मस्क बिना स्पेस ट्रैवल महंगा: NASA का आर्टिमिस लॉन्च टलने से उठे सवाल…

नई दिल्ली। 13 दिसंबर, 1972 में अमेरिकी अपोलो-17 मिशन के सदस्य जीन सेरनान चांद की जमीन पर कदम रखने वाले आखिरी इंसान थे। मगर अब नासा एक बार फिर इंसान को चांद पर उतारने की तैयारी कर रहा है। मगर उसके आर्टिमिस मिशन का पहला लॉन्च टलने के बाद प्रोजेक्ट का विरोध बढ़ गया है।

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नासा के पूर्व एडमिनिस्ट्रेटर जिम ब्राइडेनस्टाइन तक आर्टिमिस मिशन के लॉन्च व्हीकल स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) की उपयोगिता पर सवाल उठा चुके हैं। खास बात ये है कि ये सवाल उन्होंने तब उठाया था, जब वे नासा के बॉस थे।

विरोध का सबसे बड़ा कारण इस प्रोजेक्ट का बढ़ता खर्च है। 2025 तक प्रोजेक्ट पर 7 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च होने का अनुमान है। एक बार लॉन्च की कीमत करीब 32 हजार करोड़ रुपए होगी। नासा इस लॉन्च व्हीकल के जरिए इंसान को पहले चांद और भविष्य में मंगल ग्रह तक ले जाना चाहता है।

विरोधियों का तर्क है कि एलन मस्क की कंपनी SpaceX के स्टारशिप प्रोजेक्ट का उद्देश्य भी यही है और Reusable रॉकेट्स की वजह से इसकी प्रति लॉन्च लागत भी SLS के आधे से भी कम होगी। स्पेस लॉन्च जैसे मामलों में निजी सेक्टर पर निर्भरता का विरोध करने वाले SLS को जरूरी मानते हैं। मगर सच्चाई ये है कि नासा खुद आर्टिमिस मिशन में ही SpaceX के Falcon Heavy लॉन्च व्हीकल का इस्तेमाल करने वाला है।

यह बहस भारत के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि फिलहाल ISRO मानव को अंतरिक्ष में भेजने के लिए गगनयान मिशन में लगा हुआ है। 2022 के अंत तक इसका पहला टेस्ट डेमो भी संभावित है। सरकार ने इस मिशन की लागत 9 हजार करोड़ मानी है, जबकि विशेषज्ञों के मुताबिक यह लागत 10 हजार करोड़ के ऊपर ही होगी। समझिए, स्पेस लॉन्च में निजी सेक्टर के बढ़ते दखल और घटती लागत से स्पेस रिसर्च की तस्वीर कैसे बदल सकती है।

चांद पर दोबारा भेजने का मिशन एक बार कैंसल कर चुका है US

  • स्पेस ट्रैवल के लिए इस्तेमाल होने वाला नासा का Space Shuttle प्रोग्राम 2004 में अमेरिकी राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने कैंसल कर दिया था।
  • अगले ही साल नासा ने Space Shuttle के उत्तराधिकारी Constellation प्रोजेक्ट की घोषणा की थी। इसका मुख्य उद्देश्य ही मानव को अंतरिक्ष में ले जाना और लौटाना था।
  • 2010 तक Constellation प्रोजेक्ट की लागत अनुमान से इतनी ज्यादा बढ़ चुकी थी कि राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इसे कैंसल कर दिया।

अमेरिकी संसद के दखल से दोबारा शुरू हुआ प्रोजेक्ट

  • जिस समय Constellation प्रोजेक्ट कैंसल हुआ, नासा इसके लिए कई वर्क ऑर्डर जारी कर चुका था।
  • प्रोजेक्ट कैंसल होने से यह वर्क ऑर्डर भी कैंसल हो जाते। US के अलाबामा राज्य में इससे रोजगार का संकट पैदा होने की नौबत आ रही थी।
  • 2010 में ही Constellation की जगह स्पेस लॉन्च सिस्टम (SLS) की घोषणा की गई और वर्क ऑर्डर्स को जारी रखा गया।

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