भारत में स्कूलों को खोलने में जल्दबाजी की जा रही है? जानिए क्या कहते हैं एक्सपर्ट

नई दिल्ली। भारत के विभिन्न राज्यों में स्कूल खोलने की तैयारियां होने लगी हैं। कई राज्यों ने तो स्कूल खुलने की तारीख भी घोषित कर दी है। मार्च 2020 में कोरोना आने के बाद देशभर के स्कूलों में फिजिकल क्लासेस बंद हो गई थीं। इसके बाद इस साल अप्रैल में इन्हें फिर से खोलने की तैयारी थी, लेकिन दूसरी लहर ने इस योजना पर पानी फेर दिया था। अब कोरोना केसेज में कमी आने के बाद फिर से स्कूल खोलने की तैयारी चल रही है।

लेकिन इस बीच तीसरी लहर की आशंका भी जताई जा रही है। ऐसे में स्कूलों को खोलना कितना सुरक्षित रहेगा, इसको लेकर विभिन्न विशेषज्ञों ने अपनी राय जाहिर की है।

एम्स के डायरेक्टर का यह कहना है
एम्स के डायरेक्टर डॉक्टर रणदीप गुलेरिया का कहना है कि उन जगहों पर स्कूलों को पहले खोला जाना चाहिए जहां, कोरोना के केसेज कम हैं। उन्होंने कहाकि फिजिकल क्लासेज का चलना बहुत जरूरी है, इसलिए स्कूलों को खोला जाना चाहिए, लेकिन इसे बहुत ही बैलेंस ढंग से करना होगा। उन्होंने कहाकि बड़ी संख्या में ऐसे छात्र हैं, जिनके पास मोबाइल या कंप्यूटर नहीं है।

यह छात्र लंबे समय से स्कूल नहीं गए हैं। ऐसे में वह बेहतर ढंग से पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। डॉ. गुलेरिया ने कहाकि केवल पढ़ाई ही नहीं, बल्कि बच्चों के संपूर्ण विकास के लिए फिजिकल क्लासेज बेहद जरूरी हैं। बहुत सी चीजें हैं जो तमाम कोशिश करके भी बच्चों को ऑनलाइन क्लास में नहीं सिखाई जा सकती हैं। उन्होंने कहाकि अल्टरनेट व्यवस्था के साथ स्कूलों को खोला जा सकता है।

इससे भीड़ कम होगी और बच्चों पर नजर रखना और उन्हें नियंत्रित रखना भी बेहद आसान होगा। अगर किसी बच्चे में कोई लक्षण नजर आता है तो उन्हें घर भेजा जा सकता है। वहीं संक्रामक दर कम रहने पर स्कूल चलाए जा सकते हैं और अगर कोरोना बढ़ता है तो स्कूलों को बंद किया जा सकता है।

इस मामले में सरकार का क्या कहना है?
जून महीने में सरकार ने कहा था कि स्कूल तभी खुलने चाहिए जब बड़ी संख्या में स्टाफ को वैक्सीन लग जाए। इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के डॉक्टर बलराम भार्गवा ने हाल में कहा था कि प्राइमरी सेक्शन के साथ स्कूल खुलने की शुरुआत होनी चाहिए। इसके पहले यह सुनिश्चित होना चाहिए कि सभी स्टाफ, जिसमें कि बस ड्राइवर भी शामिल हों, उन्हें वैक्सीन लग चुकी हो।

लेकिन प्राइमरी सेक्शन क्यों? इस सवाल के जवाब में डॉ. बलराम ने कहाकि बच्चे वायरल इंफेक्शन को बच्चों की तुलना में बेहतर तरीके से हैंडल कर सकते हैं। उन्होंने कहाकि बड़ों के साथ बच्चे भी कोरोना की चपेट में आए थे, लेकिन रिपोर्टों में यह बात साफ है कि बच्चों पर इसका प्रभाव कम पड़ा है। वहीं कई देशों ने फिजिकल क्लासेस बंद ही नहीं की थीं।

क्या राज्यों में मानी जा रही है सलाह?
फिलहाल जिन राज्यों में स्कूल खुलने की घोषणाएं हुई हैं, वहां बोर्ड एग्जाम्स को ध्यान में रखते हुए फैसला लिया गया है। इसलिए वहां प्राइमरी सेक्शन के बजाए कक्षा 9, 10, 11 और 12 की फिजिकल क्लासेस पहले शुरू करने पर जोर है। वहीं तीसरी लहर को लेकर आशंका जताई जा रही है कि यह बच्चों पर ज्यादा प्रभावी होगी। अभी तक की दोनों लहर का बच्चों पर ज्यादा असर नहीं पड़ा था। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है।

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