भारत में मिले नए डेल्टा वैरिएंट पर कोविड वैक्सीन का असर कम- WHO

नई दिल्ली। कोरोना वायरस के मामले लगातार कम हो रहे हैं। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने तीसरी लहर की भी चेतावनी दे दी है। जिसको लेकर सरकार द्वारा तैयारियां शुरू  कर दी है। भारत में कोरोना वायरस से अब तक 40 लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। लेकिन अब मृत्यु दर में भी कमी दर्ज की गई है। हालांकि वैक्सीन के आने से दुनिया को काफी राहत मिली है।

लेकिन अब विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि भारत में मिले डेल्टा वैरिएंट पर कोरोना वायरस वैक्सीन कम असरदार पाई जा रही हैं। हालांकि उसमें यह भी बताया गया है कि वैक्सीन लगाने से मौत का खतरा कम हो जाता है।

लगातार बदल रहा है वायरस

विश्व स्वास्थ्य संगठन की माने तो कोरोना वायरस लगातार अपने रंग बदल रहा है। जिसके चलते लगातार लोगों की परेशानियां  बढ़ रही है। इसका कारण कई म्यूटेशन में हो रहे बदलावों को माना जा रहा है। यही कारण है वैक्सीन का असर कम हो सकता है। डेल्टा प्लस वैरिएंट भारत में पाए गए डेल्टा वैरिएंट में हुए म्यूटेशन की वजह से बना है। वायरस के हावी होने के कारण यह लोगों के बीच बड़ी आसानी से फैलता है।

लगातार जारी है रिसर्च

कोरोना के बदलते रूप पर वैज्ञानिकों की रिसर्च लगातार जारी है। वैज्ञानिकों की माने तो कोरोना के बदलते स्वरूप और उसके जीनोम को डिकोड करने के लिए लगातार देश के कई संस्थान दिन-रात शोध कर रहे हैं। अभी तक भारत में उन्हें कोरोना के इस बदले हुए स्वरूप के बारे में कोई भी केस नहीं मिला है। जिसके चलते वह लगातार इस पर काम कर रहें हैं।

वैक्सीन लगाना बहुत जरूरी

वैज्ञानिकों की माने तो कोरोना की दोनों वैक्सीन लगाना बहुत जरूरी है। रिसर्च में यह सामने आया है कि जिन लोगों को कोरोना की दोनो वैक्सीन लग चुकी है वह 88 फीसदी तक ठीक है। उन पर खतरा कम है। लेकिन जिन्हें फाइजर या एस्ट्राजेनेका टीके की एक ही खुराक मिली है उनका केवल 33.5 तक ही बचाव हो सकेगा।

गौरतलब है कि कोरोना वायरस वैक्सीन सबसे पहले भारत में मिले डेल्टा वैरिएंट के खिलाफ ज्यादा असरदार है। दावा किया गया है कि किसी भी दूसरी वैक्सीन के मुकाबले इस ज्यादा संक्रामक और घातक वैरिएंट के खिलाफ रूस की वैक्सीन ने सबसे ज्यादा असर दिखाया है।

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