोनों के लिए फायदेमंद है। पूरी दुनिय में स्वीकार किया जाता है कि भारत की प्रतिभा और पेेशेवर लोगों ने अपने ही नहीं बल्कि दुनिया के अन्य देशों की अर्थव्यवस्थाओं में भी योगदान देता है।
कोरोना महामारी से अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले दुष्प्रभावों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की बहाली के लिए जरूरी है कि उद्योग और कारोबार को सुगम बनाने की परिस्थितियां पैदा की जायें। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से दुनिया को दो सबक मिले हैं- पहला-कामकाज में डिजिटल माध्यमों का अधिक से अधिक उपयोग और दूसरा-कारगर व भरोसेमंद आपूर्ति प्रणाली की जरूरत।

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