नई दिल्ली। ई-वे बिल, पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतें और गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) को लेकर द कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने आज भारत बंद बुलाया है। सड़क परिवहन क्षेत्र की सर्वोच्च संस्था ऑल इंडिया ट्रांसपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन (AITWA) और अन्य संगठनों ने भी बंद के समर्थन का ऐलान किया है।
इस बंद का अभी तक मिलाजुला असर देखने को मिला है। कई व्यापारी संगठनों ने इससे दूरी बना ली है। कैट का दावा है कि दिल्ली सहित देश भर के 40,000 से अधिक व्यापारिक संगठनों के 8 करोड़ से अधिक व्यापारी इस बंद का समर्थन कर रहे हैं। वहीं नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहे किसान भी भी बंद का समर्थन कर रहे हैं। ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट वेलफेयर एसोसिएशन (AITWA) इसको समर्थन कर रहा है। यह संगठन लगभग एक करोड़ ट्रांसपोर्टर्स का प्रतिनिधित्व करता है।
ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस(AIMTC) कोर कमेटी के चेयरमैन बाल मलकीत सिंह ने कहा कि आज का बंद व्यापारियों ने बुलाया है, कुछ संस्थाओं ने इसका समर्थन किया है। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस इसका समर्थन नहीं करती है, ये बंद सिर्फ कागजों में है जमीनी स्तर पर नहीं।
हालांकि, समाचार एजेंसी पीटीआइ के अनुसार कई व्यापारियों के संगठन जैसे अखिल भारतीय व्यापार मंडल और भारतीय उद्योग संघ मंडल ने बंद को समर्थन नहीं दिया है। फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया व्यापार मंडल (FAIVM) ने कहा कि उसने बंद को समर्थन नहीं दिया है। संगठन के राष्ट्रीय महासचिव वीके बंसल ने कहा कि कुछ मांगों के समर्थन में दुकानें बंद करने के पक्ष में नहीं है।
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि कि पिछले 43 महीनों में जीएसटी अपने मूल उद्देश्य से भटक गया है। वहीं भारतीय उद्योग व्यापार मंडल दिल्ली के महासचिव राकेश यादव ने कहा कि संगठन ने बंद को समर्थन नहीं दिया है और सरकार को जीएसटी से संबंधित मुद्दों पर एक ज्ञापन सौंपा है।
GST संशोधन में अधिकारियों को ज्यादा अधिकार, व्यापारियों के लिए मुसीबत
कैट के मुताबिक, पिछले साल 22 दिसंबर और उसके बाद GST नियमों में कई बदलाव किए गए। इसमें अधिकारियों को बहुत ज्यादा अधिकार दिए गए। अब कोई भी अधिकारी कोई भी कारण लेकर किसी भी व्यापारी का GST रजिस्ट्रेशन नंबर सस्पेंड या कैंसिल कर सकता है। बैंक अकाउंट और संपत्ति भी जब्त कर सकता है। खास बात यह है कि ऐसा करने से पहले कारोबारी को कोई नोटिस नहीं दिया जाएगा। यह कारोबारियों के मौलिक अधिकारों का हनन है।
ई-वे बिल में बदलाव से ट्रांसपोर्टर्स और कारोबारी परेशान
एक जनवरी से प्रभावी होने वाले नए ई-वे बिल नियम से ट्रांसपोर्ट और कारोबारी फिक्रमंद हैं, क्योंकि ई-वे बिल की लिमिट 100 किलोमीटर से बढ़ाकर 200 किलोमीटर कर दी गई है। दरअसल 2021-22 के बजट में ई-वे बिल के सेक्शन 129 में बदलाव किया गया। इसके मुताबिक यदि बिल में कोई गलती होती है, तो टैक्स और पेनल्टी दोनों लगेंगी। साथ ही जो टैक्स पहले वापस हो जाता था, वह अब नहीं होगा। यानी अनजाने में अगर छोटी गलती हो जाए तो पेनल्टी और जुर्माना दो गुना वसूला जाएगा।