नई दिल्ली। सैन्य और कूटनीतिक प्रयासों के बावजूद पूर्वी लद्दाख सीमा पर तनाव भारत और चीन के सेनाओं के बीच तनाव जारी है। भारत ने आज कहा कि पूर्वी लद्दाख सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच जारी तनाव और गलवान घाटी की हिंसक झड़प के लिए चीन की हरकतें जिम्मेदार हैं। विदेश मंत्रालय ने कहा कि चीन ने सीमा पर शांति बनाए रखने के लिए दोनों देशों के बीच हुए विभिन्न समझौतों का पालन नहीं कर रहा है जिससे सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच तनातनी है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा, “मई की शुरुआत से ही चीनी पक्षों की तरफ से वास्तविक नियंत्रण रेखा पर सैनिकों और हथियारों की तैनाती की गई, ऐसा हमारे बीच हुई सहमति में नहीं था।” उन्होंने कहा, चीन वहां मई की शुरुआत से ही बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती कर रहा था, ऐसे में भारत को इसके जवाब में तैनाती करनी ही पड़ी। गलवान घाटी संघर्ष के बाद दोनों पक्षों ने क्षेत्र में बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती की।
विदेश मंत्रालय ने आगे कहा कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी पक्ष का व्यवहार मौजूदा समझौतों के प्रति उसके पूर्ण असम्मान को दर्शाता है। भारत ने वास्तविक नियंत्रण रेखा पर कभी भी यथास्थिति को बदलने का प्रयास नहीं किया। मौजूदा स्थिति बने रहने से आगे और माहौल खराब होगा।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने ऑनलाइन मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि मई की शुरुआत से चीन एलएसी पर बड़ी संख्या में सैनिकों की तैनाती कर रहा है। साथ ही उसने सीमा के पास हथियारों का जमावड़ा भी लगा रखा है। चीनी सेना ने मई की शुरुआत में गलवान घाटी इलाके में भारतीय सेना की गश्त में बाधा डाली।
लेकिन इसे ग्राउंड कमांडरों ने सुलझा लिया था। इसके बाद मई के मध्य में चीन के सैनिकों ने एलएसी पर यथास्थिति बदलने की कोशिश की जिसका भारत ने सैन्य और कूटनीतिक तरीके से विरोध किया।
उन्होंने कहा कि 6 जून को कोर कमांडरों की बैठक में दोनों सेनाओं के बीच एलएसी पर मौजूदा स्थिति से पीछे हटने पर सहमति बनी थी। लेकिन चीन ने गलवान घाटी में ढांचा खड़ा करने की कोशिश की जिससे 15 जून को दोनों सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई। इसके बाद से दोनों पक्षों ने वहां बड़ी संख्या में अपने सैनिकों को तैनात कर रखा है और साथ ही तनाव खत्म करने के लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत जारी है।
प्रवक्ता ने कहा कि चीन की हरकतें सीमा पर शांति कायम रखने के लिए दोनों देशों के बीच हुए विभिन्न समझौतों के अनुरूप नहीं है। खासकर 1993 के समझौते में साफ कहा गया है कि दोनों पक्ष एलएसी पर न्यूनतम सैन्य बल रखेंगे। लेकिन चीन ने ऐसा नहीं किया और मजबूरन भारत को भी सीमा पर अपने सैनिकों की तैनाती बढ़ानी पड़ी है।
उन्होंने कहा कि एलएसी पर चीन के अवैध दावों से भी तनाव बढ़ा है। गलवान घाटी में चीन की पोजीशन में बदलाव इसका प्रमाण है। भारत का साफ कहना है कि दोनों देशों के बीच संबंधों का आधार सीमा पर शांति है। इसलिए जरूरी है कि मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए स्थापित व्यवस्थाओं का इस्तेमाल किया जाए।