भारत ने चीन को दिया कड़ा संदेश : सीमा पर किसी तरह का एकतरफा बदलाव स्वीकार नहीं

नयी दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर तनाव कम करने और अग्रिम सैन्य टुकड़ियों को हटाने के मामले में भारत-चीन के ‘विचार-विमर्श एवं समन्वय तंत्र’ (डब्ल्यूएमसीसी) की अगली बैठक जल्द ही होगी। विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को उम्मीद जताई कि चीनी पक्ष सीमा पर तनाव कम करने और अग्रिम सैन्य डुकड़ियों को हटाने के प्रति गंभीरता पूर्वक काम करेगा। भारत ने बृहस्पतिवार को कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर शांति एवं स्थिरता कायम रखना चीन के साथ द्विपक्षीय संबंधों का आधार है।

भारत उम्मीद करता है कि चीनी पक्ष पूर्वी लद्दाख से अपने सैनिकों को पूरी तरह हटाने में ईमानदरी बरतेगा। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने एक एक ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि विमर्श एवं समन्वय कार्य तंत्र के ढांचे के तहत भारत और चीन के बीच कूटनीतिक स्तर की एक और दौर की वार्ता जल्द होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, ‘‘सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता कायम रखना हमारे द्विपक्षीय संबंधों का आधार है।’

श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘इसलिए यह हमारी उम्मीद है कि विशेष प्रतिनिधियों के बीच बनी सहमति के अनुरूप चीनी पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों से पूरी तरह हटने और तनाव कम करने तथा पूर्ण शांति एवं स्थिरता बहाली के लिए हमारे साथ ईमानदारी से काम करेगा।’’ पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनाव कम करने के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के बीच पांच जुलाई को टेलीफोन पर लगभग दो घंटे तक बात हुई थी। इस वार्ता के बाद दोनों पक्षों ने छह जुलाई से विवाद वाले स्थानों से अपने-अपने सैनिकों को पीछे हटाने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी।

श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘हम यह भी स्पष्ट कर चुके हैं कि भारत एलएसी की निगरानी और इसका सम्मान करने के प्रति पूरी तरह कटिबद्ध है और हम एलएसी पर यथास्थिति को बदलने के किसी भी एकतरफा प्रयास को स्वीकार नहीं करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि विशेष प्रतिनिधियों के बीच वार्ता के दौरान दोनों पक्ष शांति एवं स्थिरता की पूर्ण बहाली के लिए एलएसी से सैनिकों को पूरी तरह हटाने तथा सीमावर्ती क्षेत्रों में तनाव कम करने के लिए सहमत हुए हैं।

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