नई दिल्ली। दुनिया के सबसे ज्यादा व्यस्त शिपिंग रूट में शुमार स्वेज नहर में एक जहाज बीते कई दिनों से फंसा हुआ है। इसे निकालने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन इसमें देरी हो रही है। स्वेज नहर पर जाम लगने के कारण 150 अन्य जहाज निकलने का इंतजार कर रहे हैं।
इन जहाजों पर भारत समेत एशिया के कई देशों का क्रूड ऑयल समेत अन्य सामान लदा है। जानकारों का कहना है कि यदि जल्द ही इस समस्या का समाधान नहीं होता है तो भारत में क्रूड ऑयल समेत अन्य कई महत्वपूर्ण सामानों की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है।
संकट से निपटने के लिए सरकार ने बनाया 4 सूत्रीय प्लान
स्वेज नहर में जाम के कारण पैदा हुए संकट से निपटने के लिए सरकार ने चार सूत्रीय प्लान बनाया है। मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स की लॉजिस्टिक्स डिविजन की ओर से आयोजित एक बैठक में यह प्लान पेश किया गया। सरकार के प्लान में कार्गो को प्राथमिकता, फ्रेट रेट, पोर्ट्स को सलाह और जहाजों के लिए दूसरा रूट तय करना शामिल है।
स्पेशल सेक्रेटरी लॉजिस्टिक्स पवन अग्रवाल की अध्यक्षता में आयोजित इस बैठक में मिनिस्ट्री ऑफ पोर्ट्स, शिपिंग एंड वाटरवेज, ADG शिपिंग, शिपिंग कंटेनर लाइंस एसोसिएशन (CLSA) और फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (FIEO) के प्रतिनिधि शामिल हुए।
प्राथमिकता वाले कार्गों की पहचान की जाएगी
प्लान के मुताबिक, FIEO, MPEDA और APEDA संयुक्त रूप से प्राथमिकता वाले कार्गो की पहचान करेंगे। फिर इन कार्गों को निकालने पर काम किया जाएगा। CLSA यह सुनिश्चित करेगा कि यह कंटेनर मौजूदा फ्रेट रेट पर ही भारत लाए जाएं। साथ ही शिपिंग लाइन्स से आग्रह किया जाएगा कि वे संकट के दौरान फ्रेट रेट में स्थिरता बनाए रखें। मिनिस्ट्री ऑफ कॉमर्स की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यह संकट अस्थाई है लेकिन इसका प्रभाव लंबा रह सकता है।
पोर्ट्स पर बढ़ सकता है काम का बोझ
बयान में कहा गया है कि इस संकट के खत्म होने के बाद पोर्ट्स पर काम का बोझ पड़ेगा। इससे जवाहर लाल नेहरू पोर्ट ट्रस्ट (JNPT), मुंद्रा और हजीरा पोर्ट पर ज्यादा असर पड़ेगा। मिनिस्ट्री ऑफ पोर्टस, शिपिंग एंड वाटरवेज इन पोर्टस के लिए एडवाइजरी जारी करेगा कि वे आने वाले दिनों में हर स्थिति से निपटने की तैयारी कर लें।
CLSA केप ऑफ गुड होप के रास्ते जहाजों के नए रास्ते तय करने के विकल्प तलाशेगा। इसमें सामान्य से 15 दिन ज्यादा का समय लग सकता है। कॉमर्स मिनिस्ट्री का कहना है कि 23 मार्च से स्वेज नहर में लगे जाम के कारण ग्लोबल ट्रेड बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।
स्वेज नहर से भारत का 200 बिलियन डॉलर का आयात-निर्यात
स्वेज नहर के जरिए भारत 200 बिलियन डॉलर का आयात-निर्यात करता है। यह आयात-निर्यात नॉर्थ अमेरिका, साउथ अमेरिका और यूरोप के देशों के साथ होता है। इस रास्ते से मुख्य रूप से पेट्रोलियम उत्पाद, ऑर्गेनिक कैमिकल, आयरन एंड स्टील, ऑटोमोबाइल और हैंडिक्राफ्ट संबंधी उत्पादों का आयात-निर्यात होता है। बैठक में बताया गया कि करीब 200 जहाज स्वेज नहर के दोनों और निकलने का इंतजार कर रहे हैं। हर रोज दोनों ओर 60 जहाज कतार में शामिल हो रहे हैं।
नहर को खोलने में लग सकता है एक सप्ताह का समय
मंत्रालय ने बयान में कहा है कि यदि स्वेज नहर को खोलने में दो दिन का समय और लगता है तो 350 से ज्यादा जहाज जाम में फंस जाएंगे। मंत्रालय ने अनुमान जताया है कि नहर को खोलने में 1 सप्ताह से ज्यादा का समय लग सकता है। बयान में कहा गया है कि मंत्रालय स्थिति पर लगातार नजर बनाए हुए हैं।
इस नहर के इस्तेमाल करने से एशिया से यूरोप की दूरी कम हो जाती है। स्वेज नहर के रास्ते से जाने पर भारत से लंदन की दूरी 11,482 किलोमीटर होती है, जबकि अफ्रीका के रास्ते जाने पर 20,001 किलोमीटर का सफर करना पड़ता है।
स्वेज नहर से हर रोज 7500 करोड़ रुपए के सामान का आवागमन
स्वेज नहर यूरोप और एशिया को आपस में जोड़ती है। इस नहर के जरिए दुनिया का करीब 12% कारोबार होता है। स्वेज नहर की लंबाई 193 किलोमीटर और चौड़ाई 200 मीटर है। दुनियाभर के 30% मालवाहक जहाज स्वेज नहर से होकर गुजरते हैं। जो जहाज नहर में फंसा है वह 400 मीटर लंबा और 59 मीटर चौड़ा है। एक अनुमान के मुताबिक, स्वेज नहर से हर रोज 7500 करोड़ रुपए के सामान का आवागमन होता है।